पड़ोस में बावरिया, बनारस में उड़ी नींद
मुगलसराय में एक रिटायर्ड रेलवेकर्मी के घर में डकैती के बाद उसकी हत्या की घटना की मॉडस ऑपरेंडी बावरिया गिरोह की तरह होने से पुलिस के कान खड़े हो गए हैं, पड़ोस में उसकी आहट से पुलिस महकमे के साथ-साथ आउटर स्कर्ट्स में रह रहे लोगों में घबराहट का माहौल है। पुलिस टीम को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं, इसके साथ-साथ हमें-आपको भी सतर्क रहने की जरूरत है। उसके लिए आपको क्या करना है? जानिए अंदर
- चंदौली में डकैती की वारदात के बाद बनारस में भी बावरिया गिरोह को लेकर पुलिस महकमे में मची खलबली, आउटर इलाकों में सतर्कता बरतने के निर्देश - हाईवे पर गैंग में निकलने वाले लोगों पर विशेष नजरVARANASI: चढ़ती गर्मी के साथ एक बार फिर से क्राइम का पारा चढ़ने लगा है। ये पारा पड़ोस के जिले चंदौली से ऊपर बढ़ रहा है लेकिन इसकी तपिश अब बनारस में भी महसूस होने लगी है। यही वजह है कि दो दिन पहले पड़ोस के जिले चंदौली में रिटायर्ड रेलकर्मी के घर में घुसकर डकैती और हत्या करने वाले गिरोह के बावरिया गैंग होने की बात आते ही बनारस में पुलिस महकमे की नींद उड़ गई है। पूरा महकमा परेशान है क्योंकि बावरिया गिरोह यूपी के उन खूंखार गिरोह में शामिल है। जिसने पुलिस की नाक में दम कर रखा है। जिसके कारण इस वारदात के बाद बनारस में भी पुलिस अब पूरी तरह से सतर्कता बरतने की तैयारी कर चुकी है। खासतौर पर शहर से सटे आउटर इलाकों में क्योंकि इस गिरोह का निशाना ऐसे ही घर होते हैं। जो खुले में शहर से बाहर बनते हैं।
लंबे वक्त के बाद आया नाम बनारस में बावरिया गिरोह का नाम काफी लंबे वक्त के बाद एक बार फिर सुनने को मिला है। लगभग दो साल पहले चौबेपुर में हुई एक डकैती के बाद इस गिरोह के सक्रिय होने की बात कही जा रही थी लेकिन प्रूफ न मिलने के कारण मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। इसके बाद नोएडा, गाजियाबाद समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बावरिया के आतंक की खबरें अक्सर आती रहीं। इस बीच चंदौली में छह माह पहले अलीनगर में एक डकैती में जिस तरीके का यूज हुआ उसमे बावरिया गिरोह के होने का अंदेशा था। इसके बाद दो दिन पहले मुगलसराय में फिर से हुई डकैती और एक की हत्या के बाद एसपी ने भी बावरिया गिरोह की करतूत बताते हुए इस आशंका को कंफर्म करने का काम किया।समय के साथ हाईटेक हो गए हैं ये भी
बदलते वक्त के साथ अब बावरिया गिरोह भी हाइटेक हो गया है। पुलिसिया सूत्रों की मानें तो पहले हाथों में लोहे की रॉड या लाठी लेकर चलने वाले गैंग के मेम्बर अब मोबाइल फोन और आधुनिक असलहे तक लेकर चलने लगे हैं। पहले पूरे बदन पर तेल लगा कर हाथों में डंडे लेकर वारदातों को अंजाम देते थे और भागने के लिए ट्रेनों का सहारा लेते थे। लेकिन अब अन्य सदस्यों से सम्पर्क में रहने के लिए मोबाइल फोन और वारदात के बाद फरार होने के लिए अपने ट्रक या मेटाडोर का यूज करने लगे हैं। इनका तरीका है कुछ अलग - बावरिया गिरोह वारदात को अंजाम देने के लिए कुछ अलग तरह से काम करता है - गैंग के मेम्बर कहीं एक जगह रुकते नहीं हैं - ट्रक, मैजिक या मेटाडोर लेकर गैंग चलता है - ये गैंग हाईवे पर खुले में बने घरों को ही निशाना बनाता हैं - गैंग के मेम्बर जादू-टोना पर बहुत विश्वास रखते हैं और वारदात को अंजाम देने से पहले टोना-टोटका करते हैं - घुमंतू जाति के होने के कारण ये गैंग कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश तो कभी पूर्वी उत्तर प्रदेश में आतंक का फैलाने का काम करता है- अब बावरिया गिरोह में पढे़ लिखे नौजवान भी आ गए हैं जो शहर में डेरा डालने के बाद स्थानीय बदमाशों को चंद रुपयों का लालच देकर उनको मुखबिर की तरह करते हैं इस्तेमाल
- इस गैंग में महिलाएं भी होती हैं इनका काम होता है वारदात से पहले घर की रेकी करना - बर्तन बेचने से लेकर चादर और कपड़े बेचने की फेरी लेकर निकली महिलाएं घरों को सेलेक्ट कर अपने मर्दो को देती हैं जानकारी घुसते हैं दर्जनों एक साथ - बावरिया गिरोह के मेम्बर एक साथ दर्जनों की संख्या में निकलते हैं - एक साथ एक घर में घुसकर देते हैं वारदात को अंजाम - इस गैंग के मेम्बर सबसे पहले कान के पीछे सिर पर करते हैं वार - छत के रास्ते या चोरी छुपे अंदर घुसते हैं और घर में मौजूद हर परसन के पीछे गैंग का एक बदमाश रॉड या डंडे के साथ खड़ा रहता है - जबकि बाकी लोग देते हैं वारदात को अंजाम - इस बीच अगर खटर-पटर सुनकर किसी मेम्बर की नींद टूटती है तो पहले से मौजूद बदमाश रॉड या डंडे से हमला कर देते हैं- हमले के बाद ये लोग घर वालों को तब तक मारते हैं जब तक सामने वाला लहूलुहान होकर मर न जाए
- इस गैंग के मेम्बर घर की महिलाओं के साथ कोई अभद्रता नहीं करते और बच्चों को नहीं मारते-पीटते - इसके बाद सारा माल समेटकर हो जाते हैं रफूचक्कर कौन है बावरिया बावरिया गैंग का आतंक काफी लंबे वक्त से चला आ रहा है। जानकारों की मानें तो प्रदेश में कुल तेरह घुमंतू जातियां ऐसी हैं जो आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हैं। इनमे से बावरिया प्रमुख है। राजस्थान से आकर यूपी व हरियाणा में बसे बावारिया जाति के लोगों के बारे में एसटीएफ ने गहन पड़ताल की है। बताया जाता है कि इनसे निपटने के लिए पुलिस डेली इनके गांव पहुंचकर गांवों में सुबह व रात में पुरुषों की गिनती करती थी ताकि ये लोग वारदातों को अंजाम न दे पाएं। हालांकि यह योजना आजादी के बाद भी चली लेकिन समय के साथ इस योजना ने दम तोड़ दिया। जिसका फायदा घुमंतू जाति ने खूब उठाया। लूटपाट करने वाले बावरिया अपने मूल ठिकाने से कोसों दूर वारदात को अंजाम देते हैं। प्रदेश में इस समय बावरिया, पंछिया, कारी जाति के गिरोह ज्यादा सक्रिय हैं। आप भी बरतें सावधानी - पड़ोस के जिले चंदौली में इस गैंग की आहट से सभी परेशान हैं - इसलिए जरूरी है कि हम भी अलर्ट रहें - इसके लिए हो सके तो पूरा परिवार एक कमरे न सोए - आहट मिलने पर तस्दीक किए बगैर कमरे का दरवाजा न खोलें - सीढि़यों पर अगर दरवाजे हैं तो बंद रखें - घर के आसपास अगर कोई खाली प्लॉट है तो वहां पर्याप्त रोशनी रखें - किसी भी आशंका पर कंट्रोल रूम व संबंधित थाने को सूचना दें ऐसे किसी गैंग को लेकर अभी कोई जानकारी नहीं है लेकिन पुलिस हमेशा सतर्क है और शहर से दूर के इलाकों में पुलिस को गश्त करते रहने को कहा गया है। सुधाकर यादव, एसपी सिटी