जरा रुकिए, आपकी डिग्री जांच के दायरे में है
मेरठ (ब्यूरो)। सीसीएसयू और उससे संबंद्धित कॉलेजों के नाम पर हर साल यूजी और पीजी की बनी फर्जी डिग्रियां और मार्कशीट यूनिवर्सिटी के विजिलेंस विभाग की जांच में पकड़ी जाती है। मगर पहली बार अलग-अलग स्टेट से आई लॉ की डिग्रियां विजिलेस विभाग मेें जांच के लिए पहुंची हैैं। गुजरात, दिल्ली, नैनीताल, यूपी, चंडीगढ़ बार काउंसिल में अप्लाई करने वाले स्टूडेंट्स की डिग्रियों में से 100 से ज्यादा के फर्जी होने की आशंका जताई जा रही है। मामले में फिलहाल जांच चल रही है, उसके बाद ही दूध का दूध और पानी का पानी हो पाएगा।
140 डिग्री का रिकॉर्ड नहीं
विजिलेंस विभाग के सदस्य अरुण के मुताबिक अभी तक की जांच में यूपी और चंडीगढ़ की करीब 140 डिग्री ऐसी मिली हैैं, जिनका रिकॉर्ड सीसीएसयू के रिकॉर्ड से मैच नहीं हो रहा है। हालांकि अभी जांच चल रही है और दो हजार में से केवल 600 डिग्रियों की जांच हो पाई है। जिन डिग्रियों का रिकॉर्ड मैच नहीं हो पा रहा है, उनमें से किसी में रोल नंबर की एक डिजिट मिस मैच है तो किसी में नाम की स्पेलिंग में फर्क आ रहा है। ऐसी सभी डिग्रियों की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। जिसे संबंधित बार काउंसिल को भेजा जाएगा।
ऐसे पकड़ा जाता है खेल
जब कोई युवा सरकारी या प्राइवेट नौकरी पाता है तो उसके प्रमाण पत्रों का संबंधित विश्वविद्यालय से सत्यापन कराया जाता है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) में रोजाना 30 से 40 डिग्री-मार्कशीट सत्यापन के लिए आती हैं। हाल ही के दिनों में हुए सत्यापन से खुलासा हुआ है कि जालसाज कंप्यूटर से युवाओं को सीसीएसयू की मार्कशीट-डिग्री की हुबहू कॉपी बनाकर दे देते हैं। इन युवाओं को लगता है कि वे इससे नौकरी पा लेंगे लेकिन सत्यापन में वे पकड़े जाते हैं।
पहले भी मिल चुकी हैैं फर्जी डिग्री
बता दें कि नवंबर 2022 में उत्तराखंड, देहरादून, पंजाब, गुजरात, पश्चिम बंगाल में सीसीएसयू से संबंद्धित कॉलेजों में टीचर्स के लिए अप्लाई करने वाले कैंडिडेट्स की 132 डिग्री और मार्कशीट सीसीएसयू के विजिलेंस विभाग के पास जांच के लिए आई थी। जिनमें से 32 डिग्री और मार्कशीट फर्जी पाई गई थी। सीसीएसयू के विजिलेंस विभाग के सदस्य अरुण के मुताबिक सत्यापन में कई चीजें सामने आई थी। जिनसे आसानी से पता चल जा रहा है कि डिग्री-मार्कशीट फर्जी हैं। किसी डिग्री-मार्कशीट में कोड के एक नंबर में दिक्कत हैै तो किसी के नाम के साइज और फॉन्ट में चेंज हैै। वहीं किसी डिग्री-मार्कशीट मेें कलर हल्का और गाढ़ा हो जा रहा है। इस मामले में उत्तराखंड के लालजी हाइटेक कंप्यूटर वाले, सुमनेश शर्मा सुमन एंड कंप्यूटर सेंटर, मुरारीलाल बेसिक कंप्यूटर सेंटर पकड़ में आया था। जो करीब 40 से 50 हजार रुपए में डिग्री व मार्कशीट बनाकर दे रहे थे।
बीते वर्ष गुजरात से सीसीएसयू के विजिलेंस विभाग में सत्यापन के लिए आई 142 डिग्री-मार्कशीट फर्जी पाई गई थी। इस मामले में वहां के विपुल भाई-अमृतभाई पटेल हाइटेक कंप्यूटर, अरुण जी कंप्यूटर कोचिंग सेंटर, वंदना श्यामलकेतु बरुआ, बरुआ ट्योटोरियल एजुकेशन और सोशल नेटवर्क हेल्प एंड समर एंड कंप्यूटर सेंटर द्वारा बनाई गई थी। जांच के पकड़ा मामला
बीते वर्ष नवंबर में माह में सामने आया था कि सीसीएसयू की फर्जी डिग्री-मार्कशीट लगाकर 11 युवकों ने बिहार तकनीकी सेवा आयोग में मत्स्य विकास अधिकारी के पद पर नौकरी पा ली थी। सीसीएसयू के विजिलेंस विभाग के सत्यापन के बाद मामला पकड़ में आया था। 350 रुपये में होता है सत्यापन
डिग्री-मार्कशीट का सत्यापन 350 रुपये देकर कोई भी करा सकता है। बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो शादी के लिए भी प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराते हैं कि कहीं युवक-युवती द्वारा दी गई डिग्री फर्जी तो नहीं है।
फर्जी डिग्री व मार्कशीट के मामलों की जांच चल रही है। गुजरात, दिल्ली, नैनीताल, यूपी, चंडीगढ़ सहित विभिन्न जगह से बार काउंसिल की डिग्रीयां जांच के लिए आई है। उनमें से काफी फेंक हैं। संबंधित बार काउंसिल को रिपोर्ट बनाकर भेजी जाएगी।
धीरेंद्र कुमार वर्मा, रजिस्ट्रार, सीसीएसयू