Varanasi news: आलम ब्रदर्स ने गैंग बनाकर की थी सबसे बड़ी ठगी
वाराणसी (ब्यूरो)। रिटायर्ड शिक्षिका से 3 करोड़ 55 लाख रुपए की धोखाधड़ी करने वाले गिरोह को पुलिस ने पकड़ लिया है। गिरोह के मास्टरमाइंड दो सगे भाई हैं। दोनों प्राइवेट बैंक में बड़े पद पर हैं। पुलिस ने दोनों भाइयों समेत 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। 13 मार्च को साइबर क्राइम पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था।
सगे भाइयों का गैंग
पकड़े गए साइबर क्रिमिनल की पहचान सरफराज आलम व नुरूलहुदा आलम निवासी चिनहट लखनऊ के रूप में हुई। सरफराज लखनऊ स्थित एक बैंक का रीजनल हेड है और उसका भाई कैशियर है। जांच व पूछताछ में दोनों भाइयों ने चौकाने वाली जानकारी दी। पता चला कि दोनों भाइयों ने मिलकर गैंग बनाया। बैंक, मोबाइल और साइबर की टेक्निकल जानकारी रखने वाले दोस्तों को गैंग में शामिल किया। कोई बैंक का सबूत मांगता तो वीडियोकॉल करके खुद को बैंक में दिखा देते। बड़ी बात ये है कि साइबर ठगों ने पुलिस अधिकारी बनकर इस ठगी को अंजाम दिया। गैंग में रिश्तेदार इंदिरानगर में रहने वाले तौफीक खान और आरिफ अहमद निवासी लखनऊ, गुजरात निवासी ओम अश्विन भाई गोयानी और नीरव वटुक भी शामिल थे.
फर्जी पुलिस अधिकारी
सिगरा थाना क्षेत्र के रथयात्रा स्थित अमलनाथ अपार्टमेंट में रहने वाले अशोक रक्षित की पत्नी शंपा रक्षित सेंट जांस मड़ौली की रिटायर्ड शिक्षिका हैं। 8 मार्च को शंपा रक्षित को सुबह 9 बजे अंजान नंबर से कॉल आई। ठग ने मोबाइल नंबर को आपराधिक गतिविधियों में शामिल होना बताया। शंपा ने मना किया तो गिरफ्तारी वारंट की धमकी दी और मुंबई के विले पार्ले पुलिस स्टेशन आने की बात कही। फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर इन साइबर ठगों ने पूरे परिवार को धमकाया। इसके बाद परिवार की पूरी जानकारी ली और बैंक खाते का पूरा ब्योरा भी ले लिया। गिरफ्तारी का डर दिखाकर साइबर ठगों ने उनकी एफडी तुड़वाकर दो खातों से 3.55 करोड़ रुपए ट्रांसफर करा लिए.
साइबर थाना पुलिस ने बहुत जल्द खुलासा किया। साथ ही सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार भी किया। अपराधियों के पास से 13 लाख 63 हजार नकद और अन्य बैंक खातों में जमा 63 लाख रुपए सीज कर दिया गया है। साइबर टीम ने कम समय में इस केस को वर्क आउट कर आरोपियों की गिरफ्तारी की है.
चंद्रकांत मीणा, डीसीपी क्राइम