Varanasi news: गौवंश से ऊंट तक की तस्करी, काशी बनी कॉरिडोर
वाराणसी (ब्यूरो)। डाफी टोल प्लाजा के पास पशुओं से भरी डीसीएम जब्त की गई है, जिसे खोलकर देखा गया तो अंदर 21 गौवंश मिले, जिसमें 9 गाय मरी पाई गईं। लंका थाना पुलिस को मुखबिर से खबर मिली कि बनारस के रास्ते कोलकाता और बांग्लादेश तक पशु तस्करी की जा रही है। गंगा नदी पुल से पहले डाफी टोल प्लाजा से जैसे ही एक डीसीएम क्रॉस हुई तो पुलिस को कुछ शक हुआ। लंका पुलिस ने डीसीएम का पीछा किया। पुलिस को पीछे देख तस्कर अलर्ट हो गए। पकड़े जाने के डर से डीसीएम के ड्राइवर और खलासी वाहन छोड़ फरार हो गए। पुलिस ने बताया कि पशुओं से भरी डीसीएम कोलकाता जा रही थी। तस्करों के पकड़े जाने पर और भी चौंकाने वाली जानकारी सामने आएगी.
पशु तस्करी का मुख्य मार्ग बनारस
गो तस्करी का यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी बनारस के रास्ते कोलकाता और बांग्लादेश तक गो तस्करी खेल सामने आ चुका है। एक साल पहले रामनगर में एक वाहन से तस्करी कर ले जाए जा रहे 16 ऊंट बरामद किए थे। बनारस पशु तस्करी का मुख्य मार्ग बन गया है। बनारस के आसपास डेवलप हो रहे हाई-वे और रिंग रोड पशु तस्करी के लिए बेहद मुफीद साबित हो रहे हैं। देश के अन्य हिस्सों से सीधे जुड़ाव की वजह से पशु तस्करों का नेटवर्क बनारस से रास्ते को उपयोग कर रहे हैं.
बनारस से कोलकाता तक सीधी सड़क
पशु तस्करी के देश के दूसरे हिस्सों से पश्चिम बंगाल होते बांग्लादेश तक होती है। छोटे-बड़े पशुओं से लेकर कछुए तक पश्चिम बंगाल पहुंचाए जाते हैं। यहां से बांग्लादेश पहुंचते हैं। कछुए तो चीन तक भेजे जाते हैं। बनारस से कोलकाता तक की सीधी सड़क होने की वजह से पशु तस्कर इस रास्ते का उपयोग करते हैं। प्रदेश सरकार केसख्त होने की वजह से पशु तस्करी में कुछ कमी तो आई है, लेकिन इस पर रोक नहीं लग सकी है। पशु तस्कर मालवाहक गाडिय़ों में क्रूरता से पशुओं को लादकर ले जाते हैं। आमतौर पर गोवंश और भैसों की तस्करी ज्यादा होती है.
बंगाल तक पहुंचाने पर 50 हजार
पशु तस्करी में मोटी कमाई होती है। पशुओं के एक खेप को पश्चिम बंगाल तक पहुंचाने के बदले तस्करों को 50 हजार रुपए तक मिलता है। ऊटों के लिए तो यह रकम एक लाख तक होती है। देश भर में नेटवर्क बनाए पशु तस्कर अशक्त-बीमार पशुओं को औने-पौने दाम में खरीद लेते हैं और उन्हें वाहनों से बांग्लादेश तक पहुंचाने में अच्छी-खासी कमाई कर लेते हैं। इनके नेटवर्क में बार्डर पार कराने में वाले भी शामिल होते हैं। पुलिस की लाख कोशिश के बाद भी पशु तस्करों का नेटवर्क टूट नहीं सका।
जाम के चलते फरार हो गए तस्कर
लंका थाना इंस्पेक्टर शिवकांत मिश्रा के अनुसार डाफी टोल प्लाजा के पास गुरुवार को जब्त डीसीएम में 8 गाय और 13 बैल थे। सभी 9 मृत गायों और बैलों का अंतिम संस्कार कर दिया गया। जाम का फायदा उठाकर तस्कर फरार हो गए। पशुओं को बंगाल ले जाया जा रहा था। पुलिस मामले का जांच कर रही है। चालक और खलासी की तलाश की जा रही है.
स्थिति देखकर भड़क गए लोग
डाफी टोल प्लाजा के पास पशुओं के भरे वाहन को देखने के लिए लोकल लोगों की भीड़ जुट गई। मरी गायों को देख स्थानीय लोग भड़क गए। हालांकि पुलिस ने समझा बुझाकर किसी तरह उन्हें शांत कराया। पशुपालन विभाग और नगर निगम के पशु चिकित्सक को मौके पर बुलाया गया। जिनके द्वारा परीक्षण किया गया तो 9 पशु मृत मिले।
पहले भी पकड़े जा चुके हैं तस्कर
150 लोग पुलिस ने ऐसे चिह्नित किए हैं, जो वाराणसी के अलावा अन्य जिलों में प्रतिबंधित पशुओं के कटान और तस्करी में संलिप्त मिले।
50 ऐसे लोग चिह्नित किए गए थे, जो अन्य प्रदेशों में प्रतिबंधित पशुओं की तस्करी या कटान के आरोप में गिरफ्तार हुए।
1. जून 2022 में रामनगर में एक वाहन से तस्करी कर ले जाए जा रहे 16 ऊंट बरामद हुए। पश्चिम बंगाल व बांग्लादेश में कई जगहों पर ऊंटों की कुर्बानी होती है। इसलिए ऊंटों की तस्करी भी हो रही है.
2. 27 फरवरी 2024 को रामनगर एरिया के टेंगरा मोड़ के पास एक कंटेनर से पुलिस ने 31 पशुओं को बरामद किए। छह मवेशी मर गए थे। इसमें ड्राइवर सहित तीन तस्कर पकड़े गए।
पूर्व में जो भी लोग गो तस्करी में लिप्त रहे हैं, उनकी हिस्ट्रीशीट खोली जाएगी। साथ ही निगरानी भी होगी। गो तस्करी में पकडऩे जाने पर गैंगस्टर एक्ट और एनएसए की कार्रवाई होगी। इसके अलावा इस धंधे में कोई पुलिसकर्मी भी संलिप्ता सामने आई तो उनके खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई होगी.
मोहित अग्रवाल, पुलिस कमिश्नर