सेफ काशी
वाराणसी (ब्यूरो)। पांच जून यानी विश्व पर्यावरण दिवस पर बनारस के लिए अच्छी खबर सामने आई है। वाहनों के धुएं, कंस्ट्रक्शन, धूल और फैक्टरी के प्रदूषण से बनारस की आबो-हवा अक्सर डेंजर लेवल में होती थी। 300 से 500 एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) के साथ वाराणसी अक्सर देश के टाप-10 प्रदूषित शहरों में शामिल होता था, लेकिन लोगों के अवरनेस और प्रशासन की सक्रियता से बनारस की हवा में अप्रत्याशित सुधार हुआ है। पिछले एक सप्ताह के आंकड़ों पर गौर करें तो बनारस में औसतन हर दिन एक्यूआई 100 आ गया है। पूरे बनारस में बीएचयू की स्थिति सबसे अच्छी है।
जहरीली हवा में सांसपिछले दो साल से बनारस में स्थिति दमघोंटू बनी हुई थी। शहर की एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 300 से नीचे उतरने का नाम नहीं ले रही थी। यह स्थिति बनारस के लोगों के लिए बेहद चिंताजनक थी। लोग जहरीली हवा में सांस लेने के लिए मजबूर थे। यहां सांस लेने का मतलब तीन से अधिक सिगरेट पीना था। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण विभाग कहता था कि जो लोग दिल अथवा फेफड़ों की बीमारी, या फिर अस्थमा से पीडि़त हैं, उन्हें वायु प्रदूषण के जोखिम को कम करने के लिए एयर प्यूरीफायर और अनिवार्य रूप से फेस मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। हवा में धूल, धुआं और कार्बन कणों की मात्रा के कारण कई बार दिल्ली के बाद बनारस देश का सर्वाधिक प्रदूषित शहर बना था.
सुधार की पांच बड़ी वजहें - विभिन्न योजनाओं के तहत सड़क खोदाई बंद हो गई और नहीं चल रहा सीवर लाइन का काम. - रिंग रोड का निर्माण पूरा, अधिकतर सड़कों का हुआ पैचवर्क - ग्रीन नेट से ढककरहो रहा निर्माण और इससे धूल के कण हवा में नहीं फैलते हैं. - शहर में कूड़ाघर खत्म, सिर्फ एक या दो जगहों पर ही होता है कूड़ा डंप - 10 लाख से ज्यादा वाहन हैं शहर में, अब इनसे जाम कम लगता है। बीएचयू सबसे साफवाराणसी की हवा में लगातार सुधार देखने को मिल रहा है। हवा में प्रदूषण का स्तर घटने से शहरियों को काफी राहत मिल रही है। प्रदूषण का लेवल मॉडरेट से संतोषजनक के स्तर पर आ गई है। शहर की सबसे साफ हवा बीएचयू की है। 29 मई को यहां का एक्यूआई 57 था, जो 2 जून तक लगभग यही रहा। वीआईपी मूवमेंट होने की वजह से 3 व 4 जून को बढ़ा हुआ दिखा। वहीं भेलूपुर में एक्यूआई औसतन 100 के करीब है। मलदहिया में औसतन 85 और अर्दली बाजार में औसतन 80 एक्यूआई है.
अब बेहतर बनारस साल 2022 में स्विस संस्था आईक्यू एयर ने दुनिया के 117 देशों के 7323 सिटीज में स्थापित मॉनीटरिंग स्टेशंस के एयर क्वालिटी डेटा को एनालाइज किया। इसके बाद अब पॉल्यूटेड सिटीज की रैकिंग जारी की है। वाराणसी की स्थिति में सुधार जहां एक ओर थोड़ी राहत देती है, वहीं दूसरी ओर कानपुर में पॉल्यूशन को कम करने के लिए और प्रयास करने की गुंजाइश भी रखती है। वहीं यूपी में गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मेरठ, कानपुर की स्थिति वाराणसी के मुकाबले खराब है. निपटने के इंतजाम - लोकल ट्रांसपोर्ट के लिए सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा - डस्ट पॉल्यूशन को कम करने के लिए पक्के फुटपाथ बन रहे - कूड़ा जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सख्ती और जुर्माना - सड़कों पर लगातार पानी का छिड़काव, नियमित सफाई - शहर के अंदर निर्माण और सड़कों की खुदाई में कमी - गीला और सूखा कचरा अलग अलग देने को किया जा रहा अवेयरवाराणसी में लगातार सुधार हो रहा है। जी-20 के मद्देनजर हरियाली पर काफी काम किया गया है। यही वजह है कि यहां का एक्यूआई करीब 100 के नीचे पहुंच गया है। बारिश के दिनों में बनारस के लोगों को और शुद्ध हवा मिलेगी। समय-समय पर पूरे शहर में मशीन से पानी का छिड़काव कराया जाता है.
कौशल राज शर्मा, कमिश्नर पर्यावरण को लेकर वाराणसी में लगातार काम चल रहा है। लगभग बड़े कंस्ट्रक्शन पूरी तरह बंद हो गए हैं। सड़कों की खोदाई भी अब नहीं हो रही है। हवा में धूल की मात्रा बहुत कम हो गई है। यही वजह है कि बनारस की आबो-हवा में काफी सुधार का क्रम जारी है. भालेंद्र कुमार, क्षेत्रीय सहायक प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी काशी की आबो-हवा अब काफी बेहतर है। यह अप्रत्याशित सुधार पिछले दो महीने से जारी है। इसकी वजह तलाशी जा रही है। हमारी संस्था भी पर्यावरण पर काम कर रही है। अक्सर जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जाता है। एकता शेखर, क्लाइमेट एजेंडा