Meerut : दो अप्रैल 2011 को मुंबई में जब सचिन पहली बार सबके सामने रोए थे. तब सोचकर ही रूह कांप उठी थी कि एक दिन क्रिकेट का शहंशाह क्रिकेट को अलविदा कहेगा. और जब आज वो दिन आया तो मन में बार-बार हुआ खबर झूठी हो.


सचिन हम नहीं भूलेंगे दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तुम्हारा वो दोहरा शतक, बांग्लादेश के खिलाफ 100वां शतक, आस्ट्रेलिया के खिलाफ शारजहां की वो पारी। पल-पल हमें तड़पाएगी। तुम्हारी पाक के खिलाफ 2003 वल्र्डकप की पारी।सचिन तुम्हारे आने से क्रिकेट का एक नया युग चला, जो आज तुम्हारे संन्यास लेने के साथ ही खत्म हो गया। संन्यास जरूर वनडे से है, लेकिन यादें बहुत तड़पाएंगी।हमें याद है आंखों में खुशी के आंसू लिए वल्र्डकप जीतने के बाद जब तुम दौड़े-दौड़े युवराज से गले लगे थे, मैदान पर तुम्हारी नीली जर्सी में वो दौड़, नहीं भूलेंगे हम। नहीं भूलेंगे हम वल्र्डकप जीतने पर टीम मेंबर्स का तुम्हे कंधे पर उठाना। नहीं भूलेंगे तुम्हारी वो हंसी, तुम्हारा निर्दोष, शांत सा चेहरा जो बल्ले की भाषा समझता था। वन डे क्रिकेट की पहचान तुमसे ही थी, तुमने ही तो वनडे क्रिकेट को जन का बनाया। 23 दिसंबर, नहीं भूलेंगे हम।


 तुम्हे देखकर ही युवाओं ने क्रिकेट को बतौर करियर चुना। खुशनसीब हैं वो जिनका तुम्हारे संग खेलने का सपना पूरा हो पाया। नहीं भूलेंगे हम तुम्हारा शेन वार्न के सपनों में आना, नहीं भूलेंगे हम तुम्हारा शतक बनाने के बाद आसमां में देखकर पिता को याद करना।

तुमने वनडे से सन्यास की घोषणा तो कर दी है पर अब भी, जाने क्यूं मन करता है खबर झूठी हो।आपका फैन

Posted By: Inextlive