बनारस में तमाम प्रयोग, फिर भी ट्रैफिक अनकंट्रोल
वाराणसी (ब्यूरो)। सुबह बनारस शाम बनारस जब देखो तबजाम बनारस। वाराणसी के बारे में यह कहावत कुछ समय से प्रचलित है। बनारस में जाम कब, कहां से और कितना लंबा हो जाएगा, इसका कोई अंदाजा नहीं होता। शहर में जाम एक बड़ी समस्या है। कमिश्नरेट बनने के बाद ट्रैफिक समस्या खत्म करने के लिए पूर्व से लेकर अब तक वाराणसी में तमाम जतन किए गए, पुलिस व प्रशासन ने संयुक्त काम किया, लेकिन सब बेकार साबित हुआ। पूर्व सीपी ए सतीश गणेश ने अपना इंजीनियरिंग दिमाग लगाया, सख्ती दिखाई, तीन शिफ्ट में पुलिस की ड्यूटी भी लगाई, कई कट बंद कराने के साथ लगातार प्रयासरत थे, लेकिन वह बनारस से चले गए और जाम अब भी बरकरार है। अब वर्तमान सीपी मुथा अशोक जैन के निर्देशन में लगातार जाम पर प्रहार हो रहा है, लेकिन खास असर नहीं दिख रहा है.
जाम से निजात को क्या-क्या किया गया- वाराणसी को मार्च 2021 में कमिश्नरेट बनाया गया। पहले सीपी के रूप में ए सतीश गणेश ने ट्रैफिक में सुधार के लिए काफी प्रयास किया।
- पुलिस के जोर से जाम को घटाने का प्लान बनाया, लेकिन बेअसर साबित हुआ.- जाम से निजात दिलाने के लिए शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को 6 सर्किल में बांटा, लेकिन कोई काम नहीं आया।
- शहर में जाम नहीं लगे, इसके लिए लोकल और ट्रैफिक पुलिस को एक साथ मिलकर सड़क पर उतरने का आदेश दिया, यह भी फेल रहा. - सर्किल में जाम लगने पर सीधे संबंधित एसीपी से जवाब तलब का डर भी दिखाया। - शहर की भौगोलिक स्थितियों की रिसर्च कर नए-नए प्लान तैयार किए। - ट्रैफिक पुलिस में बल की संख्या बढ़ाई गई। तीन त्वरित कार्य दस्ते (क्यूआरटी) का गठन किया गया। - ट्रैफिक विभाग में एडीसीपी के अलावा डीसीपी की तैनाती की गई. - कहीं जाम लगता है तो ट्रैफिक पुलिस के साथ संबंधित एसीपी, थाना और चौकी प्रभारी की जिम्मेदारी तय की, लेकिन सब बेअसर रहे. - उन इलाकों को चिन्हित किया गया है, जहां सबसे अधिक जाम लगता है। संबंधित को अलर्ट मोड पर रखा गया है। इसके बाद भी जाम कम नहीं हुआ. - अवैध पार्किंग और अतिक्रमण को चिन्हित कर उन्हें सड़कों से हटाने का प्रयास किया गया. पहले यह थी व्यवस्था - अगर किसी इलाके में जाम लगता था, तो उसके लिए ट्रैफिक पुलिस ही जिम्मेदार होती थी. - किस इलाके में अधिक जाम लगता है और कहां कम, इसका कोई विश्लेषण नहीं किया गया था.- लोकल पुलिस जाम को देखकर भी अनदेखा कर देती थी.
- ट्रैफिक पुलिस के पास अमला कम था, इसलिये चाहकर भी वह जाम को कंट्रोल नहीं कर पाती थी. - ट्रैफिक पुलिस में किसी की ड्यूटी कहीं भी लगा दी जाती थी, पूरे शहर को एक नजर से ही देखा जाता था. - अतिक्रमण और अवैध पार्किंग को देखकर भी अनदेखा किया जा रहा था. अब यह हुआ - ऑटो व ई-रिक्शा के लिए अलग-अलग रूट निर्धारित किया गया. - शहर को जाम मुक्त करने के लिए यातायात विभाग ने प्राइवेट बस स्टैंडों को शहर से बाहर कर दिया है। - गाजीपुर रूट की बसें अब आशापुर रेल ओवरब्रिज के उस पार लेढ़ूपुर से चलेंगी। पहले इनका संचालन राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय चौकाघाट से होता था। - आजमगढ़ की बसों के लिए रिंग रोड फेज-1 के लालपुर बाइपास के पास की जगह को निर्धारित किया गया है। बसों का परिचालन यहां से शुरू हो गया है। - जौनपुर की बसों के लिए शिवपुर रोड पर जगह निर्धारित कर दी गई है। कैंट मार्ग पर आजमगढ़ और जौनपुर की निजी बसों से आवागमन प्रभावित था, जिसे अब हटा दिया गया है.- प्रयागराज, सोनभद्र, भदोही की निजी बसों के लिए चांदपुर चौराहा के पास जगह बनाई गई है.
ट्रैफिक जाम से मुक्ति के लिए प्रशासन की ओर से लगातार प्रयास किया जाता है, लेकिन ऑटो, ई रिक्शा, बस वालों की मनमानी से जाम की स्थिति बन जाती है। इन पर लगाम जरूरी है. सौरभ राजपूत अंधरापुल, कैंट, मैदागिन, बेनियाबाग, गिरिजाघर पर अलग से ट्रैफिक प्लान बनाकर लागू करना होगा, तभी यहां पर जाम की स्थिति नहीं बनेगी। शहर के अन्य प्वाइंट से यह बिल्कुल अगल है. संजय शर्मा सबसे अधिक खराब स्थिति कैंट-चौकाघाट पुल के नीचे की रहती है। यहां दिनभर जाम की स्थिति रहती है। पुलिस प्रशासन को यहां से ठेले वालों हटाना चाहिए। तभी टै्रफिक स्मूथ होगा. सुरेंद्र विश्वकर्मा कई प्रमुख मार्ग पर स्कूल बसों की मनमानी के चलते जाम की स्थिति उत्पन्न होती है। पुलिस इन लोगों पर कार्रवाई नहीं करती है, सिर्फ प्राइवेट वालों का निशाना बनाया जाता है. रतन कुमार दूसरे जनपदों के लिए चलने वाली निजी बसों के लिए बाहर जगह निर्धारित कर दी गई है। शहर के भीतर से इनके परिचालन पर सीज की कार्रवाई की जाएगी। शहर की यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने में निजी बस संचालक भी सहयोगी बनें. प्रबल प्रताप सिंह, डीसीपी ट्रैफिक