शहर में मलजल शोधन की क्षमता 420 एमएलडी नालों के पानी का शोधन हो रहा है 324 एमएलडी भगवानपुर और लोहता में 55 एमएलडी की एसटीपी बनाने के लिए भेजा गया प्रपोजल नालों की पानी की बर्बादी रोकने के लिए सात के अलावा दो और एसटीपी बनाए जाएंगे

वाराणसी (ब्यूरो)यह जानकार आप हैरान होंगे कि आपके शहर में प्रतिदिन 434 मिलियन लीटर मलजल घरों से निकलता है। इसमें 324 एमएलडी मलजल तो जलकल विभाग शोधन कर डिपार्टमेंट दूसरे कार्यों में यूज कर रहा है लेकिन अभी भी प्रतिदिन 110 एमएलडी नालों से निकलने वाले पानी बर्बाद हो रहा है। इसे बचाने के लिए भी जलकल विभाग प्रयास में जुटा हुआ है। गलियों, मुहल्लों और कालोनियों से निकलने वाले मलजल सीधे नालों में जाकर गिरते हैं और नाले का मलजल प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सीधे गंगा, वरुणा और अस्सी में जाकर गिरते हैं.

मुहल्लों से निकलता है मलजल

शहर के मुहल्लों से बड़े पैमाने पर मलजल निकलता है। इसमें कालोनी भी शामिल है। इसके अलावा फैक्ट्री, कारखाने और गलियों में चलने वाले कुटीर उद्योगों से निकलता है। गंदे पानी के शोधन के लिए जलकल विभाग युद्धस्तर पर कार्य कर रहा है। शहर का विस्तार होने के बाद नालों में भी गंदा पानी काफी तेजी से बढ़ा है। इस पर भी विभाग की नजर है.

जल संचय के लिए भी चल रहा प्रयास

बारिश के पानी के साथ नालों के पानी को शोधन कर संचय किया जाए तो भूजल का लेवल बरकरार रहे। लेकिन, शहरवाशी अभी इस मामले में काफी पीछे है। काशीवासियों को भी रेन वाटर हारवेस्टिंग अपने घरों में लगाकर जल का संचय करना चाहिए। इससे आने वाले दिनों में पानी का संकट कम हो सकता है। हर नागरिक जिम्मेदारीपूर्वक जल संचय करने लगे तो शहर में पानी की समस्या काफी हद तक कम हो सकती है.

गंगा में गिर रहा नालों का पानी

गंगा से 24 नाले जुड़े हैं और वरुणा से 14 नाले। इन नालों का पानी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से गंगा व वरुणा को दूषित कर रहा है। गंगा में करीब 20 से 25 एमएलडी नालों का पानी तो अस्सी में 70 75 एमएलडी नालों का पानी गिर रहा है। इसके शोधन के लिए जलकल विभाग प्रयास कर रहा है। अस्सी में 50 एमएलडी नालों का पानी शोधन के लिए रमना जाता है.

नालों के पानी को शोधन को 7 एसटीपी

शहर के मुहल्लों व कालोनियों से निकलने वाले मलजल के शोधन के लिए शहर में 7 एसटीपी बनाए गए हैं। इन एसटीपी से प्रतिदिन 350 एमएलडी से अधिक मलजल का शोधन किया जाता है। गंगा व वरुणा में मलजल कम गिरे, इसके लिए भी जलकल विभाग का प्रयास जारी है.

दो और एसटीपी बनेगा

नालों के पानी के शोधन के लिए भगवानपुर और लोहता में दो एसटीपी बनना है। दोनों का डीपीआर बनाकर भेजा गया है। इनमें 55 एमएलडी भगवानपुर और 55 एमएलडी की एसटीपी लोहता में बनाने के लिए डीपीआर भेजा गया है। एसटीपी बनने के बाद नालों के पानी की बर्बादी बंद हो जाएगी.

नालों की पानी की बर्बादी रोकने के लिए भगवानपुर और लोहता में 55 एमएलडी के नौ और एसटीपी बनाए जाएंगे। इसके लिए प्रपोजल बनाकर भेजा गया है.

विक्की कश्यप, जेई, एसटीपी

Posted By: Inextlive