Varanasi news: बनारस में रैश ड्राइविंग और स्टंट से रोज टूट रहीं 100 लोगों की हड्डियां
वाराणसी (ब्यूरो)। रहम करो, यह शरीर है कोई भूसे की दुकान नहीं। आज के बाइकर्स में दया नाम की चीज ही नहीं है, तभी तो रैश ड्राइविंग और स्टंट मारते समय भूल जाते हैं कि उनका भी हाथ-पैर और चेहरा है। यही वजह है कि रोड एक्सीडेंट में सबसे अधिक यंगस्टर्स हाथ-पैर तुड़वा रहे हैं। शौक पालने के लिए महंगी कार और बाइक तो लें रहे, लेकिन अपनी जान की परवाह नहीं कर पा रहे हैं। कार हो चाहे बाइक स्टंट, राइडर्स और फर्राटा भरने से प्रतिदिन हास्पिटलों में 90 से 100 केस हाथ और पैर टूटने के आ रहे है। इनमें सबसे अधिक स्टंट मारने के बताए जा रहे हैं.
जानलेवा हो रहा शौक
शौक जानलेवा हो सकता है यह कोई जान भी नहीं पाया। शौक के लिए आज के यूथ नए-नए मोटरसाइकिल, और कार ले ले रहे हैे लेकिन संभाल नहीं पा रहे है। जहां शाम हो रहा है स्टंट मारने के लिए हाईवे पर निकल जा रहे है। कोई हाथ छोड़कर बाइक से फर्राटा भरता है तो कोई सिगरेट पीते हुए स्टंट मारता है। यकीन नहीं करेंगे आप इन बाइकर्स के एक्सीडेंट तो हो ही रहे है इनको बचाने में प्रतिदिन किसी न किसी के हाथ-पैर टूट जा रहे है।
हाईवे पहली पसंद
बाइकर्स और कार ड्राइव के लिए यंगस्टर्स का सबसे पसंदीदा जगह बन गया है हाईवे। शिवपुर से बाबतपुर रोड स्टंट मारने के लिए बाइकर्स सबसे अच्छा समझते है। इसके बाद बीएचयू, रामनगर बाइपास, मोहनसराय बाइपास भी स्टंट मारने के लिए अच्छा स्पॉट बन गया है। यहां पर बाइकर्स स्टंट तो मारते ही है साथ ही एक-दूसरे की वीडियो भी बनाते है।
हड्डियां हो रहीं कमजोर
बीएचयू ट्रामा सेंटर के आर्थो विशेषज्ञ डॉ। राकेश विश्वकर्मा का कहना है कि पहले की तरह आज के यूथ में हड्डियां मजबूत नहीं है। ज्यादातर लोगों की हड्डियां कमजोर हो चुकी है। इसके चलते थोड़ा सा भी कहीं एक्सीडेंट हो रहा है हाथ-पैर में फ्रैक्चर हो जा रहा है।
हर माह 2500 आपरेशन
डॉ। राकेश विश्वकर्मा का कहना है कि ऐसे तो ट्रामा सेंटर में पूर्वांचल ही नहीं बिहार और अन्य राज्यों के भी केस आते है लेकिन वह काफी गंभीर केस होते है लेकिन सिटी समेत आसपास के एरिया से ज्यादातर केस पैर, सिर और हाथ टूटने के आते है। इसका कारण ज्यादातर युवाओं ने बाइक में लेग गार्ड नहीं लगाना बताया जा रहा है। हाईवे पर स्टंट मारते समय भूल जाते है कि उनके शरीर में भी हाथ पैर है। किसी वाहन से उनकी बाइक जब टकराती है सीधे हाथ पैर बुरी तरह टूट जाते है। इसके चलते सर्जरी करना भी काफी मुश्किल भरा होता है।
प्राइवेट में अधिक मामले
डॉ। अभिषेक राय का कहना है कि पहले लोग साइकिल और वेस्पा और स्कूटर चलाते थे बहुत कम एक्सीडेंट होता था और हडिडयों में फ्रैक्चर भी काफी कम होता था। लेकिन वर्तमान में फ्रैक्चर और हडिड्डयों के टूटने का केस बढ़ गए है। प्रतिदिन कबीरचौरा मंडलीय अस्पता में 10 से 15 केसे सिर्फ हड्डियों के टूटने के आते है। यही हाल पं। दीन दयाल अस्पताल का है। सरकारी अस्पतालों केस तो पता चल जाता है लेकिन सिटी में कई ऐसे प्राइवेट हास्पिटल है वहां भी हडिडयों के टूटने के केस आते है। ऐसे केस की तो कोई गिनती ही नहीं है।
जो यूथ स्टंट करते है उनके गार्जियंस को उनसे बाइक छीन लेनी चाहिए ताकि एक्सीडेंट से बच सके। आउट साइडर में जाकर महंगी-महंगी गाडिय़ों से स्टंट मारते है.
विकास श्रीवास्तव, एसीपी ट्रैफिक
खानपान बदलने की वजह से पहले के मुताबिक हडिडयां काफी कमजोर हो गयी है। इससे तो हडिडयां टूट ही रही है साथ जो यूथ है स्टंट मारते है ऐसे केस भी काफी बढ़ गए है.
डॉ। राकेश विश्वकर्मा, आर्थोपेडीक, ट्रामा सेंटर, बीएचयू
रोड एक्सीडेंट के केस काफी बढ़ गए है। हास्पिटल में प्रतिदिन 15 से 20 केस सिर्फ हडिड़यों के टूटने के आ रहे है। कई ऐसे भी आ रहे है जिन्होंने बाइक से फर्राटा भरा है.
डॉ। अभिषेक राय, हडडी रोग विशेषज्ञ, कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल