Varanasi news: रंग बरसे, उड़े अबीर-गुलाल, मनी होली
वाराणसी (ब्यूरो)। रंगोत्सव के पर्व होली का रंग सबत्तर बरसा। सबका हियरा-जियरा झूमा। मान-मनौव्वल की ठेल में रंगों का अलमस्त मेल ऐसा पगा कि गिले-शिकवे औद दुख-दर्द रंगों का हाथ थामे होली के संग हो-ली। हुल्लड़बाजी में कोई करियर-हरियर होकर लहका तो कोई एक्जाई बार्निस पोत-पोतवाकर चहका। हर कोई घेर-घेर रगड़ै रंग लगाया-लगवाया। बड़े चाव से चुहलि, ठ_ा-मीठा संग भांग-बूटि छाना और ढोल-नगाड़ों पर गालियों को ताना, लेकिन बुरा न कोई माना। श्री काशी विश्वनाथ धाम से शुरू हुई होली दिनभर सड़कों और गलियों में छायी रही.
रंगों की बौछार
सुबह रंग बरसा तो सांझ ढलते अबीर-गुलाल और गले मिलौव्वल की बौछार हुई। लाज-शरम को पार करता त्योहार हर उम्र से खूब दुलराया। सोमवार को बाबा की नगरी में रंगों की गगरी हर तरफ छलक पड़ी। होलाष्टक से चढ़ी त्योहार की खुमारी होलिका की रात नियराया-उफनाया और होली की भोर रुनझुन बहा तो घाम चढ़ते खूब दुलराया। सड़कों, गलियों और टोले-मोहल्लों में रंगों की डोली लिए मस्तानों की टोली निकली तो होली की ठेलम-ठेल और खेलम-खेल में अंग-अंग भीज गया। इसमें अक्खड़ और फक्खड़ थे तो धक्कड़ और धाकड़ भी चपे थे। परेशान करना, झटका देना और लग्घा मारना जैसी सोलह कलाओं में हाथ-गोड़-मुड़ी सबकुछ रमा रहा.
टोलियां निकली
खालिस बनारसी हुल्लड़ और रंगपोशी के रिवाजों से लबरेज टोलियां झूमते-डोलते फगुआ घोल-घोल के मारते-फेंकते रहे। भांति-भांति के चेहरे, जो नीले-पीले होकर पहचान से परे थे। रंगों से रासरचाये रंगबाजों ने उम्र के फासलों और रिश्तों के फर्क से नाता तोड़ रखा था। सभी एक ही राग अलापते रहे वाह खिलाड़ीवाह! कहीं ढोल-ढफ और नगाड़ा पर कबीरा-जोगिरा सररररतो कहीं साउंड सिस्टम पर रंग बरसे चुनर वाली पर नाचती-नचाती मतवालों की मंडलियां पूरे जोश में नजर आयी.
मटकी फोड़ होली
चेतगंज और दशाश्वमेध घाट परं मटकी फोड़ होली का आनंद बिखरा तो गंगा तीरे भांग-गोटी और ठंडई का मदमस्त रंग निखरा। एक-दूसरे को ठेठ अंदाज में बधाई देते हरकारों की मस्त-मलंग फौज आधे दिन रास्ता नापती और टापती रही। दोपहर बाद होली के ज्यादातर होरियारों का ठिकाना गंगा का पथरीला किनारा रहा। होली के वीर घाट किनारे रगड़-घस से शरीर को रंगों से आजाद करने का जोर लगाते और गोता लगाकर अपने-अपने ठौर-ठिकानों की ओर जाते रहे। होली की धानी चुन्नट का रंग घर-आंगन में भी गहरा छिटका। महिलाओं और युवतियों ने भी भर बाल्टी रंग एक-दूसरे पर उड़ेला.
होली की दीवानगी
विदेशी और दक्षिण भारतीय भी रंगे काशी की अल्हड़ होली की दीवानगी विदेशियों के सिर चढ़कर भी बोली। सात समंदर पार से आये अंग्रेजों को रंगरेज बनने में गुरेज नहीं, बल्कि खुशी मिल रही थी। होटलों और गेस्ट हाउसों की लॉबी से लेकर गंगा घाट, सड़क व गलियों में विदेशियों ने रंग और अबीर संग त्योहार का आनंद लूटा। विश्वनाथ धाम में हजारों लोग रंग खेलने के लिए सुबह ही धाम पहुंच गए थे बाबा का दर्शन-पूजन करने के बाद होली खेलना शुरू किए। इनमें कई वीआईपी भी शामिल रहे.
मटका फोड़ होली भी खेली
शहर में कई जगह मटका फोड़ होली का रंग भी जमा। चेतगंज व्यवसायिक संघ द्वारा होली महोत्सव के तहत मटका फोड़ प्रतियोगिता व होली डांस का आयोजन किया गया। सुबह युवाओं की टोली पिरामिडनुमा मानवआकर बनाते हुए एक-दूसरे पर चढ़ते-उचकते रस्सी पर बंधी मटकी फोड़ी और तबीयत से गायी होरी.
खूब उड़ा अबीर-गुलाल
दिन में गीला-सूखा रंग इतराया तो शाम को अबीर-गुलाल इठलाया। अबीर-गुलाल का जोर कुछ ज्यादा ही जोश मारता रहा। त्योहार के कद्रदान एक-दूसरे को अबीर-गुलाल से नहलवाते और गले मिलते-मिलाते रहे। अबीर-गुलाल की जोरआजमाइश और लालमलाल चेहरों संग गुझिया-नमकीन और पुआ-पूड़ी की फरमाइश मनभावन रही।
आराध्यों को चढ़ा अबीर-गुलाल
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर समेत शहर के मंदिरों में आस्थावानों ने आराध्यों को अबीर दल चढ़ाकर दर्शन-पूजन किया। तिथि विशेष पर चौस_ी घाट स्थित चौसट्टी मंदिर में दर्शनार्थियों का रेला लगा रहा। इसके अलावा नगर के विभिन्न देवालयों और शिवालयों में दर्शनार्थियों का तांता देर रात रहा। जगह-जगह होली मिलन समारोह और हास्य कवि सम्मेलन में गीत-गवनई और समस्या व व्यवस्था की खूब खिंचाई हुई्.