-बीएचयू से ब्लैक फंगस मरीजों को अब किया जा रहा डिस्चार्ज, डीडीयू अस्पताल में इलाज की सलाह

-पांच दिन में 40 मरीज किए गए डिस्चार्ज, जांच व दवाई हुई बंद

-मरीजों के इलाज पर करीब 15 करोड़ रुपये हो गए खर्च

-तीन करोड़ से अधिक बकाया होने पर दुकानों ने दवा देने से किया मना, मरीजों को मंगानी पड़ रही दवा

ब्लैक फंगस के मरीज कम होने लगे हैं, लेकिन जो अस्पताल में भर्ती हैं वो घर के हैं न घाट के। बीएचयू में एडमिट मरीजों को जहां डिस्चार्ज व शिफ्ट करने को कहा जा रहा है तो जिला अस्पताल (पं। दीन दयाल हॉस्पिटल) में कोई इंतजाम ही नहीं है। यहां वार्ड तक नहीं बनाया गया है। ऐसे में हॉस्पिटल में एडमिट मरीज परेशान हैं। इसके पीछे मरीजों पर आए खर्च का भुगतान न करना है। कहा गया था कि मरीजों का इलाज मुफ्त में किया जाएगा। बीएचयू ने करोड़ों रुपये से इन मरीजों का इलाज भी कर दिया, लेकिन चिकित्सा विभाग की ओर से पेमेंट ही नहीं किया गया। जिसके बाद बीएचयू प्रशासन ने मरीजों का इलाज ही बंद कर दिया था। जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद किसी तरह इलाज तो शुरू हो गया, लेकिन पेमेंट न होने से अब मरीजों को डिस्चार्ज किया जा रहा है।

186 मरीज हुए डिस्चार्ज

पिछले पांच दिन में सर सुंदरलाल अस्पताल बीएचयू के शताब्दी सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक के पोस्ट कोविड वार्ड में एडमिट 40 मरीज डिस्चार्ज कर दिए गए। यानी 186 से अधिक मरीज डिस्चार्ज हो चुके हैं। करीब 29 मरीज बचे हैं उन्हें भी जल्द डिस्चार्ज करने या पं। दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में शिफ्ट करने की तैयारी है। नाम न लिखने की शर्त पर मरीजों के तिमारदारों ने बताया कि हॉस्पिल की ओर से डिस्चार्ज करने को कहा जा रहा है। लेकिन हमलोगों ने कहा कि अधिकतर मरीजों का अभी निगेटिव जांच ही नहीं हुआ है तो कहां लेकर जाएं। तो कहा गया कि पं। दीनदयाल उपाध्याय हॉस्पिटल में ले जाइए।

तीन करोड़ रुपये बकाया होने पर बंद हुई सुविधा

मई में ब्लैक फंगस के मरीज बढ़ने लगे थे। यह देख बीएचयू आयुर्वेद ¨वग स्थित टीबी एंड चेस्ट वार्ड को पोस्ट कोविड वार्ड बना दिया गया। जब यह भर गया तो पास ही स्थित चरक पुरुष, महिला व सुश्रुत वार्ड में भी मरीज भर्ती होने लगे। जब कोरोना के मामले लगभग समाप्त हो गए तो ब्लैक फंगस के मरीजों को सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक में शिफ्ट कर दिया गया। यहां तक तो मरीजों का पूरा उपचार मुफ्त में हो रहा था। धीरे-धीरे करीब 15 करोड़ रुपये का खर्च इन मरीजों पर हो गया। वहीं देनदारी 03 करोड़ रुपये से अधिक होने पर दुकानों ने दवा देने से मना कर दिया। इसके बाद मरीजों को अपने खर्च से दवाएं मंगानी पड़ रही है। इसके अलावा बीएचयू से अन्य सुविधाएं मिलनी बंद हो गई है। बीएचयू प्रशासन ने स्वास्थ विभाग से इन मरीजों को शिफ्ट करने को कहा है। ऐसे में पं। दीनदयाल उपाध्याय हॉस्पिटल में वार्ड बनाने की बात कही गयी लेकिन वह जमीन पर उतर नहीं पायी है।

वर्जन-----

ब्लैक फंगस के मरीजों को भर्ती कर आपरेशन व उपचार किया गया। इस पर 15 करोड़ रुपये खर्च किए गए। अब जो बचे पेशेंट हैं उनमें अधिकतर सामान्य है। ऐसे में मरीज डिस्चार्ज किए जा रहे हैं। जो मरीज बचे हैं उन्हें पं। दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में उपचार की सलाह दी जा रही है। जो ठीक होकर घर गए हैं उनका फालोअप ईएनटी विभाग में होगा।

प्रो। केके गुप्ता, एमएस

सरसुंदर लाल हॉस्पिटल, बीएचयू

हॉस्पिटल में ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए वार्ड नहीं बनाया गया है। शासन के आदेश पर ही वार्ड बनाया जाता है। इस तरह का कोई आदेश मुझे नहीं मिला है। यहां न्यूरोलाजिस्ट भी नहीं हैं ऐसे में ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज संभव ही नहीं है।

डॉ। आरके सिंह, सीएमएस

पं। दीन दयाल उपाध्याय डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल

प्वाइंट टू बी नोटेड

295 : मरीज बीएचयू अस्पताल में आए

171 : मरीजों का किया गया आपरेशन

186: मरीज स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज

29 : मरीज हैं भर्ती

03 : बुधवार को तीन हुए डिस्चार्ज

Posted By: Inextlive