चौथे सोमवार से पहले चार लाख भक्तों ने लगाई हाजिरी
वाराणसी (ब्यूरो)। बाबा काशी विश्वनाथ के दरबार में शिवभक्त सावन के चौथे और पुरुषोत्तम मास के दूसरे सोमवार की हाजिरी आज लगाएंगे। बाबा के जलाभिषेक को आतुर श्रद्धलुओं का हुजूम देर रात से ही जुटा और हर-हर महादेव का उद्घोष गंूजता रहा। मंगला आरती से शयन आरती तक बाबा दरबार में करीब चार लाख भक्त अपनी हाजिरी लगा चुके थे। भक्तों को ललिताघाट की ओर जाने नहीं दिया गया। ललिताघाट मार्ग में बैरिकेडिंग कर सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है.
शिव भक्तों से सराबोरसोमवार पर बाबा के झांकी के दर्शन और जलाभिषेक को रविवार की सुबह से ही मुख्य मार्गों सहित गोदौलिया से दशाश्वमेध घाट तक का क्षेत्र शिव भक्तों से सराबोर रहा। इसमें कांवरियों सहित और आम श्रद्धालुओं की भीड़ रही। एक कांवरियां ऐसा भी रहा जो पांव में घुंघरू पहने और कांवर में प्रयाग संगम का जल लिए काशी पहुंचा था। वहीं, गंगा स्नान के लिए दशावमेध घाट पर श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। इस भीड़ में महादेव का रूप रचाए एक भक्त हाथों में दिव्य त्रिशूल लिए शामिल रहा। उसके देखने और सेल्फी लेने वालों का मजमा लगा रहा.
गंगा स्नान का बढ़ा जत्थाघाट पर पवित्र स्नान के बाद पात्रों में गंगाजल भरकर हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए कांवरियों के अलावा महिला-पुरुष श्रद्धालुओं का जत्था श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की ओर बढ़ता रहा। दर्शन के लिए सुबह से ही काशी विश्वनाथ मंदिर में भारी भीड़ रही। बाबा का दर्शन और जलाभिषेक की खुशी हर किसी के चेहरे पर साफ झलक रही थी। हाथों में गंगा जल पूरित कशल लिए श्रद्धलुओं की लम्बी कतार सुबह से रात भर लगी रही। धूप और गर्मी के बीच बहती बयारों से कुछ राहत की लेते भक्तों का उत्साह उफान मार रहा था.
श्रद्धालुओं की लंबी कतार कोतवालपुरा से बांसफाटक होते हुए गोदौलिया को पार कर दशाश्वमेध तक कतारबद्ध श्रद्धालु लगातार हर-हर महादेव व बोल बम का उद्घोष करते रहे। कतार विश्वनाथ धाम में मंदिर चौक से लगी हुई थी। वहीं, मंदिर जाने वाले मार्गों पर यातायात प्रतिबंध कड़ाई से लागू रहा। दूसरी ओर काशी विश्वनाथ मंदिर के अलावा दुर्गामंदिर में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी रही. आज सजेगी भागीरथी श्रृंगार श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में सावन के चौथे सोमवार पर भागीरथी श्रृंगार की झांकी सजेगी। महादेव के इस अद्भुत रूप के दर्शन रात आठ से 10 बजे तक भक्तों को प्राप्त होंगे। महादेव के इस स्वरूप के सन्दर्भ में विभिन्न धार्मिक मान्यताएं एवं कथाएं भी हैं.