इन्फेक्शन के साथ ओवरी के हेल्थ इशूज आ रहे सामने कैंसर तक का बढ़ा खतरा15 से 20 केस हर दिन ऐसे आते हैं।


मेरठ ब्यूरो। इंटरकोर्स के दौरान फ्लेवर्ड कॉंडम का यूज महिलाओं में कैंसर तक का खतरा पैदा कर रहा है। डॉक्टर्स का कहना है कि इनमें लगी ऑर्टिफिशियल जैली, केमिकल्स और शुगर कोटिंग से बनाएं जा रहे ये कांडम स्किन फ्रेंडली नहीं होते हैं। ये वैजिनाइटिस व सर्विक्स से जुड़ी बीमारियों के बड़े कारण हैं। यूटीआई, यूरिन इंफेक्शन आदि की समस्याएं लेकर पहुंची महिलाओं की केस स्टडी में ये चौंकाने वाला खुलासा हो रहा है। ऐसे हो रहा खुलासा


डॉक्टर्स बताते हैं कि यूटीआई, वैजिनाइटिस से जुड़ी समस्याएं लेकर आने वाली महिलाओं की संख्या दिनों-दिन बढ़ रही है। हर दिन 15 से 20 केस हर दिन ऐसे आते हैं। महिलाओं को वैजाइना में एलर्जी, खुजली, दाने होना, घाव होना, दर्द बने रहना, इंटरकोर्स के दौरान तकलीफ होने, जलन जैसी समस्याएं होती है। शुरु में सामान्य इलाज किया जाता है। काफी ट्रीटमेंट के बाद जब समस्या लगातार बनी रहती है तब महिलाओं से इस विषय में जानकारी ली जाती है। जिसमें महिलाओं द्वारा बताया जाता है कि वह फ्लेवर्ड कॉंडम आदि का प्रयोग करती है और इससे उन्हें एलर्जी होती है। बिगड़ रहा पीएच लेवल

डॉक्टर्स बताते हैं कि वैजाइना का पीएच अम्लीय होता है। फ्लेवर्ड कॉंडम या इंटरकोर्स के दौरान किसी भी केमिकल या आर्टिफिशियल प्रॉडक्ट का प्रयोग करने से वैजाइनल पीएच बिगड़ जाता है। अम्लता कम हो जाती है। सेफ बैक्टीरिया लैक्टोबैसीलाई कम होने लगते हैं और इंफेक्शन पैदा करने वाले बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं जिसकी वजह से बैक्टीरियल वेजिनोसिस का खतरा बढ़ जाता है। टिश्यूज हो रहे डैमेज कॉंडम के प्रयोग की वजह से पेल्विक में टिश्यूज डैमेज हो जाते हैं और बॉडी कमजोर हो जाती है। इनके प्रयोग से टिश्यूज में इरिटेशन, इंफेक्शन भी हो सकता है। जिससे इन पॉट्र्स में घाव हो जाते हैं और बैक्टीरिया खून में मिलकर पूरे शरीर में फैल जाते हैं। अगर इसका सही इलाज न हो तो यूट्रस से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती है। बढ़ा गंभीर बीमारियां का खतरा एक्सपर्ट बताते हैं कि वैजिनाइटिस व सर्विक्स से जुड़ी बीमारी होने पर अगर सही इलाज न करवाया जाए तो इससे कैंसर तक हो सकता है। वैजाइना में खुजली, दाद, दाने घाव का रूप ले लेते हैं। घाव बढऩे पर इससे ओवरी से जुड़े इश्यूज, हार्मोनल इंबैलेंस, यूटीआई, किडनी की बीमारियों समेत कई अन्य गंभीर बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए बढ़ रही समस्या

डॉक्टर्स बताते हैं कि सेक्स, इंटीमेसी से जुड़ी बातों को लेकर सोसाइटी जागरूक नहीं है। इस सब्जेक्ट पर लोग खुलकर बात नहीं करते हैं। इन्हें एवॉयड किया जाता है। सेक्स एजुकेशन के साथ ही इंटीमेसी और प्रिकॉशन की भी सही जानकारी होना जरूरी है। ऐसे प्रॉडक्ट्स का गलत तरीके से इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों का कारण बनता है। इनमें शामिल केमिकल्स बॉडी को नुकसान पहुंचाते हैं। ये होते हैं फ्लेवर कांडम फ्लेवर कॉंडम सामान्य कांडम की तरह की होते हैं। इनका प्रयोग सिर्फ ओरल सेक्स के लिए किया जा सकता है। फूड सेफ्टी विभाग ने इन्हें बनाने के लिए ऐसे ही फ्लेवर्स को मंजूरी दी हुई है जिनमें फूड कलर या फूड फ्लेवर का प्रयोग किया जा सकता है। वैजाइनल सेक्स के लिए इनका प्रयोग नुकसानदायक हो सकता है। ये आते हैं फ्लेवर स्ट्राबेरी चॉकलेट आचारी बबलगममिंटऑरेंज बनाना वेनिला बेकन कोका कोला ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान यूरेथ्रा और ब्लेडर में सूजन आना पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस होना यूरिन ठीक तरह से न आना, जलन रहना यूरिन से बैड स्मेल और ब्लड आना हर वक्त हल्का-हल्का बुखार रहना यूरिन का बूंद-बूंद लीक होना वैजाइना में खुजली,जलन रहना ---ये बरतें सावधानी कांडम की क्वालिटी का ध्यान रखें इन्हें रीयूज न करें
ओरल सेक्स के लिए ही फ्लेवर कांडम का प्रयोग करें इनका है कहना जैली और शुगर कोटिंग वैजाइनल इंटरकोर्स के लिए नहीं होते हैं। लोगों में इस बात को लेकर बिल्कुल जागरूकता नहीं हैं। ऐसे प्रॉडक्ट़्स ओरल सेक्स के लिए होते हैं। वैजाइनल इंटरकोर्स से कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती है। यूटीआई,ओवरी इंफेक्शन, वैजिनाइटिस, सर्विक्स से जुड़ी समस्याओं का खतरा भी इससे हो सकता है। डा। अंकित कुमार, सीनियर कंसल्टेंट, जिला अस्पताल

कॉंडम बनाने के लिए लेटेक्स का प्रयोग किया जाता है। इसमें फ्लेवर के लिए कई केमिकल्स का यूज होता है। काफी महिलाओं को इनसे एलर्जी होती है। जिसे लेटेक्स एलर्जी कहते हैं। जागरूकता के अभाव में इंफेक्शन होने पर महिलाएं इलाज नहीं करवाती हैं और उनमे कई गंभीर समस्याएं पनप जाती हैं। डा। मनीषा त्यागी, सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट -------इंटरकोर्स के दौरान फ्लेवर्ड कॉंडम के प्रयोग नहीं होना चाहिए। इन्हें बनाने वाले कई तत्व नुकसानदायक होते हैं। इसकी वजह से कई तरह की समस्याएं महिलाओं में आ जाती है। वहीं अगर इसका प्रयोग ज्यादा किया जाएं या किसी को पहले से डायबिटीज या अन्य बीमारी हैं तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। डा। कंचन मलिक, सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट

Posted By: Inextlive