सोशल साइट्स पर पर्सनल डिटेल्स जुटाकर कर रहे ब्लैकमेल अब तक 50 से अधिक मामलों में दर्ज हुए शिकायत

हनी ट्रैप में फंसे
कंकरखेड़ा में रहने वाले एक 50 वर्षीय व्यक्ति ऐसे ही हनी ट्रैप में फंस गए। साइबर ठगों ने उनसे 4 लाख रूपये भी वसूल लिए। उनके मुताबिक वह फेसबुक पर अधिक एक्टिव नहीं हैं। उनके फ्रेंड्स भी कम थे। उनके पास 21 वष्र की एक लडक़ी की आईडी से फ्र ंड रिक्वेस्ट आई। उन्हें उसे एक्सेप्अ कर लिया। धीरे-धीरे उनकी दोस्ती बढ़ गई। लडक़ी उनको अक्सर रात में वीडियो कॉल करती थी। वह काफी देर तक उसके साथ पर्सनल बात करते थे। लडक़ी ने सब रिकॉर्ड कर लिया और इसको एडिट कर न्यूड वीडियो बनाकर वायरल कर ब्लैकमेल किया। एवज में उनसे मोटी रकम वसूल ली।
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केस-2
बुजुर्ग को दोस्त बनाकर लूटा
62 वर्षीय गंगानगर निवासी एक बुजुर्ग के साथ भी ऐसा ही हुआ। इंस्टाग्राम पर एक लडक़ी उनकी दोस्त बन गई। अकेले होने की वजह से बुजुर्ग उससे काफी देर तक बात करते। इसलिए लडक़ी जो भी पूछती बता देते। उन्होंने उसको अपना पता, डेट ऑफ बर्थ, एकाउंट डिटेल्स समेत कई तरह की पर्सनल तक शेयर कर दी। उनके खाते से जब 8 लाख रूपये निकल गए तब सारा माजरा समझ आया। इसके बाद उन्होंने शिकायत दर्ज करवाई

मेरठ ब्यूरो। वर्चुअल फ्रेंडशिप यानी सोशल प्लेटफॉम्र्स पर देश-दुनिया के लोगों को बिना देखे-बिना पहचान दोस्त बनाने के शगल ने साइबर फ्रॉड्स के लिए ठगी के कई रास्ते खोल दिए हैं। फेसबुक, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम, कू, व्हाट्सअप समेत ऐसी ही तमाम साइट्स पर वर्चुअल फ्रॉड फ्रेंडशिप के कई मामले पुलिस के पास पहुंच रहे हैं। इसमें ऐसे लोग अधिक शिकार बन रहे है जो ऐसी साइट्स पर अधिक एक्टिव रहते हैं। एक्सपट्र्स का कहना है कि सोशल मीडिया और फ्रेंड बनाने का चस्का लोगों पर भारी पड़ रहा है। इससे बचाव के लिए पहले सभी तरह की जानकारी होना बहुत जरूरी है।
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ऐसे चल रहा खेल
साइबर फ्रॉड्स सोशल साइट पर फ्रेंड बनाकर ब्लैकमेलिंग कर ठगी करने का एक ही पैटर्न इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए वह कई फेक प्रोफाइल तैयार करते हैं। प्रोफाइल अक्सर फीमेल नेम से ही एक्टिव की जाती है। इसके बाद ये मेल प्रोफाइल को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजते हैं। अच्छी पर्सनेलिटी शो करती डीपी, रिच प्रोफाइल देख लोग इंप्रेस होकर रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लेते हैं। इसके बाद चैटिंग शुरु होती है। धीरे- धीरे ये सिलसिला बढऩे लगता है। कुछ ही समय में फ्रेंडशिप डीप हो जाती है। साइबर ठग इसके फायदा उठाते हैं और सामने वाले की सभी पर्सनल डिटेल्स जुटा लेते हैं। इसके बाद ब्लैकमेलिंग का मेन गेम शुरू होता है। फोटो, वीडियो और दूसरी कई तरह की डिटेल्स को वायरल करने की धमकी दी जाती है। ऐसा न करने के एवज में ये लोग मोटी रकम मांगते हैं। पीडि़त व्यक्ति बदनामी और सोशल इमेज खराब होने के डर से इन्हें पैसे दे भी देते हैं।
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यह होते हैं वर्चुअल फ्रेंड़््स
- मोबाइल और इंटरनेट ने लोगों की लाइफ को एक ही जगह पर बांधकर रख दिया है।

- लोग सोशल मीडिया पर अधिक एक्टिव रहते हैं।

- इन्हीं प्लेटफॉर्म पर लोग कई तरह के लोगों से मिलते हैं।
- इनको वह पर्सनली और फेस टू फेस नहीं जानते हैं। इन्हे वर्चुअल फ्रेंड कहा जाता है।

- वर्चुअल फ्रेंड्स बढ़ाने की चाहत में लोग इसका शिकार हो जा रहे हैं।
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ऐसे लोग अधिक होते हैं शिकार
एक्सपटर्स बताते हैं कि साइबर फ्रॉड्स ऐसे लोगों पर नजर रखते हैं जिनके प्रोफाइल बड़े हैं और सोशल मीडिया के बारे में उन्हें जानकारी नहीं होती है। चैटिंग के जरिए साइबर ठग सारी बातों को समझ लेता है। इसके बाद प्राइवेट फोटो, डिटेल्स और वीडियो लेकर उन्हें ब्लैकमेल करते हैं।
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फ्रेंडशिप फ्रॉड से बचें
सोशल मीडिया पर पर्सनल डिटेल्स शेयर करने से बचें

अपनी प्रोफाइल को लॉक करें
अनजान लोगों से अधिक बातचीत न करें।

अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म की समय समय पर जांच करते रहें।

बच्चों को भी इस तरह के क्राइम के बारे में जानकारी जरूरी दें।

कोई भी लिंक या एप किसी के भी कहने पर डाउनलोड ना करें।

सोशल प्लेटफॉर्म पर किसी भी सस्पेक्टेड एक्टिविटी को रिपोर्ट जरूर करें।

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इनका है कहना
वर्चुअल फ्रेंडशिप के जरिए फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे है। साइबर अपराधी पहले नजदीकियां बढ़ाते हैं। निजी जानकारी जुटा लेते हैं। इनके टारगेट पर कम या अधिक उम्र के लोग होते है। इनसे बचने के लिए जरूरी है कि अपनी अवेयरनेस बढ़ाई जाए।
कर्मवीर सिंह, साइबर एक्सपर्ट
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साइबर ठग कई तरह से एक्टिव हैं। इनसे बचने के लिए जरूरी है कि खुद को जागरूक रखा जाए। सोशल साइट्स पर फ्रॉड से बचने के लिए अंजान लोगों से दोस्ती न करें। यही एक तरीका है कि खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है।
एके वर्मा, साइबर एक्सपर्ट
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साइबर फ्रॉड लोगों की साइक्लोजी के साथ खेलते हैं। वह बातचीत के जरिए समझ लेते हैं कि सामने वाले को कैसे अपनी बातों में फंसाया जा सकता है। उनकी प्लानिंग और प्लॉटिंग पहले से तैयार होती है और लोग इसमें फंस जाते हैं।
डा। विभा नागर, क्लीनिकल साइक्लोजिस्ट

Posted By: Inextlive