Varanasi news: सूरत की पॉलिस्टर साड़ी, काशी में बनी बनारसी
वाराणसी (ब्यूरो)। पॉवर सेंटर वाराणसी में बनारसी साड़ी के नाम पर बड़ी चीटिंग हो रही है। बनारस में बिना सिल्क मार्का, जीआई टैग और बिना हैंडलूम टैग लगाए 6 से 8 हजार रुपए में बनारसी साडिय़ों का सौदा हो रहा है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट असली और नकली बनारसी साड़ी की तह तक गया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पहले तो बनारस में जितनी भी साडिय़ां बनारसी के नाम पर बेची जा रही हैं। उनमें अधिकतर पॉलिस्टर धागों से तैयार सूरत की साड़ी हैं। गद्दीदार, दुकानदार हो या फिर मैन्युफैक्चरर। सभी सूरत से 300 से 400 में मंगाकर यहां रंगरोगन और हुबहू डिजाइन तैयार कर 6 हजार रुपए से लेकर 8 हजार रुपए में बनारसी साड़ी के नाम पर उसे बेच रहे हैं। लागत कम और मुनाफा ज्यादा की तर्ज पर बनारस में कारोबार चल रहा है। इस धंधे में पहले कारोबारी, बुनकर, मैन्युफैक्चरर ही शामिल थे, लेकिन अब इसमें ई रिक्शा चालक, ऑटो चालक, लॉज और पीजी संचालक भी शामिल हैं।
प्योर रेशम वाली साड़ी गायब
भीड़भाड़ वाली साड़ी दुकानों से प्योर रेशम वाली साड़ी गायब है। इसकी जगह पॉलिस्टर धागों से तैयार साडिय़ों ने ले ली है। इस साड़ी को तैयार करने में लागत कम और मुनाफा ज्यादा है। यही वजह है कि पिछले साल जहां साड़ी का प्रतिदिन का कारोबार 10 करोड़ का था। अब बढ़कर 20 करोड़ हो गया है। यानि एक लाख साडिय़ों की बिक्री प्रतिदिन हो रही है। यह सभी साडिय़ां 1500- 2000 रुपए के रेंज में हैं्र जिसे 7 से 8 हजार रुपए में बेचा जा रहा है।
पॉलिस्टर साडिय़ों की भरमार
पॉलिस्टर धागों से तैयार नकली साडिय़ों की मार्केट में भरमार है। बड़ी बाजार, जैतपुरा, पीलीकोठी, सरैया, कज्जाकपुरा, रेवड़ी तालाब, लोहता, बजरडीहा, मदनपुरा, लंका, सुंदरपुर, घाट किनारे, लॉज, होटल और पीजी में खुलेआम दुकानें चल रही हैं। मदनपुरा की गली हो या फिर जैतपुरा की गली या बजरडीहा की गली। सभी जगह पॉलिस्टर की साडिय़ां बेची जा रही हैं।
ऐसे बनाते है बनारसी साड़ी
मैन्युफैक्चर, गद्दीदार या फिर दुकानदार पहले तो बल्क में प्लेन साड़ी सूरत से मंगवाते हैं। इसके बाद यहां आने के बाद हुबहू ट्रेडिशनल डिजाइन प्लेन साड़ी पर तैयार करवाते हैं। इसके बाद कटिंग करते हैं। कटिंग के बाद पॉलिश कराते हैं।
नहीं दिखा हैंडलूम मार्का
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम ने शहर की कई दुकानों में जाकर देखा, लेकिन साडिय़ों पर न तो हैंडलूम मार्का का टैग दिखा। न ही सिल्क मार्का। बिना टैग के ही बनारसी साड़ी बताकर बेचा जा रहा है। जबकि नियम है कि हैंडमेड साडिय़ां हैं तो हैंडलूम का टैग, सिल्क से तैयार साड़ी है तो सिल्क का टैग साड़ी में लगा होना चाहिए।
ऑटो और ई रिक्शा चालक को भी देते हैं कमीशन
रिपोर्टर : भाई साहब, बनारसी साड़ी मिल जाएगी
दुकानदार : हां, मिल जाएगी.
रिपोर्टर- कितने रेंज की है.
दुकानदार- 6 हजार से लेकर 8 हजार रुपए में है।
रिपोर्टर : प्योर बनारसी साड़ी है.
दुकानदार : हां, रेशम के धागों से तैयार की गयी है.
रिपोर्टर : पॉलिश कराकर देंगे.
दुकानदार: आलरेडी पॉलिश हो चुकी है.
रिपोर्टर : दाम कुछ कम हो सकता है
दुकानदार : नहीं, कम करके ही बता रहा हूं।
रिपोर्टर : कुछ कम कर दीजिए.
दुकानदार : इतने कम में बनारसी साड़ी कहीं भी नहीं मिलेगी। आप किसी भी दुकान पर जाकर देख लीजिए.
रिपोर्टर : कैसे पहचानेंगे कि बनारसी साड़ी है.
दुकानदार : बनारस में बनारसी साड़ी ही बिकती है।
रिपोर्टर : कम नहीं हो सकता.
दुकानदार: नहीं इसमें ऑटो और ई रिक्शा चालक को भी कमीशन देना पड़ता है
बारकोड नहीं हुआ सफल
हैंडमेड और सिल्क की साडिय़ों की पहचान के लिए बनारसी साड़ी में बार कोड लगाया गया, लेकिन यह कुछ ही दिन तक चला। इसके बाद बंद हो गया। बार कोड से पता चल जाता था कि साड़ी हैंडमेड बनायी गयी है या फिर सिल्क की। इसे किस बुनकर तैयार किया है यह सब पता चल जाता था। साड़ी का सीरियल नंबर, और वर्ष सभी में एड किया गया था।
कई कंप्लेन
नकली साड़ी बेचने पर एक दर्जन से अधिक कस्टमर ने कंप्लेन भी की। इनमें से कई कस्टमर को बदलकर असली साड़ी दी गई, लेकिन कई को दुकानदारों ने ऐसे ही वापस कर दिया।
असली बनारसी साड़ी की पहचान
-पल्लू हमेशा 6 से 8 इंच लंबा होता है।
- फैब्रिक चमकदार होता है.
- बनारसी साड़ी का बार्डर चौड़ा होता है।
- उठाने में भारी होता है.
- हैंडमेड साड़ी को तैयार करने में 15 से 20 का समय लगता है
- प्योर सिल्क पर रियल गोल्ड व सिल्वर से तैयार परंपरागत बनारसी साड़ी की शुरुआती कीमत 65 हजार रुपए है। अधिकतम कीमत डेढ़ से दो लाख रुपए तक है।
नकली की पहचान
- पॉलिस्टर धागों से तैयार होने के कारण मोटा होता है.
- बार्डर बिल्कुल पतला और हल्का होता है.
- चमक थोड़ी फीकी होती है.
- पॉलिस्टर धागों वाली साड़ी को तैयार करने में एक घंटा लगता है।
पॉलिस्टर धागों वाली साडिय़ां मार्केट में काफी बिक रही हैं। इसे असली बनारसी साड़ी के नाम पर बेचा जा रहा है। इसकी शिकायत भी कई बार आ चुकी है। चुनाव बाद इस पर अभियान चलाया जाएगा। बनारसी साडिय़ों पर हैंडमेड और सिल्क का टैग लगाने को कहा जाएगा.
अरुण कुरील, डायरेक्टर, हैंडलूम डिपार्टमेंट
कस्टमर के साथ दुकानदार चीटिंग कर रहे हैं। इनमें कस्टमर्स को ध्यान देना होगा। हर कस्टमर्स को हैंडलूम और सिल्क मार्का टैग लगी वाली साड़ी ही खरीदना चाहिए।
बृजेश शुक्ला, गुणवत्ता अधिकारी,
टेक्सटाइल्स कमेटी, भारत सरकार