बेटियों ने माता-पिता के सपोर्ट और अपनी मेहनत से हासिल किया सफलता का शिखर काशी की बेटियों ने भी लगभग हर क्षेत्र में झंडा गाड़ा


वाराणसी (ब्यूरो)भारत में वीमेन पॉवर हमेशा से एक्टिव रहा है। बात चाहे इंदिरा गांधी की करें या पीटी ऊषा की। दोनों ने अपने पॉवर से पूरी दुनिया को अचंभित किया। कल्पना चावला ने तो नासा से अंतरिक्ष तक का सफर किया। काशी की बेटियों ने भी लगभग हर क्षेत्र में झंडा गाड़ा है। इनमें सिंह सिस्टर्स (प्रशांति सिंह, आकांक्षा सिंह, दिव्या सिंह व प्रतिमा सिंह बास्केटबॉल), पूनम यादव वेट लिफ्टिंग, नीलू मिश्रा एथलीट आदि ने स्पोट्र्स एरिया में बड़ा नाम किया। काशी की गरिमा मिश्रा ने सीबीएसई एग्जाम में टॉप किया था। गिरजा देवी, शोमा घोष ने संगीत में बड़ा नाम किया। इस समय भी यहां की बेटियां कई एरियाज में अपना लोहा मनवा रही हैं। तो आईए आज जानते हैं कि बनारस की बेटियों ने किससे इंस्पायर होकर अपनी सफलता की ओर कदम बढ़ाए और वे इसका श्रेय किसे देना चाहेंगी। प्राची मिश्रा की रिपोर्ट

अपने अधिकारों को समझें

एडीसीपी वूमेन क्राइम ममता रानी चौधरी जौनपुर की रहने वाली हैैं और इस समय वाराणसी में लंबे समय से कार्यरत हैैं। ये यहां की महिलाओं के बीच काफी फेमस हैैं। दरअसल, लड़कियों और महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को वह बखूबी समझती हैैं और उनकी हरसंभव मदद करती हैैं। यही नहीं सुसाइड का फैसला कर चुकी लड़कियों को वह अपने विचारों से मोटिवेट करती हैैं और उसे गलत फैसला लेने से रोकती हैैं। यही कारण है कि वाराणसी में महिलाओं पर हो रहे केस में कमी आई है। उन्होंने बताया कि उनके पिता फतेह बहादुर एडमिनिस्ट्रेशन में थे। इसलिए वह भी बड़ी अफसर बनना चाहती थीं। माता-पिता के सहयोग से 21 साल की उम्र में ही उनका सेलेक्शन हो गया। उन्होंने न सिर्फ फाइनेंशियली बल्कि मेंटली भी पूरा सपोर्ट किया है। उन्होंने महिलाओं को यह संदेश दिया कि दुनिया में आपका डंका तभी बज सकता है जब आपकी सफलता की शुरूआत घर से हुई हो। घर में पैरेंट्स से मिलने वाली पहली सलाह जीवनभर आपके काम आती है.

मां की गोद से ही सीखा संगीत

सोमा घोष की कहानी भी लोगों को इंस्पायर करने वाली है। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने पर भी उन्होंने संगीत में महारत हासिल की। उन्होंने आगे की शिक्षा को जारी रखने के लिए ट्यूशन शुरू किया। उनकी मां का सपना था कि वह बड़ी गायिका बनें। मां के सपने को पूरा करने के लिए सोमा ने बीएचयू से ग्रेजुएशन करने के बाद म्यूजिक से एमए और डॉक्टरेट किया। सोमा के पिता मनमोहन चक्रवर्ती स्वतंत्रता सेनानी थे, तो मां घर को संभालने में लगी रहती थीं। वह कहती हैं कि उन्होंने बागेश्वरी देवी से ठुमरी सीखा। वहीं सोमा का परफार्मेंस देखकर बिस्मिल्लाह खां ने उन्हें अपनी दत्तक पुत्री मान लिया। लुप्त होते वाद्यों को बचाने की पहल करते हुए 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमा को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया। इसके बाद बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की ब्रांड एंबेसडर बनीं। अपनी सफलता का श्रेय वह अपनी मां को देती हैं जिन्होंने उन्हें पढ़ाने-लिखाने से लेकर जीवन की हर समस्या में उनका पूरा साथ दिया। वह काशी की बेटियों को सीख देते हुए कहती हंै कि संगीत में आगे बढऩा चाहते हैं तो माता-पिता को पहला गुरु बनाएं.

सपना पूरा करने आईं बनारस

हर किसी के सफल होने में उनके परिवार के किसी न किसी सदस्य का हाथ होता है। वहीं किसी न किसी को देखकर या सुनकर ही लोगों के मन में कुछ बनने की इच्छा जागरूक होती है। ऐसी ही एक महिला हैं प्रधानाचार्य शशि सिंह, जिनके पिता ने उन्हें आगे बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास किया। एक छोटे गांव की रहने वाली शशि ने जब डॉक्टर बनने का सपना देखा तो उनके सपने को पूरा होने से रोकने के लिए समाज सामने आया। शशि के पिता राम दुलार सिंह ने उनके सपने के आगे कुछ नहीं देखा और उन्हें पढऩे के लिए बनारस भेज दिया। उनकी मां महादेई देवी ने भी उनका पूरा सपोर्ट किया। बनारस से पढऩे के बाद वह राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एंव चिकित्सालय में अधीक्षक पद पर कार्यरत हो गईं। वह बनारस के यूथ को सलाह देते हुए कहती हैं कि जीवन में माता-पिता और अन्य परिवारीजनों से मिलने वाली सलाह सबसे महत्वपूर्ण होती है। वह कहती हैं कि पिता ने आगे बढऩे के लिए प्रेरित न किया होता तो वह आज इस मुकाम पर न होतीं.

Posted By: Inextlive