पूर्वांचल ही नहीं यूपी से सटे बिहार से भी आते हैं कस्टमर्स दो दुकानें से बसा था मार्केट अब है 500 सौ अधिक दुकानें


वाराणसी (ब्यूरो)गाडिय़ों को रंगवाना हो, धुलवाना हो या फिर सजाना हो परेशान होने की जरूरत नहीं है। नदेसर बाजार में कार से लेकर लग्जरी वाहनों के पाट्र्स आराम से मिल जाएंगे। यही वजह है कि बहुत कम समय में नदेसर बाजार पूर्वांचल का बेस्ट मार्केट बन गया है। नदेसर में प्रत्येक संडे पुराना कार मार्केट मेला भी लगता है, जिसमें पूर्वांचल के साथ ही बिहार के कस्टमर्स आते हैं। तो आइए जानते हैं यह बाजार कैसे विकसित हुआ, कारोबारियों को कितनी मेहनत करनी पड़ी। 50 साल पहले दो हजार रुपए से शुरू हुआ मार्केट का टर्नओवर करोड़ों में कैसे पहुंचा.

पाट्र्स व पुरानी कार उपलब्ध

सीजन कोई भी नदेसर मोटर पाट्र्स बाजार की चमक देखने लायक होती है। पचास साल पहले जहां नदेसर में सन्नाटा रहता था वहीं बाजार अब पूर्वांचल का प्रमुख बाजार बन गया है। इस मार्केट में कोई भी ऐसा मोटर पाट्र्स न हो जो नहीं मिलता हो। नॉर्मल वाहनों से लेकर जग्जरी वाहनों तक के पाट़र्स आसानी से मिल जाते हैं। गाडिय़ां की धुलाई करानी हो या रंगाई या फिर मेंटनेंस सबकुछ नदेसर में संभव है। नदेसर व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष अखिलेश सिंह का कहना है कि पचास पहले क्षेत्र में मोटर पाट्र्स की एक-दो दुकानें थी आज छोटी-बड़ी मिलाकर करीब 5 सौ से अधिक दुकानें है.

तीन करोड़ का टर्नओवर

प्रतिदिन का टर्नओवर करीब 3 करोड़ हो गया 50 साल पहले 2 हजार के पास था। दुकानदारों का कहना है कि जो मोटर पाट्र्स किसी भी जिले में न मिले वह यहां मिल जाएगा। प्रतिदिन पूर्वांचल के जिलों से ग्राहक खरीदारी के लिए आते हैं। नदेसर क्षेत्र मोटर पाट्र्स के बाजार के साथ ही पुरानी वाहनों की बिक्री का पूर्वांचल का सबसे बड़ा हब बन गया है। प्रत्येक रविवार को घौसाबाद में पुरानी कार का बाजार लगता है। कार बाजार में पूर्वांचल के जिलों के अलावा अन्य राज्यों से कार की खरीदारी के लिए आते हैं। वाजिब दाम पर कार खरीदकर संतुष्ट होते हैं ऐसा कहना है कारोबारियों का.

अब यहां 500 दुकानें

नदेसर में करीब 500 थोक व फुटकर दुकाने है। इनमें रिटेल व थोक दोनों शामिल है। इन दुकानों पर सिटी के अलावा आसपास के क्षेत्र से कस्टमर्स आते है सामान खरीदकर ले जाते है। फिलहाल मार्केट कारोबारियों का कहना है कि अब तो यह मार्केट पूरे पूर्वांचल में छा गया है। अंधरापुल से पाटर्स की दुकानें शुरू होती है नदेसर, वरुणा तक दुकानें खुल गयी है।

1975 में नदेसर में एक दो दुकानें थी। आज 500 से अधिक दुकानें है। किसी भी वाहन के पाटर्स यहां मिल जाएंगे। यह मार्केट मोटर पाटर्स के लिए प्रसिद्ध है.

अखिलेश सिंह, पूर्व अध्यक्ष, नदेसर व्यापार मंडल

किसी भी कार की एसेसरीज यहां मिल जाएंगे। गोरखपुर ही नहीं बिहार से भी लोग पाटर्स लेने आते है। यही वजह है कि यह मार्केट लग्जरियस लोगों की पहली पसंद बन चुका है.

अनिल यादव, अध्यक्ष, नदेसर व्यापार मंडल

मार्केट बहुत पुराना है। इस मार्केट में गाजीपुर, बलिया, जौनपुर से लेकर कई जिलों के कस्टमर्स खरीदारी के लिए आते है.

जसवीर सिंह, कोषाध्यक्ष, नदेसर व्यापार मंडल

नदेसर मार्केट पुराना कार का सबसे बड़ा बाजार है। संडे को एक लाइन से कारें खड़ी रहती है। एक किलोमीटर तक यह बाजार लगता है.

राजकुमार, महामंत्री, नदेसर व्यापार मंडल

क्या है नदेसर बाजार का इतिहास?

नदेसर क्षेत्र में आज भी मां नंदेश्वरी देवी का मंदिर है लेकिन अफसोस की बात यह है कि आम आदमी मां का दर्शन नहीं कर सकता। मां का दर्शन करने के लिए लोगों को अनुमति लेनी पड़ेगी। बाजार से मिले फिडबैक के मुताबिक बहुत साल पहले की बात हैं जब मां का मंदिर नदेसर क्षेत्र में था। उस समय मां के मंदिर में मत्था टेकने प्रतिदिन लोग जाते थे। अब मां का मंदिर होटल गेटवे में है। अब दर्शन-पूजन करने के लिए लोगों को होटल संचालक से अनुमति लेनी पड़ती है। मां नंदेश्वरी देवी के नाम से नदेसर नाम पड़ा। नदेसर के कारोबारियों की मानें तो काशी नरेश की कोठी नदेसर में थी्र। जब काशी नरेश बनारस आते थे अपने कोठी में ठहरते थे। कोठी के ही पास सर्किट हाउस था। अंग्रेजों के समय ही सर्किंट हाउस बनाया गया था। सर्किट हाउस में दूर-दराज से जो लोग आत थे ठहरते थे। अब सर्किट हाउस कचहरी चला गया है। काशी नरेश जब बनारस आते थे तो उनके साथ रानी भी आती थी। उस समय नदेसर क्षेत्र में मेला लगता था। इसी मेले में रानी खरीदारी करती थी्र.जहां मेला लगता था उस क्षेत्र को अब राजाबाजार के नाम से जाना जाता है। अब राजाबाजार में मेला तो नहीं लगता है हां सब्जी, चाय पान की दुकानें जरूर है.

Posted By: Inextlive