ASI survey report in Gyanvapi: एएसआइ ने वाराणसी कोर्ट को सौंपी ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट और साक्ष्य
वाराणसी (ब्यूरो)। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने सोमवार को ज्ञानवापी परिसर में हुए एएसआइ सर्वे की रिपोर्ट और साक्ष्यों की सूची जिला जज की अदालत में दाखिल कर दी। मगर रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में होने पर मंदिर और मस्जिद पक्ष में नया विवाद उत्पन्न हो गया है। मंदिर पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने सीलबंद रिपोर्ट देने पर आपत्ति जताई है। वहीं, अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया गया है कि अदालत रिपोर्ट सार्वजनिक न करने को लेकर भी आदेश जारी करे। जिला जज ने मंदिर और मस्जिद पक्ष की अर्जी पर सुनवाई और इसके निस्तारण के लिए 21 दिसंबर की तारीख तय की है।
16 मई को प्रार्थना पत्र
राखी ङ्क्षसह सहित पांच महिलाओं की ओर से मां शृंगार गौरी के पूजा-पाठ की अनुमति देने की मांग को लेकर दाखिल प्रार्थना पत्र पर चल रही सुनवाई के क्रम में मंदिर पक्ष की ओर से बीती 16 मई को ज्ञानवापी परिसर की वैज्ञानिक विधि से जांच (एएसआइ सर्वे) के लिए जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया गया था। अदालत ने इसे स्वीकार करते हुए 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सील वुजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर का सर्वे करने का आदेश दिया था। प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। शीर्ष अदालत ने उसे हाई कोर्ट जाने का आदेश देते हुए 26 जुलाई तक सर्वे पर रोक लगा दी थी। इसके बाद हाई कोर्ट ने तीन अगस्त को सर्वे की अनुमति दे दी।
91 दिन सर्वे, 38 दिन में रिपोर्ट
ज्ञानवापी परिसर में एएसआइ का सर्वे चार अगस्त से दो नवंबर तक चला। इस दौरान पुरातत्वविद्, रसायनशास्त्री, भाषा विशेषज्ञों, सर्वेयर, फोटोग्राफर समेत तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने जांच की। परिसर की बाहरी दीवारों (विशेष रूप से पश्चिमी दीवार), शीर्ष, मीनार, तहखानों में परंपरागत तरीके से और जीपीएस-जीपीआर समेत अन्य अत्याधुनिक मशीनों के जरिये साक्ष्यों की जांच की गई। दो नवंबर को सर्वे पूरा होने के बाद 38 दिनों में रिपोर्ट तैयार की गई। रिपोर्ट तैयार करने में सबसे अधिक समय ग्राउंड पेनेट्रेङ्क्षटग रडार (जीपीआर) तकनीक से मिली जानकारी का अध्ययन करने में लगा। जीपीआर के आंकड़ों का अध्ययन काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट््यूट (सीएसआइआर-एनजीआरआइ) की टीम ने किया। विशेषज्ञों के दल ने ज्ञानवापी में जीपीआर के जरिये सैकड़ों वस्तुओं की आभासी छवि प्राप्त की थी। इनकी वास्तविक छवि तैयार करने में बहुत सतर्कता बरती गई है। विद्युत चुंबकीय किरणों की मदद से जीपीआर से धरती के नीचे 15 मीटर (49 फीट) गहराई तक मौजूद आकृतियों का पता लगाया जा सकता है।
साक्ष्यों को किया सुरक्षित
जिला जज ने आदेश दिया था कि सर्वे में जो भी वस्तुएं और सामग्री प्राप्त हों, जिनका इस मुकदमे से संबंध हो, ङ्क्षहदू धर्म व पूजा पद्धति से संबंधित हों या ऐतिहासिक व पुरातात्विक ²ष्टिकोण से मुकदमे के निस्तारण के लिए महत्वपूर्ण हो, उन्हें संरक्षित करना उचित है। आदेश के अनुपालन में ज्ञानवापी में मिले साक्ष्यों को कोषागार में सुरक्षित रखा गया है।
एएसआइ को कई बार समय
जिला जज ने 21 जुलाई के आदेश में चार अगस्त तक सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था। लेकिन विभिन्न कारणों से यह तिथि कई बार बढ़ाई गई। अंतिम बार 11 दिसंबर को रिपोर्ट दाखिल नहीं कर पाने पर अदालत ने एक सप्ताह का समय दिया था।
राम जन्मभूमि स्थल की सर्वे रिपोर्ट भी नहीं थी सीलबंद
एएसआइ ने ज्ञानवापी परिसर की सीलबंद सर्वे रिपोर्ट अदालत को सौंपने पर मंदिर पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सीलबंद रिपोर्ट सौंपने का आदेश नहीं दिया है, यह उसके आदेश का उल्लंघन है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कापी भी अदालत को सौंपी। उनका कहना था कि अयोध्या के राम जन्मभूमि स्थल की सर्वे रिपोर्ट को भी सीलबंद नहीं रखा गया था। वहीं, मस्जिद पक्ष के वकील मुमताज अहमद, एखलाक अहमद ने अपने प्रार्थना पत्र में कहा कि अदालत में चर्चा से पहले एएसआइ सर्वे रिपोर्ट पक्षकारों व उनके वकीलों को नहीं दी जाए। रिपोर्ट यदि दी भी जाती है तो उनसे शपथ पत्र लिया जाए कि रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करेंगे। उन्होंने अदालत के पिछले आदेश का उल्लेख किया, जिसमें एएसआइ सर्वे को सार्वजनिक करने पर रोक लगाई गई थी। ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण की महिला वादियों मंजू व्यास, रेखा पाठक, सीता साहू की ओर से उनके वकील सुधीर त्रिपाठी, सुभाषनंदन चतुर्वेदी, दीपक ङ्क्षसह ने अदालत में प्रार्थना पत्र देकर मांग की कि उन्हें एएसआइ सर्वे रिपोर्ट ई-मेल से उपलब्ध कराई जाए.