एचआईवी-एड्स से ग्रसित 18 वर्ष तक के बच्चों को मिलेगा स्पॉन्सरशिप बेसहारा बच्चों को दी जाएगी 4000 रुपए की आर्थिक मदद


वाराणसी (ब्यूरो)जिले से एचआईवी-एड्स पीडि़तों के केयर की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार उठाएगी। खासकर उन लोगों की जो व्यस्क नहीं हुए है। इनके पोषण के साथ आर्थिक रूप से भी मदद की जाएगी। बनारस में 18 वर्ष तक के वे बच्चे जो ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस-एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम यानि एचआईवी-एड्स से ग्रसित हैं। ऐसी स्थिति में जीवन यापन करने वाले परिवारों के बच्चों की उचित देखभाल के साथ अन्य बेसहारा बच्चों के लिए 'स्पॉन्सरशिप योजनाÓ की शुरू की गई है। उत्तर प्रदेश सरकार के इस योजना के तहत एचआईवी-एड्स से ग्रसित बच्चों को हर माह 4000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी, ताकि इन बच्चों को आर्थिक तंगी की वजह से जीवन यापन करने में किसी तरह की कोई कठिनाई न होने पाए।

ऐसे मिलेगा लाभ

डॉ। पीयूष राय ने बताया कि स्पॉन्सरशिप योजना का लाभ उठाने के लिए इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र के पीडि़त बच्चों के पैरेंट्स की आय अधिकतम 72,000 वार्षिक और शहरी क्षेत्रों में 96,000 रुपये वार्षिक होना चाहिए। (माता-पिता दोनों या वैद्य संरक्षक कि मृत्यु होने की स्थिति में परिवार कि अधिकतम आय सीमा का नियम लागू नहीं होगा) इसके लिए आधार कार्ड, आय प्रमाण पत्र, आयु प्रमाण पत्र, अभिभावक का मृत्यु प्रमाण पत्र एवं शिक्षण संस्थान में पंजीयन प्रमाण पत्र होना आवश्यक है। इसके आवेदन के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय (डीडीयू) स्थित एआरटी सेंटर पर संपर्क किया जा सकता है। इसके अलावा चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर संपर्क कर सकते हैं।

संपर्क में आने से नहीं होती

सीएमएस डॉ दिग्विजय सिंह ने बताया कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से एड्स की बीमारी नहीं होती है। इसके साथ ही संक्रमित व्यक्ति के छूने, साथ बैठने और खाने से नहीं फैलती है। संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने से यह बीमारी फैलती है। एआरटी सेंटर की चिकित्साधिकारी डॉ। प्रीति अग्रवाल ने बताया कि एचआईवी-एड्स लाइलाज बीमारी है। इसकी रोकथाम के लिए बचाव व जागरूकता ही एकमात्र उपाय है। इसके लिए लोगों को जागरूक होना जरूरी है। एड्स के प्रति सामाजिक मिथकों को दूर करना, आहार, पोषण, स्वच्छता और स्वस्थ जीवन शैली के लिए युवाओं को प्रेरित होने की ज़रूरत है।

430 बच्चे एचआईवी से पीडि़त

पिछले चार साल के आंकड़ों को देखे तो जिले 2263 एचआईवी पीडि़त पेशेंट मिले है। इसमें 15 साल से कम उम्र के 430 बच्चे भी शामिल है। डॉ। पीयूष राय ने बताया कि बनारस जिले में इस साल जनवरी से अब तक 364 एचआईवी पॉजिटिव मरीज पाए गए है, जिसमें 221 पुरुष व 90 महिलाएं शामिल है। इसमें 23 गर्भवती महिलाएं, चार ट्रांसजेंडर और आठ बच्चे शामिल हैं। जिले में एड्स की जांच के लिए 10 एचसीटीएस (एचआईवी काउन्सलिन्ग टेस्टिंग सर्विस) हैं, जिसमें से 8 आईसीटीसी (इंटीग्रेटेड काउंसिलिंग एण्ड टेस्टिंग सेंटर) और दो पीपीटीसीटी (प्रिवेंटिंग पेरेंट टू चाइल्ड ट्रांसमिशन) सेंटर भी बने हुए है। इलाज के लिए डीडीयू चिकित्सालय एवं बीएचयू में एआरटी सेंटर मौजूद हैं।

एचआईवी के कारण

एचआईवी संक्रमित के रक्त या रक्त उत्पादन के चढ़ाए जाने से, असुरक्षित यौन संबंध, असुरक्षित इंजेक्शन साझा करना, संक्रमित गर्भावस्था, प्रसव या स्तनपान द्वारा बच्चे को हो सकता है। इसलिए समय पर जांच करवाना बेहद जरूरी है।

एचआईवी के लक्षण

बुखार, दस्त, खांसी, रात को पसीना आना, शरीर पर चकत्ते, थकान, जोड़ों में दर्द, वजन कम होना, भूख न लगना आदि लक्षण एक माह तक लगातार दिखाई दें तो तत्काल इसकी जांच कराएं

कैसे करें बचाव?

जीवनसाथी के प्रति वफादार रहें, असुरक्षित यौन संबंध न बनाएं, यौन संबंध बनाते समय नियमित एवं सही तरीके से निरोध का प्रयोग करें, सदैव नए इंजेक्शन का प्रयोग करें व इंजेक्शन किसी के साथ साझा न करें, रक्त का उपयोग एचआईवी जांच के बाद ही करें।

प्रदेश सरकार की इस योजना के तहत एचआईवी-एड्स से ग्रसित बच्चों को हर माह 4000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी, ताकि इन बच्चों को आर्थिक तंगी की वजह से जीवन यापन करने में किसी तरह की कोई कठिनाई न होने पाए।

डॉदिग्विजय सिंह, सीएमएस

Posted By: Inextlive