बिचौलिए हुए हावी कच्चामाल स्टाक कर तैयार कर रहे मशीन से माल बाजार में सस्ते दामों में बेचने के लिए कर रहे डंप पारंपरिक कुटीर उद्यमियों में निराशा लिप्टस की लकड़ी का दाम हुआ ढाई गुना 800 से बढ़कर दो हजार रुपये क्विंटल हुआ

वाराणसी (ब्यूरो)कश्मीरीगंज की काष्ठकला उद्योग को बिचौलियों की नजर लग गई है। खोजवां की गलियों में बसे पांच सौ घरों में फिरंगी, लट्टू, सिंदूरदानी समेत कई उत्पाद बनते थे, जोकि पिछले एक महीने से ठप पड़ा हुआ है। इस कुटीर उद्योग से जुड़े लोगों के सामने गंभीर संकट खड़ा हो गया है। जिस लकड़ी से काष्ठकला के खिलौने तैयार करते थे, उसके दामों में भी दोगुना का इजाफा हुआ है। पहले जहां लिप्टस की लकड़ी 800 रुपये क्विंटल मिलती थी, वो अब बढ़कर 2000 रुपये हो गई है.

काष्ठकला पर बिचौलियों का कब्जा

काश्मीरीगंज में हर गली हर घरों में काष्ठकला के खिलौने तैयार होते हैं। सभी कारीगर अपने हाथों से खिलौने को तराशते हैं और इसके बाद मार्केट में बेचते हंै। बड़ी बात यह है कि यहां के काष्ठकला की डिमांड देश ही नहीं विदेशों में भी है, क्योंकि आज भी कारीगर काष्ठकला के खिलौने को हाथ से ही तैयार करते हैं। देश व विदेशों में खिलौनों की मांग को देखते हुए अब इसमें बिचौलिए कूद पड़े हैं। वह इस कुटीर उद्योग पर अपना कब्जा कर लिए हैं। करीब पांच से छह मशीनें लगाकर इस उद्योग पर कब्जा कर लिए हैं.

कारीगरों से छीना कला

कश्मीरीगंज में तरह-तरह की मशीन लगाकर कारीगरों की कला को छीन लिया गया है। काष्ठकला में भी मशीन का प्रयोग होने से इसकी कला पर अब बट्टा लगने लगा है। पहले जो खिलौने कारीगर के हाथ से तैयार होते थे, अब उसे मशीन से तैयार किया जा रहा है। इसके चलते जो पांच सौ कारीगर काष्ठकला के खिलौने तैयार करते थे, पिछले एक महीने से उनका काम बंद है.

मशीन ने खत्म कर दी कला को

लिप्टस की लकड़ी को तराश कर जो कारीगर खिलौने तैयार करते थे, अब उसकी जगह मशीन ने ली है। जो हुनर हाथ से बनाने में खिलौने में दिखता था वह काष्ठकला की रंगत को मशीन ने खत्म कर दिया है। इससे जुड़े कुटीर उद्यमियों को भी बिचौलिए खत्म करते जा रहे हंै। इस कुटीर उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार ने अगर जल्द कुछ नहीं किया तो कश्मीरीगंज में एक भी काष्ठकला का उद्योग नहीं दिखेगा.

पूंजीपतियों ने डंप कर रखा है कच्चामाल

काष्ठकला उद्योग को बढ़ाने के लिए यूपी सरकार हो या फिर केन्द्र सरकार ने तमाम योजनाएं लाई, लेकिन सभी योजनाओं का लाभ पूंजीपति उठा रहे हैं। ऐसा कहना है कुटीर उद्योग से जुड़े लोगों का। एक महीने से कश्मीरीगंज के कुटीर उद्यमियों का कारोबार बंद है। विभाग का कोई अफसर देखने नहीं आया कि ऐसा क्यों हो रहा है। पूंजीपतियों ने बल्क में लिप्टस की लकड़ी खरीदकर डंप कर रखे हैं। इसका खामियाजा कारीगरों को भुगतना पड़ रहा है।

काष्ठकला में पूंजीपति घुस गए हैं। जो बल्क में माल तैयार कर कुटीर उद्यमियों से रोजगार छीनना चाह रहे हैैं। ऐसे लोगों पर सरकार रोक लगाए.

विदेशों में भी होता निर्यात

कश्मीरीगंज के हर गली, घरों में बनते हैं सिंदूरदानी, फिरकी, डिब्बी, पालना, पिटारी

पांच सौ कुटीर उद्यमी तैयार करते हैं सुहागिनों के लिए सिंदूरदानी

यहां का खिलौना देश ही नहीं विदेशों में भी होता है निर्यात

यह होते हैं तैयार

सिूंदरदानी

फिरकी

लट्टी डिब्बी

पालना

पिटारी

आनंद वर्मा, अध्यक्ष, वाराणसी काष्ठकला खराद खिलौना दस्तकारी समिति

पिछले एक महीने से कुटीर उद्यमियों का उद्योग ठप पड़ा है। कच्चामाल का दाम भी दोगुना से अधिक बढ़ गया है। सरकार इसमें छूट दे, ताकि कुटीर उद्योग चल सके.

राजकुमार सिंह, महामंत्री,

कश्मीरीगंज का काष्ठकला उद्योग ठप पड़ा हुआ है। बिचौलियों क्यों हावी हुए इसके बारे में पता करेंगे। रही बात लिप्टस की लकड़ी की तो इसकी भी जांच करेंगे.

मोहन शर्मा, उपायुक्त, उद्योग

Posted By: Inextlive