साइलेंट किलर की तरह यूथ को प्रभावित कर रहा ब्लड प्रेशर बदलता लाइफ स्टाइल यूथ के लिए ज्यादा घातक


वाराणसी (ब्यूरो)बदलती लाइफ स्टाइल, अनियमित खानपान और ज्यादा तनाव के कारण हाइपरटेंशन या हाई ब्लडप्रेशर जैसी बीमारियां काफी तेजी से बढ़ रही हैं। इसे आम भाषा में हाई ब्लड प्रेशर (बीपी) कहते हैं जबकि मेडिकल साइंस में इसे साइलेंट किलर के नाम से भी जाना जाता है। पहले यह माना जाता था कि यह प्रॉब्लम एक उम्र के बाद के लोगो में ही होती है लेकिन अब यह यंगस्टर्स और टीनएजर्स में बढ़ती जा रही है। हेल्थ डिपार्टमेंट के आंकड़े बताते हैैं कि पिछले 5 साल के अंदर 15 से 30 वर्ष तक के यूथ में यह बीमारियां 5 गुना बढ़ी हैं। इसके प्रति लोगों को अवेयर करने के लिए 17 मई को हाई ब्लड प्रेशर डे मनाया जाता है। इस बार इसकी थीम 'ब्लड प्रेशर कोई बीमारी नहीं, बैलेंस वेज डाइट से कर सकते हैं काबूÓ रखी गई है, ताकि लोग अच्छा खाकर इससे लड़ सकें.

साइलेंट किलर की तरह है बीमारी

एसएस हॉस्पिटल बीएचयू के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट प्रो। ओम शंकर कहते हैैं कि इसे मेडिकल साइंस में साइलेंट किलर के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए कि यह धीरे-धीरे बॉडी को डैमेज करता है। इसमें अक्सर सिर दर्द या चक्कर आने की समस्या आती है। कई दिनों तक हाई बीपी बने रहने पर इसका असर मस्तिष्क, हृदय, किडनी और आंखों पर भी पड़ता है। टीनएज में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने से बच्चों में स्ट्रोक, हार्ट अटैक, किडनी फेल होना, आंखों की रोशनी कम होना और एथेरोस्क्लेरोसिस या धमनी के सख्त होने का खतरा ज्यादा होता है। पहले यह बीमारी ओल्ड एज में होती थी, लेकिन गलत खानपान के कारण बढ़ते मोटापे की वजह से इसकी चपेट में यूथ और बच्चे आ रहे हैं.

क्या है हाइपरटेंशन

राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय पंचकर्म विभाग के डॉ। अजय गुप्ता बताते हैं कि हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लडप्रेशर वह स्थिति होती है, जब धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ता है। इसके कई कारण हो सकते हैं। इसमें तनाव, फास्ट फूड, व्यायाम की कमी, धूम्रपान का सेवन आदि शामिल है। सामान्य रक्त परिसंचरण यानि ब्लड सर्कुलेशन की रेंज 120/80 एमएम ऑफ एचजी होती है.

यह है प्रमुख लक्षण

-सिरदर्द होना, ज्यादा तनाव, सीने में दर्द या भारीपन

-सांस लेने में परेशानी, अचानक घबराहट, समझने या बोलने में कठिनाई

-चेहरे, बांह या पैरों में अचानक सुन्नपन, झुनझुनी या कमजोरी, अनिद्रा

क्यों होता है हाइपरटेंशन

-जेनेटिक, मोटापा, हाई बीपी के साथ मधुमेह जैसी बीमारियों का भी जनक है.

-खेलकूद, व्यायाम एवं शारीरिक क्रियाओं में भाग न लेने से भी मोटापा आने लगता है, जिससे बीपी का खतरा बढ़ता है.

-जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है रक्त नलिकाओं की दीवारें हार्ड होने लगती है, जिससे हाई बीपी की समस्या होती है.

-अधिक नमक, अल्कोहल, धूम्रपान एवं काफी का सेवन.

हाई ब्लड-प्रेशर से समस्या

-आंखों की रोशनी कम होने लगती है। इसलिए ब्लड प्रेशर की समस्या में आंखों की नियमित जांच की सलाह दी जाती है.

-सबसे ज्यादा खतरा हृदय को होता है। जब ह्वदय को संकरी या सख्त हो चुकी रक्त वाहिकाओं के कारण पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिलता तो सीने में दर्द हो सकता है। ऐसे में अगर खून का बहाव रुक जाए तो हार्ट-अटैक भी हो सकता है.

-रोगी की याद्दाश्त पर असर हो सकता है, जिसे डिमेंशिया कहा जाता है। इसमें रोगी के मस्तिष्क में खून की आपूर्ति और कम हो जाती है। सोचने-समझने की शक्ति घटती जाती है.

ऐसे करें बचाव

-धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें.

-हरी-सब्जियों और फलों का सेवन करें.

-छह माह में एक बार बीपी जरूर चेक करवाएं.

-कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट्स को डाइट में शामिल करें.

-रोजाना करीब एक घंटे तक व्यायाम करें.

-भोजन में नमक की मात्रा कम रखें.

-शरीर को एक्टिव रखें और अपना वजन घटाएं.

-रोजाना मॉर्निंग वॉक या रनिंग की आदत डालें.

फैक्ट एंड फीगर

30

से 40 परसेंट बीएचयू में आने वाले पेशेंट अंडर 30 एज ग्रुप के हैं.

05

साल के अंदर यूथ में यह बीमारियां 5 गुना तक बढ़ी हैं

17

मई को जागरूक करने के लिए हाई ब्लड प्रेशर डे मनाया जाता है

आज के बच्चे हों या यूथ, सब फास्टफूड खा रहे हैं। आउटडोर एक्टिविटी छोड़ सब मोबाइल की दुनिया में लगे हैं। इससे मोटापा बढ़ रहा, जो इन्हें हाईपर टेंशन की ओर ले जा रहा। यही स्ट्रोक और हार्ट अटैक का भी कारण बन रहा है.

डॉअकदास मुमताज, कॉर्डियोलॉजिस्ट कंसल्टेंट, एपेक्स हॉस्पिटल

हाइपरटेंशन से हार्ट पर असर पड़ता ही है, साथ ही किडनी, आंख और दूसरे अंग भी प्रभावित होते हैं। अगर किसी को डायबिटीज के साथ हाइपरटेंशन हो गया तो वह न चीनी खा सकता है और न नमक। इसलिए बेहतर है कि हम फिट रहें.

डॉसिबिया, कॉर्डियोलॉजिस्ट

बिजी लाइफ शेड्यूल के चलते आज हर कोई टेंशन में है। यही लोगों के ब्लड प्रेशर में उबाल की वजह बन रहा है। कम से कम समय में ज्यादा कुछ पाने की कोशिश यूथ के टेंंशन का कारण बन रही है, जो हाइपरटेंशन को जन्म दे रहा है.

प्रोओम शंकर, सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट,बीएचयू

Posted By: Inextlive