आटिज्म अब लाइलाज बीमारी नहीं
वाराणसी (ब्यूरो)। दो फरवरी को आटिज्म दिवस मनाया जाएगा। इस उपलक्ष्य में एक दिवसीय नि:शुल्क न्यूरोथेरेपी चिकित्सा शिविर का आयोजन पड़ाव स्थित अघोरेश्वर भगवान राम योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान केन्द्र में किया गया है। आटिज्म से ग्रसित बच्चों का नि:शुल्क इलाज करेंगे न्यूरोथेरेपिस्ट मणि लाल विश्वकर्मा.
आटिज्म अब लाइलाज नही विश्वकर्मा ने बताया कि आटिज्म बीमारी अब लाइलाज नहीं है। भले ही सभी डाक्टर इस बीमारी को गंभीर मानते हो लेकिन न्यूरोथेरेपी के माध्यम से इस रोग को ठीक किया जा सकता है। इसमें बच्चे अगर सुन नही रहे हैं, अपनी दुनिया में मस्त है ऐसे बच्चों को न्यूरोथेरेपी पद्धती से ठीक किया जा सकता है. सुबह दस बजे से शिविरन्यूरोथेरेपी मणिलाल विश्वकर्मा ने बताया कि नि:शुल्क शिविर सुबह बजे से शुरू होगी जो शाम 4 बजे तक चलेगी। शिविर में जो बच्चे बोल नहीं सकते सुन नही सकते या फिर देखने में दिक्कत हो, यही नही उन बच्चों का भी इलाज किया जाएगा जो आई कांटेक्ट नहीं कर पाते और अपनी ही दुनिया में मस्त रहते है।
न रोने वालों का भी इलाजउन्होंने बताया कि आटिज्म में कई तरह की बीमारियां होती है। कोई बच्चा बोल नहीं पा रहा है तो कोई अपने ही दुनिया में खोया रहता है,यही नहीं कई बच्चे ऐसे भी आते है जो रोते ही नहीं है। ऐसे बच्चों को लेकर मां-बाप की परेशानी देखने लायक रहती है। आटिज्म की बीमारी के चलते शहर के स्कूल ऐसे बच्चों का एडमिशन ही नहीं लेते है।
इस बीमारी में कारगर मणिलाल विश्वकर्मा की मानें तो आटिज्म का मेडिकल साइंस में कोई इलाज ही नहीं है। न्यूरोथिरेपी चिकित्सा द्वारा शरीर के रोग-प्रतिकारक क्षमता को बढ़ा दिया जाता है जिससे वायरस या बैक्टिरियां दोनों को खत्म करने की क्षमता इंसान के शरीर में ही मौजूद रहती है। कुछ वंशानुगत बीमारियां होती है या कुछ जेनेटिक बीमारियां भी है जिनका मेडिकल की डिक्शनरी में कोई इलाज नहीं है पर शरीर के अंदर ही बिगड़ी हुई समस्या को शरीर के अंगों के ऊपर प्रेशर देकर उन बीमारियों को न्यूरोथेरेपी ट्रीटमेंट द्वारा काफी हद तक ठीक किया जाता है। आटिज्म से ग्रसित बच्चों को इस पद्धति से काफी लाभ मिलता है और काफी हद तक सुधार होता है.