एक्सपोर्ट में एक्सीलेंस
वाराणसी (ब्यूरो)। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की पहली कल्चरल कैपिटल बनने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट का सेंटर आफ एक्सीलेंस तमगा दिया है। इससे अब यहां के एक्सपोर्ट का ग्राफ बढ़ेगा, साथ ही निर्यातक और शिल्पकारों को नया मुकाम मिलेगा.
निर्यात के बेहतर अवसर मिलेंगे नई विदेश व्यापार नीति में निर्यात उत्कृष्ट शहरों में चार नए शहरों को शामिल किया गया है। इनमें यूपी के वाराणसी, मिर्जापुर और मुरादाबाद हैं। अभी देश में कुल 39 निर्यात उत्कृष्ट शहर हैं। इस फैसले से वाराणसी में निर्यात के बेहतर अवसर पैदा होंगे। नई नीति को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पेश किया है। बनारसी साड़ी से लेकर कार्पेट का जलवाबनारसी साड़ी की कायल पूरी दुनिया है। अब बनारस को एक्सीलेंस का तोहफा मिल जाने से यहां बनारसी साड़ी, दरी और लकड़ी के खिलौनों के उत्पाद में चार चांद लग जाएंगे। अब तक पानीपत जैसे शहरों को विदेशों में एक्सीलेंस सुविधा मिलती है। उसी तर्ज पर अब बनारस और मिर्जापुर को मिलेगी। यहां से जो भी एक्सपोर्टर अमेरिका, जर्मनी, जापान, चाइना, ग्रीस, कनाडा जैसे शहरों में एक्सपो लगाएंगे, उनको प्रायोरिटी के तौर पर रखा जाएगा।
जीआई टैग का सबसे बड़ा हब बनारसबनारस जीआई टैग का सबसे बड़ा हब है। यहां 16 जीआई उत्पाद हैं, जो किसी भी शहर या देश में सबसे ज्यादा हैं। वाराणसी को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का तमगा मिलने के बाद अब जीआई के उत्पादों की संख्या और बढ़ सकती है। निर्यात और बढ़ेगा। इससे शिल्पकारों और बुनकरों को काम मिलेगा, उनकी मजदूरी बढ़ेगी और उनके जीवन स्तर में सुधार आएगा।
25 हजार करोड़ का कारोबार वाराणसी क्षेत्र में अकेले हैंडीक्राफ्ट सेक्टर से हर साल करीब 25 हजार करोड़ का टर्नओवर होता है। इनमें बनारसी साड़ी, बनारसी ब्रोकेड साड़ी, गुलाबी मीनाकारी, पीतल बर्तन, ग्लास बीड्स समेत, मिर्जापुरी की कालीन-दरी शामिल है। एक्सीलेंस का दर्जा मिलने से यहां के उत्पादों की विदेशों में और पूछ बढ़ेगी. बुनकरों और शिल्पकारों को खुलेंगे कॉमन फैसिलिटी सेंटर मिर्जापुर और वाराणसी में हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट के सेक्टर से जुड़े बुनकर और शिल्पकारों के लिए कॉमन फैसिलिटी सेंटर खुलेंगे। इसमें बुनकरों और शिल्पकारों को नई मार्केटिंग की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके अलावा रॉ मैटेरियल के लिए सेंटर बनाया जाएगा। खासकर महिला शिल्पकारों को भी इसमें लाभ मिलेगा। इनके लिए अलग से सेंटर बनाए जाएंगे। कच्चे माल की कमी को भी पूरा किया जाएगा. एक्सपो लगाने पर मिलेगी सब्सिडीएक्सपोर्टर अभी तक विदेशों में एक्सपो लगाते थे तो उनको सब्सिडी नहीं मिलती थी। यहां के एक्सपोर्टर लंबे अर्से से इसकी डिमांड सरकार से कर रहे थे। सरकार ने इनकी मांगों को ध्यान में रखते हुए हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट के क्षेत्र में अब बहुत बड़ी उपलब्धि दी है। यहां के एक्सपोर्टर अब देश ही नहीं विदेशों में भी अपने उत्पादों को ले जाएंगे। उनको प्रोडक्ट के अनुसार सब्सिडी मिलेगी।
कई और फायदे होंगे वाराणसी में हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट के उद्योगों को मिलने वाली आर्थिक सहायता योजना, विपणन परियोजना, क्षमता विस्तार एवं तकनीकी सेवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही कामन सर्विस प्रोवाइडर्स को ईपीसीजी योजना के अंतर्गत लाइसेंस प्राप्त करने की अर्हता प्राप्त हो जाएगी. नंबर गेम 15 लाख लोग जुड़े है हैंडलूम-हैंडीक्राफ्ट से 25 हजार करोड़ का टर्नओवर होता है 16 जीआई उत्पाद हैं वाराणसी के ये हैं यहां के खास प्रोडक्ट बनारसी साड़ी, कालीन दरी, लकड़ी के खिलौने, ग्लास बीड़स, स्टोन जाली वर्क, गुलाबी मीनाकारी, धातु शिल्प, जरी जरदोजी, हैंड ब्लाक प्रिंट, वॉल हैंगिंग, पॉटरी, चुनार बलुआ पत्थर, पीतल बर्तनरिपोजी वर्क, ब्लैक स्टोन.