कमरे को कूल करके शहर को दहका रहे एसी
वाराणसी (ब्यूरो)। इन दिनों सिटी में का पारा हाई है। भीषण गर्मी की मार से लोग बेहाल हो रहे हैं। दोपहर में चिलचिलाती धूप के कारण सड़कें धधक रही हैं तो शाम को घरों और प्रतिष्ठानों में चलती एसी से आग की लपट की तरह निकलती गर्म हवाएं बेहाल कर रही हैैं। कमरे में लोग ठंडी हवा में चैन की सांस जरूर ले रहे हैं, लेकिन कमरे के बाहर यही लोग पूरे शहर को दहका भी रहे हैं। जानकारों की माने तो एसी के अंधाधुंध इस्तेमाल का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि लगातार एसी चलने से तापमान में दो डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी हो रही। जितनी तेजी से ऊष्मा उत्सर्जित हो रही, वह ग्लोबल वार्मिग की वजह बनती जा रही। यही नहीं बिजली विभाग पर भी लोड बढ़ रहा है। इसकी वजह से बिना एसी के रहने वालों को पावर कट की मार झेलनी पड़ रही है। बिजली विभाग के अधिकारियों की माने तो जब गर्मी व हीटवेव के समय ज्यादातर लोगों के घरों में एसी ऑन हो जाता है। इससे बिजली का लोड बढ़ जाता है। जिसकी वजह से ग्रिड पर भार बढ़ता है, इससे कई बार शहर में ब्लैकआउट हो जाता है.
5 लाख से ज्यादा एसी उगल रहे आग
बिजली विभाग के आंकड़ों की मानें तो शहर की जनसंख्या के हिसाब से यहां करीब 5 लाख एसी चल रहे हैं, जिससे पूरा शहर दहक रहा है। एसी की बढ़ती संख्या के पीछे सबसे बड़ी वजह यहां की जनसंख्या और विकास है। विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद यहां आने वाले टूरिस्टों की संख्या के साथ होटलों की संख्या भी बढ़ी है। ऐसा कोई भी होटल नहीं है जहां एसी न हो। वर्तमान में यहां तीन हजार से ज्यादा छोटे-बड़े होटल हो गए हंै। इसके अलावा मॉल, मल्टीप्लेक्स, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, बड़े प्रतिष्ठान, दुकान के साथ फ्लैट्स, कॉलोनी और मुहल्लों के 25 परसेंट से ज्यादा घरों में एसी लगे है। ये सब अंदर ठंडक देकर बाहर गर्मी बढ़ा रहे हैं. ऐसे तापमान बढ़ा रहे एसीविशेषज्ञों के अनुसार, एसी बाहर की तरफ गर्म हवा फेंकते हैं, जिससे उस जगह के तापमान में .5 से दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होती है। एसी से रात में तापमान वृद्धि दिन की तुलना में अधिक होती है। यदि पूरे दिन में एक टन का एसी यदि 8 घंटे चलता है, तो उससे 19 हजार किलो जूल उष्मा उत्सर्जित होती है। 1.5 टन के एसी से लगभग 29 हजार किलो जूल उष्मा उत्सर्जित होती है। जहां दूर-दूर तक पेड़ नहीं हैं और बहुमंजिला इमारतें होने के साथ साथ बड़ी संख्या में एसी और वाहन चल रहे हैं, वहां तापमान बढती जा रही है।
24 डिग्री से कम पर बिजली की खपत ज्यादा एसी चलाने का आदर्श तापमान 24 से 27 डिग्री सेल्सियस है, लेकिन ज्यादातर लोग 16 से 20 डिग्री सेल्सियस पर चलाते हैं। यदि 20 डिग्री सेल्सियस पर एसी लंबे समय तक चलता है तो ऊष्मा उत्सर्जन ज्यादा होता है, बिजली की खपत भी 14 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. लगातार एसी में बैठे तो डिहाइड्रेशनकम तापमान पर एसी चलाने से बिजली खर्च तो बढ़ता ही है, स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। खासकर उन लोगों के लिए जो इस पर पूरी तरह एसी पर निर्भर हैं। एक एयर कंडीशनिंग सिस्टम का लगातार इस्तेमाल करने से उसका एयर फिल्टर अपनी इंटिग्रेटी खो देते हैं और हानिकारक कंपाउंड को बाहर से आपके घर या ऑफिस में आने की अनुमति देते हैं। ये एलर्जी को ट्रिगर कर सकते हैं और कुछ मामलों में आंख, नाक और गले में जलन भी पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा लोग ठंडक की वजह से पानी नहीं पीते हैं। ऐसे लोग जब घरों से बाहर निकलते हैं, तो अक्सर डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाते हैं।
बचाव का रास्ता है यह पौधा ईएचएस विशेषज्ञ एसके सूरी बताते हैं कि बाहर की तरफ जहां एसी गर्म हवा फेंक रहा है, वहां पर प्राकृतिक ग्रीन शेडो करें। इसके लिए कोई बेल लगाएं या फिर फर्न या एलोवेरा का पौधा लगाएं। यह गर्म हवा को अवशोषित कर लेगा। इससे एसी चलाने पर आने वाले बिजली खर्च में भी 15 प्रतिशत की कमी आएगी. एसी के लिए केवी का कनेक्शन एक औसत के अनुसार डेढ़ टन के एसी में प्रति घंटा दो किलोवाट यानी दो यूनिट बिजली का खर्च माना जाता है, इसलिए विभाग पांच किलोवाट के कनेक्शन पर ही एसी लगाने की अनुमति देता है. बिजली खपत बन रही ग्लोबल वार्मिंग का कारणविशेषज्ञ कहते हैं कि एसी चलने पर होने वाली बिजली खपत ग्लोबल वार्मिंग का बड़ा कारण बन रही है, क्योंकि इतनी बिजली उत्पादन में काफी मात्रा में पानी आदि की जरूरत होती है। एक मानक के अनुसार एक टन के एसी को आठ घंटे चलाने पर 19500 किलो जूल और डेढ़ टन पर 29500 किलो जूल उष्मा उत्सर्जित होती है। बिजली विभाग के आंकड़ों के अनुसार शहर में 25 फीसदी घरों व प्रतिष्ठानों में एसी लगे हैं। यदि यह माना जाए कि आधे घरों में एक टन और आधे घरों में डेढ़ टन का एसी लगा है, तो 8 घंटे चलने की स्थिति में इनसे कुल 514500000 किलो जूल उष्मा उत्सर्जित होगी.
सेहत को पहुंचाता है नुकसान -एसी का इस्तेमाल करने से डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है. -यह संक्रमण का कारण भी बन सकता है. -एयर कंडीशनर का इस्तेमाल करने से आपको श्वसन तंत्र संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. उसी उन लोगों के लिए ज्यादा हार्मफुल है जो इस पर पूरी तरह निर्भर हैं। ये एलर्जी की समस्या के साथ आंख, नाक और गले में जलन भी पैदा कर सकते हैं। एसी में होने के कारण पानी न पीने और बाहर निकलने पर डिहाईड्रेशन का शिकार हो सकते हैं. डॉ। एसजे वर्मा, फिजिशियन, मंडलीय हॉस्पिटल शहर में होटल के साथ एसी की संख्या बढ़ जाने से पिछले साल की तुलना में इस साल लोड काफी बढ़ गया है। इसकी वजह से फाल्ट ज्यादा आ रहे हंै, जिससे सप्लाई डिस्टर्ब हो रही है। फिर जहां समस्या आ रही है उसे शार्टआउट किया जा रहा है. अधीक्षण अभियंता, डिवीजन दो वाराणसी