पग-पग पर बनारसी ठग
वाराणसी (ब्यूरो)। अतिथि देवो भव: का स्लोगन बनारस में सिर्फ नाम के लिए रह गया है। यकीन न हो तो काशी में आकर देख सकते हैं। इस टूरिस्ट प्लेस पर कदम रखेंगे कि नहीं कैंट स्टेशन हो या फिर रोडवेज वहीं से ठगी का सिलसिला शुरू हो जाता है। टोटो वाले हो या फिर आटो वाले सभी अपनी जुगत में लग जाते हैं। बहन यहां बनारसी साड़ी देख लीजिए, बहुत अच्छा है असली रेशम का है। इनसे पीछा छुड़ाकर थोड़ा आगे बढ़ेंगे की लॉज वाले घेर लेंगे, बहनजी यहां सबसे अच्छा कमरा है, वाजिब दाम पर मिल जाएगा, एक बार देख तो लीजिए। कहने का सेंस यह है कि टूरिस्ट काशी में कदम रखता नहीं है कि उनको लुटने का काम शुरू हो जाता है। कहीं टूरिस्ट उनके चंगुल में फंस गया तो उसका ठगना तय है। क्योंकि हजार रुपए वाला कमरे दो हजार में दे देते हैं.
खतरे से खाली नहीं
यहीं नहीं जो टूरिस्ट साड़ी भी खरीदते हैं तो बनारसी के नाम पर उन्हें ठग लिया जाता है। बनारस की गलियां हो या मार्केट यहां पग-पग पर टूरिस्ट ठगे जा रहे हंै। इन मार्केटों से गुजरना टूरिस्टों के लिए खतरे से खाली नहीं रहता। हाल ही में विश्वनाथ मंदिर के बाहर टूरिस्ट के साथ हुई बदसलूकी पर रोक लगाने के लिए काशी के मंत्री ने भी फरमान जारी किया। इसके बाद भी टूरिस्टों की सेफ्टी के लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया है, जबकि सिटी में प्रतिदिन टूरिस्टों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। टूरिज्म डिपार्टमेंट भी इसको लेकर एक्टिव है, लेकिन टूरिस्टों की सेफ्टी के नाम पर सिटी में कहीं भी कोई काउंटर नहीं बनाया गया है, जहां टूरिस्ट अपनी समस्याओं को रख सकें। टूरिस्टों की गंभीर समस्या को लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने इसकी पड़ताल की तो कई समस्याएं सामने आईं.
कैंट से ही शुरू हो जाती है ठगी ठगी का सिलसिला रेलवे और रोडवेज स्टेशन से ही शुरू हो जाता है। कोई भी टूरिस्ट रोडवेज या फिर टे्रन से काशी के धरती पर कदम रखता है वैसे ही टैक्सी, टोटो और आटो वाले उन्हें घेर लेते हैं। साहब, कहा जाना है, हम ले चलेंगे, होटल में कमरे भी चाहिए तो मैं वाजिब दाम में दिलवा दूंगा। इस तरह से टूरिस्ट को चारों तरफ से घेर लेते हैं। न चाहते हुए भी टूरिस्टों को किसी न किसी वाहन में बैठना पड़ जाता है. मनपसंद के होटल में ले जाते हैंटैक्सी, टोटा या फिर आटो सभी का किसी न किसी होटल, लॉज में सेटिंग रहती है। टूरिस्टों को ले जाने पर उनको अच्छा-खासा कमीशन मिलता है। यही वजह है कि टोटो वाले कई टूरिस्टों को उसी होटल में ले जाते है जहां उनको कमरा पसंद ही नहीं आता है, लेकिन मजबूरी में उन्हेें रहना पड़ता है। यहीं नहीं कई होटल वाले तो इसका फायदा भी उठाते हंै.
आनलाइन भी ठगी काशी में जिस प्रकार से टूरिस्टों की संख्या बढ़ी है उसी प्रकार से ठगी की घटना भी बढ़ रही है। टूरिस्टों को ठगने के लिए हर हथकंडा अपना रहे हंै। सैलानियों का फायदा साइबर ठग भी उठा रहे हैं। प्रसिद्ध होटल, गेस्ट हाउस, लाज के नाम पर फेक एकाउंट बनाकर आनलाइन कमरा बुक के नाम पर रुपये ऐंठ रहे हैं। टूरिस्ट जब इस शहर में पहुंचता है तो ठगी की जानकारी होती है। उसके रुपये भी जाते हैं तो कमरे के लिए भटकना भी पड़ता है. पीतल बर्तन में घालमेलठगी का व्यवसाय सिटी में इतना अधिक बढ़ गया है कि टूरिस्ट कोई भी सामान खरीदता है तो उसे सही कीमत पर उचित सामान भी नहीं मिलता। रुद्राक्ष की माला हो या फिर पीतल, तांबे की लोटिया, सभी में घालमेल कर बेचा जा रहा है। निकिल के बर्तन में ऊपर से तांबे का पानी चढ़ाकर बेच दिया जा रहा है। इस तरह से शहर में आ रहे टूरिस्टों के साथ धोखाधड़ी की जा रही है। सर्वाधिक ठगी के शिकार गोदौलिया, दशाश्वमेध चौक, बांसफाटक, कैंट, सारनाथ में टूरिस्ट होते हैं.
टूरिस्टों की सेफ्टी के लिए टूरिज्म डिपार्टमेंट को हर चौराहे पर काउंटर बनाना चाहिए। टूरिज्म डिपार्टमेंट की तरफ से कोई भी ठगी की सूचना आती है तो उस पर विभाग तुरंत एक्शन लेता है। गोदौलिया चौराहे पर पुलिस विभाग की तरफ से काउंटर बनाया गया है। काउंटर खोया-पाया, किसी का सामान गिर गया इसकी सूचना हमेशा प्रसारित की जाती है. आरएस गौतम, डीसीपी, काशी जोन