मनमानी नियुक्ति में फंसा कॉलेज
-संस्कृत यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड कॉलेज का केस
-अनियमित तरीके से नियुक्ति करने, झूठा एफिडेविट देने का आरोप, रजिस्ट्रार ने की मैनेजर के खिलाफ एफआई दर्ज कराने की संस्तुति VARANASI संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने संस्कृत कॉलेज, औरया की मान्यता रद करने का डिसीजन लिया है। अनियमित तरीके से नियुक्ति करने, झूठा एफिडेविट देने के आरोप में रजिस्ट्रार प्रभाष द्विवेदी ने कॉलेज के मैनेजर शिवरत्न बाजपेयी पर एफआईआर दर्ज कराने, संबद्धता/मान्यता वापस लेने की संस्तुति कर दी है। इस क्रम में कॉलेजेज को नोटिस देने का प्रॉसेस स्टार्ट कर दिया गया है। एआर पर लगाया था आरोपसंस्कृत कॉलेज पर मार्च ख्0क्भ् में विश्वविद्यालय के अनुमोदन के बिना करीब दस शिक्षकों की नियुक्ति करने का आरोप है। इतना ही नहीं कथित अध्यक्ष पुष्पा बाजपेयी ने तत्कालीन असिस्टेंट रजिस्ट्रार (संबद्धता) दीप्ति मिश्रा व विभाग के कार्यालय सहायक ओमप्रकाश पांडेय पर अनुमोदन के नाम पर पांच लाख रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने इसे गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन एआर व कार्यालय सहायक को तत्काल संबद्धता विभाग से हटा दिया। साथ ही इस मामले में जांच समिति गठित कर दी।
जांच में सच आए सामनेकॉलेज की कम्प्लेन पर जांच में एआर दीप्ति मिश्रा व कार्यालय सहायक पर आरोप गलत पाया गया, वहीं जांच में यह भी तथ्य सामने आया कि आरोप लगाने वाली पुष्पा वाजपेयी नहीं बल्कि उनकी बहू निशा वाजपेयी हैं। वहीं पुष्पा बनकर शिकायत दर्ज कराई थी। दूसरी ओर जांच में विद्यालय के प्रबंध समिति में एक ही परिवार के सात लोग पाए गए। जबकि एफिडेविट में मैनेजर ने प्रबंध समिति में परिवार का कोई सदस्य न होने की बात कही थी। जांच समिति के रिपोर्ट को देखते हुए रजिस्ट्रार ने एआर व कार्यालय सहायक को आरोप मुक्त करते हुए विद्यालय प्रबंधन के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है ताकि इस तरह के फर्जीवाड़े पर लगाम लगाया जा सके।