चुनाव आते ही एक्टिव हो जाती हैैं हथियार फैक्ट्रियां
मेरठ (ब्यूरो)। मेरठ की लिसाड़ी गेट थाना पुलिस ने ऐसे ही एक हथियार फैक्ट्री को बुधवार को पकड़ा है जो कि शहर के बीचों-बीच रिहाएशी इलाके में चल रही थी। यहां पर ऑन डिमांड हथियार बनाए जा रहे थे। वहीं आरोपियों ने खुलासा किया कि विधानसभा चुनावों के दौरान हिंसा फैलाने के लिए इन हथियारों को सप्लाई किया जाना था।
दिल्ली चुनाव से पहले खुलासा
इतना ही नहीं, बताया जा रहा है कि बुधवार को पकड़े गए आरोपी पिछले चुनाव और लोकसभा चुनाव में भी भारी मात्रा में असलाह सप्लाई कर चुके हैं। इस विधानसभा चुनाव में भी असलाह खरीदारी के काफी आर्डर आए हुए थे। जनवरी 2020 में गणतंत्र दिवस अलर्ट के बीच लिसाड़ी गेट में अवैध तमंचों की फैक्ट्री दिल्ली पुलिस ने हरियाणा के हथियार सप्लायर की निशानदेही पर पकड़ी थी। तब यहां से लगभग 50 पिस्टल और अधबने असलहे पकड़े गए थे। एक आरोपी नूर हसन को भी दबोचा गया था। उससे पूछताछ में सामने आया था कि उसका परिवार जिन हथियारों की सप्लाई कर रहा था। उनका इस्तेमाल दिल्ली में फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनावों में हिंसा फैलाने के लिए किया जाने वाला था। मेरठ में भी 20 दिसंबर 2019 को सीएए के विरोध में हुई हिंसा में पुलिस पर फायरिंग के लिए भी इन्हीं हथियारों के प्रयोग का मामला सामने आया था।
गौरतलब है कि पूरे देश में बिहार के मुंगेर में बने अवैध हथियार सप्लाई किए जाते हैैं। मेरठ का लिसाड़ीगेट भी मुंगेर की तर्ज पर आगे बढ़ रहा है। इतना ही नहीं, हालत तो यह हैं कि लिसाड़ी गेट में मुंगेर के कारीगर भी अवैध हथियार बनाने की ट्रेनिंग देते पकड़े जा चुके हैं। शहर के बीचोबीच लिसाड़ी गेट में कई बार अवैध तमंचा फैक्ट्रियां पकड़ी जा चुकी हैं, लेकिन पुलिस कभी उन पर ठोस कार्रवाई नहीं कर सकी। इससे पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े होते हैं। पुलिस अक्सर अवैध फैक्ट्रियों से हथियार बनाने वाले कारीगरों को पकड़कर अपना काम पूरा कर लेती है, जिससे हथियारों की असली सप्लायर बच निकलते हैं। और कुछ समय बाद फिर बड़े पैमाने पर हथियारों का प्रोडक्शन शुरू हो जाता है। दूसरे राज्यों की पुलिस एक्टिव
लिसाड़ी गेट में स्थानीय पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती, जबकि दूसरे राज्यों की पुलिस इन इलाकों में दबिश देकर अवैध हथियारों की फैक्ट्रियों और कारोबार का खुलासा कर देती है।
कई राज्यों में सप्लाई
अवैध हथियारों की फैक्ट्रियों से पकड़े गए कारीगरों और दूसरे राज्यों की पुलिस की बार-बार दबिश से यह साफ है कि अवैध हथियारों की सप्लाई देश के कई राज्यों तक है। इनमें दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा भी शामिल हैं। सोमवार को हुए खुलासे में भी एसएसपी ने बताया कि मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर, शामली, बागपत, बुलंदशहर आदि जिलों से ऑन डिमांड हथियार तैयार किए जा रहे थे।
मेरठ शहर में ब्रह्मपुरी
किठौर में रार्धना
मुंडाली में जिसौरा, जिसौरी,
परीक्षितगढ़ में अहमदनगर बढ़ला
खादर के कई गांव
मुजफ्फरनगर के कई गांव अवैध हथियारों के दाम
तमंचा -- 2000-7000 रुपये
पीतल पचपेड़ा रिवॉल्वर -- 3500
मेरठी पिस्टल (6 गोली) -- 4 से 12 हजार
मेरठी पिस्टल (9 गोली) -- 12 से 17 हजार
मेरठी रिवॉल्वर (5 गोली) -- 20 से 30 हजार
मेरठी रिवॉल्वर (6 गोली) -- 30 से 45 हजार ऑनलाइन अवैध कारोबार
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट दिसंबर में अपनी इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट में खुलासा किया था कि अब अवैध हथियार फैक्ट्री के मालिकों ने अपने पैसा सेफ रखने के लिए डिमांड से लेकर भुगतान तक ऑनलाइन कर दिया है। हथियारों के सैंपल भी वॉट्सऐप पर दिखाए जाते हैं और कमीशन भी ऑनलाइन दिया जाता है।
शनिवार को सप्लाई नहींं
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के इनवेस्टिगेशन में सामने आया था कि बाकी लोगों की तरह ही हथियार तस्कर भी शनिवार को लोहे का लेन-देन करना अशुभ मानते हैं। इसी वजह से अवैध हथियारों की ज्यादातर डील सोमवार या शुक्रवार को की जाती हैं। इनके लिए कोडवर्ड '15Ó है। सोमवार हफ्ते का पहला दिन यानी 1 नंबर। वहीं शुक्रवार हफ्ते का पांचवा दिन यानी 5 नंबर। इन दोनों दिन सड़कों, बसों और ट्रेनों में ज्यादा भीड़ होने से पकड़े जाने का डर भी कम रहता है।