अबीर-गुलाल उड़ाएं, पानी बचाएं
वाराणसी (ब्यूरो)। एक अनुमान के मुताबिक होली खेलने वाला हर व्यक्ति रोजमर्रा से छह गुना ज्यादा पानी वेस्ट करता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे शहर में होली खेलने के दौरान हजारों लीटर पानी बर्बाद होता है। ऐसे में हमें कोई ऐसा रास्ता निकालना चाहिए, जिससे होली का मजा बरकरार रहे और पानी का मिसयूज भी न हो। बता दें कि शहर की आबादी 35 लाख के ऊपर है, जिसमें 7 लाख से ज्यादा लोग शहरी सीमा के अंदर निवास करते हंै। रोजाना प्रति व्यक्ति को सुबह से शाम तक 138 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। वहीं चार सदस्यों के एक परिवार को रोजाना 16 गैलन पानी चाहिए। ऐसे में होली में यह खपत छह गुना अधिक हो जाती है, जिस कारण शहर के जलस्तर में काफी गिरावट हो जाती है और गर्मी के दिनो में पानी की किल्लत शुरू हो जाती है.
फूलों और अबीर की होली बेहतर विकल्प
पानी की बर्बादी रोकने के लिए फूलों व अबीर-गुलाल की होली बेहतर विकल्प है। इस तरह जहां पानी की बर्बादी नहीं होगी वहीं लोगों को केमिकल द्वारा अपनी स्किन की सुरक्षा का भी मौका मिलेगा। पिछले कई वर्षों से देखा जा रहा है कि शहर के अंदर सामाजिक संस्थाएं लोगों को जागरूक करने के लिए फूलों वाली होली को बढ़ावा दे रहे हैं। साथ ही इस प्रकार की होली के प्रचार-प्रसार के लिए समाज के विद्वत लोगों को अपने साथ ला रहे हैं.
होली को फूलों और अबीर के माध्यम से लोगों को धूमधाम के साथ मनाना चाहिए। इसी के साथ ही लोगों को पानी की भी बचत करनी चाहिए, जिससे आने वाले दिनों में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े. रघुवेन्द्र कुमार, महाप्रबंधक, जलकल