विश्वनाथ धाम बनने के बाद घाट किनारे के मकान बने कमाई का जरिया इनमें रसियन ग्रीस कनाडा समेत कई देशों के टूरिस्ट आकर करते हैं स्टे एक दशक पहले सिर्फ दशाश्वमेध और अस्सी पर दिखाई देते थे पीजी और गेस्टहाउस

वाराणसी (ब्यूरो)काशी के घाट के ठाठ के क्या कहने। यहां की अद्भुत छटा की काशी ही नहीं पूरी दुनिया मुरीद है। यही वजह है कि कोई भी टूरिस्ट यहां आता हैं तो सबसे पहले घाट किनारा ही उसको भाता है। टूरिस्टों की पसंद को देखते हुए घाट किनारे का हर मकान अब पीजी और लॉज में तब्दील हो गया है। यह बदलाव काशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण के बाद अचानक देखने को मिला है। टूरिस्टों की संख्या में इतना अधिक इजाफा हुआ है कि घाट किनारे करीब 15 सौ से अधिक मकान लॉज और पीजी बन गए हैं.

लोकार्पण के बाद बढ़ी संख्या

विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद शहर में टूरिस्टों की बाढ़ सी आ गयी है। सभी होटल और लॉज में महीनों तक नो रूम के बोर्ड लग गए हैं। घाट किनारे भी जितने लॉज और पीजी थे बुक रहने लगे। टूरिस्टों की संख्या को देखते हुए कई लॉज और पीजी संचालकों ने घाट किनार रह रहे मकानों के रूम रेंट पर लेना शुरू कर दिया। मकान मालिकों ने देखा कि यह धंधा अच्छा हैं तो वे अपना रूम रेंट पर देने की बजाय खुद ही मकान को पीजी में कन्वर्ट कर बिजनेस करने लगे.

पहले सिर्फ दो घाटों पर

एक साल पहले दशाश्वमेध से लेकर अस्सी घाट के किनारे ही कुछ होटल, लॉज और पीजी देखने को मिलते थे। इनमें हमेशा विदेशी ही ठहरते थे। विश्वनाथ धाम के लोर्कापण के बाद इसमें तेजी से बदलाव आया। अस्सी घाट से लेकर खिड़किया घाट तक होटल, लॉज और पीजी धड़ाधड़ खुल गए। इनमे साउथ टूरिस्टों के अलावा विदेशी टूरिस्टों को ठहरने का नया ठिकाना मिल गया है.

फारेनर्स को भा रहा किनारा

घाट किनारे बने गेस्ट हाउस और लॉज में सबसे अधिक फारेनर्स ही स्टे करते हैं। इनमें रशियन, ग्रीस, कनाडा, इटली समेत कई देशों के विदेशी सिर्फ घाट किनारे के गेस्ट हाउस को ही पसंद करते हैं। यहीं वजह है कि घाट किनारे के मकान बहुत तेजी से गेस्ट हाउस और लॉज बन गए.

बरामदा से लेकर रूम तक बुक

घाट किनारे जितने भी मकान पीजी और लॉज में कन्वर्ट हुए उनमें एक रुम का किराया करीब 15 सौ रुपया लेते हैं। इसके बाद भी उनके यहां रुम के लिए मारामारी की स्थिति रहती हैं। डिमांड इतनी अधिक रहती है कि कई टूरिस्ट वाले बरामदा ही किराए पर ले लेते हैं। उसी में अपने पूरे परिवार को स्टे करा देते हैं। इसके लिए भी उनको एक हजार रुपए प्रतिदिन बरामदा का किराया देना पड़ता हैं.

आवेदनों की भरमार

टूरिस्टों की संख्या में इजाफा को देखते हुए एक साल के अंदर टूरिज्म डिपार्टमेंट में आवेदन करने वालों की बाढ़ सी आ गयी हैं। अब तक करीब 5 सौ से अधिक लोगों ने लाइसेंस ले रखा है। इसके अलावा कई लोगों ने आवेदन कर रखा है।

जमकर हो रही आमदनी

टूरिज्म एसोसिएशन के पदाधिकारियों की मानें तो शहर में रजिस्टर्ड होटल, लॉज और पीजी की संख्या करीब 12 सौ के आसपास है। जबकि अनरजिस्टर्ड करीब 15 सौ के पार हैं.

टूरिस्ट फ्लो के चलते शहर में काफी तेजी से गेस्ट हाउस और लॉज खुले हैं। सबसे ज्यादा घाट किनारे पीजी और लॉज बने हैं। जिनके पास पांच कमरे तक के मकान हैं वे अपने रूम को टूरिस्टों को रेंट पर देने लगे हैं.

अमित गुप्ता, पर्यटन अधिकारी

शहर में करीब 12 सौ रजिस्टर्ड होटल, लॉज हैं। जब से विश्वनाथ धाम का लोकार्पण हुआ तब से घाट किनारे कई मकान, पीजी और लॉज में तब्दील हो गए हैं। इनकी संख्या करीब 15 सौ से अधिक हैं.

गोकुल शर्मा, अध्यक्ष, वाराणसी होटल एसोसिएशन

Posted By: Inextlive