-पद्मभूषण पं। राजन-साजन मिश्र ने अपने संगीत अनुष्ठान भैरव से भैरवी तक का किया श्री गणेश

-दुनिया के पचास शहरों के सफर के बाद अगले साल संपन्न होगा यह संगीत अनुष्ठान

VARANASI

सरस सलीला गंगा के पावन तट अस्सी घाट पर शनिवार की शाम सुरों की महफिल सजी। देवी सरस्वती के उपासक पद्मभूषण पंडित राजन-साजन मिश्र के गले से निकल रहे स्वरों ने श्रोताओं को एक अलग ही दुनिया की सैर करायी। मौका था संगीत अनुष्ठान भैरव से भैरवी तक का। उन्होंने भैरव से भैरवी तक में विभिन्न रागों को समाहित किया। अपने संगीत सफर के पहले बाबा विश्वनाथ के चरणों में हाजिरी लगाने के उद्देश्य से उन्होंने अनुष्ठान का श्रीगणेश मां गंगा से आशीष से लेकर किया। कार्यक्रम की शुरुआत उन्होंने दोपहर बाद गाये जाने वाले राग हंस किंकिणी में निबद्ध ख्याल सजना रे मदन मोहन घर आये से किया। इसके साथ ही उन्होंने राग मरवा में गुरु बिन ज्ञान न पायो, राज जय-जयवंती ऐसे ना बनो राधा, राग दुर्गा में दुर्गे माता भवानी सब जग के दु:ख हरनी, राग दरबारी में नाद अपार उदधि गंभीर रे, सतत न पार वीर सुनाकर रागों पर अपनी मजबूत पकड़ श्रोताओं के सामने प्रदर्शित की। इसी क्रम में उन्होंने भगवान शिव की स्तुति-काशी के बसैया-सुनाकर श्रोताओं को अपनी साधना से परीचित कराया। उन्होंने कार्यक्रम का समापन राग भैरवी में चला परदेशिया नैना लगा कैसे सुनाकर किया। तबले पर संगत कुमार बोस ने व हारमोनियम पर पं। धर्मनाथ मिश्र ने संगत की। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र का आयोजन में सहयोग रहा। इस अवसर पर डीएम योगेश्वर राम मिश्र, संकटमोचन मन्दिर के महंत प्रो। विश्वम्भरनाथ मिश्र, रीवा गांगुली दास, रीजनल डायरेक्टर डॉ। विजय शंकर शुक्ल, दीपक मधोक, भारती मधोक, केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त अनीता सिन्हा दीक्षित आदि उपस्थित थीं।

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दुनिया के पचास शहरों में होगा अनुष्ठान

यह अद्वितीय संगीत अनुष्ठान भारत के आठ और दुनिया के पचास शहरों में सम्पन्न होगा। भारत में अहमदाबाद, कोलकाता, बैंगलोर, दिल्ली, गोवा, पुणे होते हुए अगले वर्ष मुम्बई में विराम होगा। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अगले वर्ष मार्च में एशियन देशों से होकर अमेरिका, यूके, न्यूजीलैण्ड, आस्ट्रेलिया से होते हुए यूरोपियन देशों तक पहुंचेगा।

Posted By: Inextlive