Meerut News : काम समय पर करना होगा, क्योंकि अब लेटलतीफी 'दर्पण' में दिखेगी
मेरठ (ब्यूरो)। साल 2018 में नगर निगम को ऑनलाइन व्यवस्था से जोड़ा गया था। इसके तहत नगर निगम की अधिकतर सेवाओं को ऑनलाइन कर दिया गया ताकि सभी काम समय से पूरे हो सकें। बावजूद इसके तीन साल बाद भी ऑनलाइन सेवाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में लगातार बढ़ रही लेट-लतीफी की शिकायतों के चलते नगर निगम को ई-नगरीय सेवा और दर्पण पोर्टल से जोड़ गया है। इस पोर्टल पर आने वाले आवेदनों की सीधा मुख्यालय स्तर से निगरानी की जाती है और संबंधित समस्या का तय समय पर निस्तारण करना होता है।
7 दिन में निस्तारण
इस पोर्टल पर जुडऩे से आवेदकों को अपने हाउस टैक्स का निर्धारण करने और बिल में गड़बड़ी को दूर करने के लिए सात दिन का निर्धारित समय मिलेगा। यानि आवेदन होने के सात दिन के अंदर कर निरीक्षक को हाउस टैक्स संबंधित आवेदन का निस्तारण करना होगा। कुछ ऐसा ही संपत्ति नामांतरण के मामले में होगा। संपत्ति नामांतरण के मामले का आवेदन आने के बाद करीब सवा महीने के अंदर पूरी जांच के लिए नामांतरण प्रक्रिया को पूरा करना होगा।
देरी पर लगेगी पेनल्टी
इस प्रक्रिया के तहत आवेदन आने के निश्चित समय तक यदि समस्या का समाधान नही होता है तो संबंधित विभाग के अधिकारी पर पेनेल्टी लगेगी। इतना ही नहीं, मुख्यालय स्तर से संबंधित अधिकारी को देरी का कारण बताओ नोटिस दिया जाएगा। खुद नगर विकास मंत्री पोर्टल के माध्यम से आवेदनों की प्रोग्रेस को रेंडम चेक कर सकेंगे।
ब्रजपाल सिंह, सहायक नगरायुक्त फैक्ट्स
पीटैक्सएमएनएन वेबसाइट पर नामांतरण और न्यू प्रॉपटी टैक्स का विकल्प।
2.44 लाख आवासीय संपत्तियों से वसूला जाता है हाउस टैक्स।
30 हजार से अधिक कमर्शियल संपत्तियों से वसूला जाता है टैक्स।
49 करोड़ रुपए के करीब सालाना हाउस टैक्स वसूल कर रहा है निगम।
5 लाख से अधिक आवास निगम दायरे में, आधे से हो रही टैक्स की वसूली।
हर माह 30 से अधिक आते से संपत्ति नामांतरण के आवेदन।