Varanasi news : 20 फुट लंबे नाग का टूटेगा घमंड
वाराणसी (ब्यूरो)। 20 फुट लंबा नाग देखकर चौंकिए नहीं। यह रियल का नाग नहीं बल्कि नटवर नागर जिस नाग का घमंड तोड़ेंगे, उसे लोग तैयार कर रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध नाग नथैया की लीला आज शुक्रवार को तुलसीघाट पर होगी और लाखों लोग इसके साक्षी होंगे। गंगा आज फिर यमुना बनेंगी और श्रीकृष्ण गेंद यमुना में फेंककर गेंद निकालने के लिए कदम की डाल पर चढ़ेंगे और लीला का मंचन करेंगे। इस अद्भुत पल को आंखों में संजोने के लिए शुक्रवार की शाम लाखों लोग पहुंचते हैं। इसको देखते हुए नाग नथैया की तैयारी जोर-शोर से चल रही है.
पुआल भरकर बनाते हैं
नाग नथैया की तैयारी अंतिम दौर में चल रही है। देर शाम तक कर्मचारियों ने 20 फुट लंबा नागराज को बना दिया है। नागराज को बनाने के लिए कपड़े की खोली में पुआल भरते है इसके मुंह पर सात फन वाले नाग का ढांचा लगाते है। इसके बाद नाग को पानी में छोड़ दिया जाता है। नाग की रस्सी घाट पर गड़े खूंटे से बंधी रहती है और उसे कमल वाले बांस के सहारे बांध दिया गया है। नागनथैया के दिन कृष्ण का किरदार कौन निभाएगा, इसके लिए शुक्रवार की सुबह चयन किया जाएगा.
संकट मोचन मंदिर से आता है पेड़
नाग नथैया के दौरान जिस पेड़ श्रीकृष्ण जी चढ़ते है वह संकट मोचन के बगीचे से लाया जाता है। लीला के दिन भोर में ही श्री संकटमोचन मंदिर के बगीचे से कदंब का पेड़ काटकर लाया जाता है। पेड़ काटने से पहले कदंब के वृक्ष की पूजा की जाती है। एक पेड़ काटने के एवज में लगभग एक हजार पौधे भी लगाए जाते हैं। यही कारण है कि पूरा बगीचा आज जंगल का रूप ले चुका है.
तुलसीदास के जमाने से चली आ रही
नागनथैया लीला की परंपरा गोस्वामी तुलसी दास के जमाने से पांच सौ वर्षों से अनवरत चली आ रही है। लीला के लिए पेड़ काटने के बाद भक्त अपने कांधे पर लादकर तुलसी घाट लाते हैं। जहां से वृक्ष काटा जाता है, उसी दिन वहां एक और कदंब का नया पौधा लगा दिया जाता है। इसके बाद सुबह ही गंगा जी में दो बांस गाड़कर दो कमलपुष्प के प्रतीक रूप में उसी बांस के सहारे पेड़ लगा दिया जाता है.
लक्खा मेले में शुमार
काशी के लक्खा मेले में शुमार नाग नथैया की लीला इस बार 17 नवंबर को तुलसीघाट पर होगी। कार्तिक शुक्ल चतुर्थी शुक्रवार की शाम को तुलसीघाट पर भगवान श्रीकृष्ण की नागनथैया लीला सजेगी। लीला में ठीक शाम 4:40 बजे प्रभु कदंब की डाल से कूदेंगे और कालिया नाग को नाथकर उसके फन पर नृत्य मुद्रा में बांसुरी बजाते हुए श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे। अखाड़ा गोस्वामी तुलसीसदास की ओर से आयोजित लीला को देखने के लिए हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ आती है।
तुलसीघाट की सफाई
लीला के लिए तुलसीघाट की सफाई की गयी। वहां पर लोगों को बैठने के लिए दरी बिछा दिया गया है। इसके अलावा वीवीआईपी के बैठने के लिए चौकी भी लगाया गया है। घाट किनारे प्रभु श्रीकृष्ण के बाल खेलने के स्थान पर भी रेड कार्पेट बिछाया गया है। घाट किनारे श्रीकृष्ण अपने सखा संग फूल से बने गेंदा को खेलते हैं जो यमुना में चला जाता है.