साहब, 80 फीसदी केस सॉल्व तो हर रोज 200 कम्प्लेन क्यों
वाराणसी (ब्यूरो)। कमिश्नर साहब, बैनामा मेरे नाम है। खतौनी में नाम दर्ज है। इसके बावजूद एक दबंग उद्यमी ने मेरी जमीन कब्जा कर रखा है। डीएम साहब, जमीन मेरे नाम है। ट्रस्टी भी हूं, लेकिन शहर के नामी बाबा जबर्दस्ती उकत जमीन पर कब्जा कर रहे है। इसी तरह की फरियाद लेकर हर दिन कमिश्नरेट पुलिस मुख्यालय और राइफल क्लब में फरियादियों की भीड़ उमड़ रही है। फरियादियों से बातचीत और शिकायती पत्रों की पड़ताल करने पर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। फरियादियों का आरोप है कि उनकी जमीन व मकान पर कब्जा अपराधी तो नहीं, बल्कि दबंग, जनप्रतिनिधि, संत और उद्यमी कर रहे हैं। इनका प्रभाव भी इतना भारी है कि पुलिस व प्रशासन चाहकर भी कार्रवाई नहीं कर पा रहा है।लगातार बढ़ रहे हैं विवाद
आंकड़े बताते हैं कि कमिश्नरेट पुलिस के पास हर दिन सौ से अधिक तो एम के पास पचास से अधिक जमीन विवाद मामले पहुंचे रहे हैं। 50 विवाद हर रोज अन्य सुनवाई में पहुंच जाते हैं। पुलिस कमिश्नर, एडिशनल सीपी, डीएम की ओर से लगातार कार्रवाई की संस्तुति की जा रही है। शिकायतों को जनसुनवाई पोर्टल और आईजीआरएस पर अपलोड भी किया जा रहा है। इसकी समय-समय पर मुख्यमंत्री द्वारा खुद समीक्षा की जा रही है। कागजों पर करीब 80 फीसद मामलों का निस्तारण भी हो रहा है। बावजूद इसके जमीन विवाद कम नहीं हो रहे हैं।थानों में नहीं होती सुनवाईफरियादियों ने आरोप लगाया कि स्थानीय थाने में कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उनके शह पर कब्जा हो रहा है। सबसे ज्यादा शिकायत लोहता, मंडुवाडीह, रोहनियां, चौबेपुर, चोलापुर और सारनाथ थाना क्षेत्र की आ रही है। इन्हीं थानों में जमीन संबंधित शिकायतें भी सबसे ज्यादा हैं। मंगलवार को ही लालपुर-पांडेयपुर थाना क्षेत्र में जमीन बेचने के नाम पर 41 लाख रुपये की धोखाधड़ी किए जाने का मामला प्रकाश में आया। इस तरह के मामले लगातार वाराणसी में बढ़ रहे हैं। कई बार केस दर्ज होते हैं तो कई बार फरियादी चक्कर लगाते रहते हैं।यह भी जानना जरूरी
पीडि़त के पास आपराधिक और सिविल दोनों ही तरह के मुकदमे दर्ज करने का विकल्प होता है। आईपीएस की धारा 420 का इस्तेमाल मुख्य रूप से धोखाधड़ी के अनेक मामलों किया जाता है। अगर किसी व्य1ित को बल प्रयोग कर उसकी संपत्ति से हटाया गया है, तो ये कानून इस्तेमाल में लाया जा सकता है। किसी भी पीडि़त को सबसे पहले इसे इस्तेमाल में लाना चाहिए। इसी तरह धारा 406 का इस्तेमाल उस व1त किया जाता है जब कोई व्य1ित किसी अन्य व्यकित का विश्वास पात्र बनकर उसकी प्रॉपर्टी में सेंध लगाता है। इसे भी संगीन अपराध की श्रेणी में रखा गया है। पीडि़त व्य1ित इस धारा के तहत अपने नजदीकी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करा सकता है।हर तरह की शिकायतें आती हैं, लेकिन जमीन विवाद से जुड़े ज्यादा होते हैं। संबंधित जोन व सर्किल से मामले की जांच कराकर न्याय दिलाया जाता है। कई मामले कोर्ट में विचाराधीन होते है, जिमसें हस्तक्षेप संभव नहीं होता है।संतोष सिंह, एडिशनल सीपीजमीन विवाद को लेकर प्रार्थना पत्र ज्यादा आते हैं, जिसमें अधिकतर पुलिस से जुड़े होते हैं तो कार्रवाई के लिए संस्तुति की जाती है। कुछ मामले राजस्व से जुड़े होते है तो उसका समय सीमा के अंदर निस्तारण कराया जाता है।एस राजलिंगम, डीएम