पानी की कीमत तुम क्या जानो वाटर पार्क वालों!
मेरठ (ब्यूरो)। कहते हैं कि पानी को बनाया नहीं जा सकता है, बल्कि उसे बचाया जा सकता है। जल से ही जीवन है। ऐसी बातें आप अपने खूब सुनते होंगे। पानी को बचाना हमारी जिम्मेदारी है। यह शपथ भी आपने खूब ली होगी। लेकिन शहर में जल संरक्षण की क्या स्थिति है अब वाटर पार्क में बर्बाद होते पानी को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं। मेरठ और आसपास का क्षेत्र वैसे भी डार्क जोन यानि पानी के संकट से जूझ रहा है। ऐसे में वाटर पार्क में बर्बाद होता पानी कई सवाल खड़े कर रहा है।
सारे प्रयास हो रहे फेल
गौरतलब है कि गर्मी में भूगर्भ जल संरक्षण की कवायद होती है। प्रशासन के साथ-साथ कई स्वयंसेवी संस्थाएं भी भूगर्भ को बचाने के लिए जनजागरुकता फैलाती हैं। मकसद ये होता है कि भूगर्भ जल को बचाया जा सके, लेकिन इन दिनों मनोरंजन के नाम पर शहर के वाटर पार्क भूगर्भ जल का खुलेआम दोहन कर रहे हैं। कुछ देर के मनोरंजन के लिए कई गैलन पानी बर्बाद किया जा रहा है।
भूमिगत जल का हो रहा दोहन
हालत यह है कि शहर में संचालित प्रमुख वाटर पार्क मेें रोजाना हजारों लीटर भूमिगत जल का दोहन हो रहा है लेकिन इस दोहन की अनुमति ना तो प्रशासन से ली गई है और ना ही भूगर्भ जल विभाग से। इतना ही नही भूगर्भ जल विभाग की एनओसी का दावा कर वाटर पार्क मैनेजमेंट के स्तर पर प्रशासन की आंख में धूल झोंक रहा है। यह स्थिति तब है जब वाटर पार्क उस जगह पर बने हुए हैं जहां पहले से ग्राउंड वाटर लेवल काफी कम है।
गर्मियों की शुरुआत के साथ ही परतापुर में फैंटेसी वाटर वल्र्ड और पल्लवपुरम में 360 आईसलैंड वाटर पार्क का संचालन शुरु हो गया है। वाटर पार्क में स्लाइडर, रेन डांस, स्वीमिंग पूल, वाटर फॉल, वेव्ज पूल आदि के नाम पर भूमिगत जल का प्रयोग किया जाता है।
बिना एनओसी के चल रहे वाटर पार्क
भूगर्भ जल विभाग के अनुसार वाटर पार्क संचालन में जल का दोहन होता है जल कितना दोहित किया जाए इसके मानक निर्धारित है। खासतौर पर यदि वाटर पार्क डार्क जोन में संचालित हो रहा हो तो। लेकिन शहर में संचालित दोनों वाटर पार्क को भूगर्भ जल विभाग की अनुमति या एनओसी के बिना ही संचालित किया जा रहा है। जबकि पार्क संचालकों ने टिकट लगाकर यहां कमाई की जा रही है। पार्क में सोमवार से शुक्रवार तक 400 से 600 रुपये प्रति व्यक्ति, शनिवार रविवार को 450 से 700 प्रति व्यक्ति का टिकट बेचा जा रहा है।
गौरतलब है कि दो साल पहले भी परतापुर स्थित फैंटेसी वल्र्ड वाटर पार्क को सरकारी अनुमति के बिना ही संचालित करने का मामला सामने आया था। तब वाटर पार्क को बंद कर दिया गया था। इस पार्क के पास पावर कारपोरेशन, नगर निगम, पीडब्लूडी, पुलिस, फायर सर्विस जैसे तमाम विभागों की एनओसी नही थी। बिना अनुमति काटे गए थे पेड़
कुछ साल पहले परतापुर वाटर पार्क प्रकरण पर सारथी संस्था के सदस्यों ने भी कलक्ट्रेट पर ज्ञापन देकर शिकायत की। संस्था की अध्यक्ष कल्पना पांडे ने आरोप लगाया था कि वाटर पार्क के लिए हरे भरे पेड़ों को काटकर पार्किंग बना दी गई है। साथ ही यह ऐसी जगह बनाया है कि ओवरब्रिज के ऊपर से पूल का नजारा दिखता है जो महिलाओं के लिए ठीक नहीं है।
एनओसी के नाम पर झूठ
इस संबंध में जब फैंटेसी वल्र्ड वाटर पार्क के मैनेजर अंकित चौधरी से भूगर्भ विभाग की एनओसी की जानकारी की बात की गई तो मैनेजर ने कहा कि उनके पास सभी एनओसी हैं लेकिन जब एनओसी दिखाने के कहा गया तो बात गोलमोल कर दी गई। वहीं भूगर्भ जल विभाग के नोडल अधिकारी नवरत्न कमल के अनुसार अभी तक शहर के किसी भी वाटर पार्क ने जल के दोहन के लिए उनके विभाग में ना तो आवेदन किया है और ना ही विभाग द्वारा एनओसी जारी हुई है।
नवरत्न कमल, नोडल अधिकारी, जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद हमारे पास एनओसी है। फिर भी एक बार में रिकार्ड चेक करा लूंगा। वैसे भूगर्भ विभाग का ऑफिस कहां पर है हम उनसे इस मामले में बात कर लेंगे।
अंकित चौधरी, मैनेजर, फैंटेसी वल्र्ड वाटर पार्क
हमने पहले सुरक्षा को लेकर आर्पित्त उठाई थी। वाटर मानकों के अनुरुप संचालन जरूरी है यदि मानक पूरे नहीं हैं तो संचालन नहीं होना चाहिए। क्योंकि यह आमजन के लिए खतरनाक हो सकता है-
कल्पना पांडेय, अध्यक्ष सारथी संस्थान
रवि कुमार, अध्यक्ष, बूूद दफाउंडेंशन जब तक पानी का रोटेशन में ट्रांसफोरमेशन ना हो ये सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। डॉर्क जोन में वाटर पार्क को हर स्थिति में मानक पूरे करने के बाद ही संचालन की अनुमति मिलनी चाहिए। बिना मानक पार्क का संचालन नही होना चाहिए।
गिरिश शुक्ला, अध्यक्ष, नागरिक जागरुक एसोसिएशन