खीरे के अंदर गांजा भरकर लाया था मुलाकाती पकड़ा गया पिछले एक साल से सक्रिय है गांजा सप्लाई करने वाला गैंग


वाराणसी (ब्यूरो)शहर में ही नहीं, बल्कि जिला जेल में गांजा सप्लाई का खेल चल रहा है। गुरुवार को जिला कारागार में एक कैदी से मिलने आया मुलाकाती अपने साथ खीरे के अंदर गांजा भर कर लाया था। हालांकि शक होने पर मुलाकाती युवक की चेकिंग की गई तो जेल में गांजा सप्लाई का खेल उजागर हो गया। वाराणसी में एक गैंग सक्रिय है, जो बड़ी मात्रा में मादक पदार्थ सप्लाई कर रहा है। गांजा के साथ पकड़े गए युवक से पूछताछ में कई अहम जानकारियां मिली हैं, जिसके आधार पर बहुत जल्द ही गांजा सप्लाई करने वाले गैंग का पर्दाफाश हो सकता है। पहले भी जेल परिसर डेढ़ किलोग्राम गांजा बरामद हुआ था। अभी हाल ही गांजा की बड़ी खेप भी पकड़ी गई थी। वाराणसी में पिछले एक साल से गांजे की बिक्री बढ़ गई है।

कैदी का ड्राइवर आया था मिलने

जिला कारागार चौकाघाट में लगभग एक साल से धोखाधड़ी के आरोप में बंद कैदी मनोज तिवारी बैरक-12 ए से मुलाकात करने के लिए उसका ड्राइवर 21 वर्षीय गोविंदा निवासी चंदौली पहुंचा था, जो अपने पास खीरा लिये हुए था। जिला कारागार पुलिस और चौकी प्रभारी जिला जेल, थाना लालपुर पांडेयपुर की संयुक्त चेकिंग में संदेह होने पर युवक की तलाशी ली गई तो प्लास्टि में लिपटा खीरा पाया गया। खीरे के अंदर मादक पदार्थ गांजा पाया गया। पकड़े गये युवक से पूछताछ करते हुए अग्रिम विधिक कार्यवाही की गई.

हर महीने 30 क्विंटल गांजे की खपत

डीआरआई के अनुसार बनारस में नशे के कारोबार में कई अंतराज्यीय गिरोह सक्रिय हैं। यह गांजा, भांग, अफीम, हेरोइन, चरस का अवैध व्यापार कर रहे हैं। आए दिन इनकी गिरफ्तारियां भी होती हैं। एक आंकलन के अनुसार वाराणसी शहर में हर महीने करीब 30 क्विंटल गांजा की खपत हो रही है। जबकि, हर रोज दस हजार लीटर से अधिक अवैध शराब की सेल होती है। भांग की खपत तो कई क्विंटल है। बिहार और बंगाल से आने वाले गांजे की खपत भांग के ठेकों पर होती है। जबकि, अवैध तरीके से अफीम और हेरोइन पुडिय़ों में बिकती है। हेरोइन की पुडिय़ा महिलाएं व बच्चे उपलब्ध कराते हैं। घाटों पर मौजूद साधु वेशधारी भी नशे की तस्करी में अहम भूमिका निभाते हैं.

बनारस की गलियां हैं मुख्य अड्डा

बनारस में लगभग 30 के आसपास भांग की लाइसेंसी दुकानें हैं। भांग की इन दुकानों की आड़ में चोरी छिपे गांजा की बिक्री होती है। घाट व घाट से सटी संकरी गलियों में नशे का सामान आसानी से मिल जाता है। गलियां ही मादक पदार्थ की तस्करी का मुख्य अड्डा भी है। बनारस कई ऐसी गलियां हैं, जो मादक पदार्थ के लिए जानी जाती है। हालांकि काशी में इसे बाबा का प्रसाद मानकर इसका सेवन करने वालों को खोजने की जरूरत नहीं। काशी में चवन्नी, अठन्नी और रुपया गांजे के लिये कोड वर्ड के रूप में इस्तेमाल होता है.

गांजे का डंपिंग सेंटर बना बनारस

बम्पर कमाई व हल्की सजा होने के कारण इस नशे के कारोबार में अपराधी व व्हाइट कॉलर के लोग शामिल हैं। उन्हीं के इशारे पर उड़ीसा और कर्नाटक से गांजा लाकर बनारस में डम्प किया जाता है। इसके बाद यहां से दिल्ली, मुरादाबाद, मेरठ, उत्तराखंड व पंजाब तक गांजे की सप्लाई की जाती है। बीएचयू के आसपास इलाकों में अधिकतर युवा सिगरेट पीते दिखे जाएंगे। सिगरेट में गांजा भरा होता है। गंगा घाट किनारे भी बड़ी संख्या में युवा नशा करते दिख जाएंगे। इसके अलावा लॉज, होटल, रेस्टोरेेंट में धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल होता है.

नशे के सौदागरों के नेक्सेस को खत्म करने में कमिश्नरेट पुलिस जुटी है। सभी थाना पुलिस को अलर्ट किया गया है। टीम लगातार गश्त कर रही है। सख्ती का नतीजा रहा कि जेल में गांजा सप्लाई करने जा रहा युवक पकड़ा गया.

अमित कुमार, डीसीपी, वरुणा

Posted By: Inextlive