यहां का डेस्क ही मांग रहा हेल्प
वाराणसी (ब्यूरो)। वाणिज्यकर विभाग में व्यापारियों की मदद के लिए बना हेल्प डेस्क आज खुद ही हेल्प मांग रहा है। दरवाजा निकालकर अलग रख दिया गया है और कुर्सियों को एक के ऊपर एक रखकर कहीं और फेंक दिया गया है। ऐसे में जब व्यापारी अपनी समस्याओं को लेकर आते हैं तो उन्हें इधर-उधर भटकना पड़ता है। सही जानकारी न मिल पाने की वजह से उनको वापस जाना पड़ता है.
वैट के समय बनाया गया था डेस्कवाणिज्यकर विभाग में वैट के समय व्यापारियों की सहूलियत के लिए हेल्प डेस्क बनाया गया था, ताकि कोई व्यापारी अगर अपनी समस्याएं या फिर कोई जानकारी लेने आए तो हेल्प डेस्क पर बैठा विभाग का व्यक्ति उनकी सहायता करेगा। हेल्प डेस्क बनने के बाद काफी व्यापारियों को राहत भी मिली। लेकिन, बीच में ऐसी क्या परिस्थिति आई कि विभाग ने हेल्प डेस्क को ही बंद कर दिया है। इसके बंद होने से आज भी कई व्यापारियों को दिक्कत हो रही है.
ऑनलाइन के बाद भी मैनुअल नोटिसजीएसटी लागू होने के बाद वाणिज्यकर विभाग में सबकुछ ऑनलाइन हो गया है। नोटिस से लेकर रजिस्ट्रेशन वगैरह सबकुछ ऑनलाइन हो गया है। इसको देखते हुए विभाग के अफसरों का तर्क है कि इसीलिए हेल्प डेस्क को हटा दिया गया है जबकि सच्चाई यह है कि आज भी शहर के कई व्यापारियों को नोटिस वगैरह मैनुअली भेजी जा रही है। नोटिस मिलने के बाद जब व्यापारी विभाग पहुंच रहे हैैं तो उनको कोई मदद करने वाला नहीं मिल रहा। इसके चलते उनको दिक्कत हो रही है.
जीएसटी में सारी व्यवस्थाएं भले ही ऑनलाइन हो गई हों, लेकिन आज भी कई दुकानदारों व व्यापारियों को मैनुअली नोटिस भेजा रहा है। इससे समझने के लिए हेल्प डेस्क का होना जरूरी है. राजन कुमार, दुकानदार विभाग में जाने पर कोई बताने वाला नहीं रहता है कि किधर जाएं। ऐसे में व्यापारियों को भटकना पड़ता है। अगर हेल्प डेस्क को फिर बन जाए तो व्यापारियों को दिक्कत नहीं होगी. गौरव जायसवाल, दुकानदार सिस्टम ऑनलाइन हो या फिर आफलाइन, विभाग में हेल्प डेस्क होना जरूरी है। पहले हेल्प डेस्क पर बैठे व्यक्ति से पूछने पर सारी जानकारी मिल जाती थी. सुजीत गुप्ता, दुकानदार ऑनलाइन सिस्टम को भी समझने के लिए हेल्प की जरूरत पड़ती है। ऐसे में विभाग को फिर से पुरानी व्यवस्था को लागू करना चाहिए. प्रतीक शर्मा, दुकानदार जीएसटी लागू होने के बाद सारी व्यवस्थाएं आनलाइन हो गई है। ऐसे भी अगर किसी व्यापारी को कोई दिक्कत है तो वह सीधे मुझसे आकर मिल सकता है.प्रिंस कुमार, एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-1, वाणिज्यकर विभाग