टीचिंग में एआई टेक्नोलॉजी का यूज करें, फिर देखिए स्टूडेंटस की स्मार्टनेस कैसे बढ़ती है
मेरठ ब्यूरो। आज के दौर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानि एआई टीचिंग के लिए बहुत हेल्पफुल है। इसके कारण सीखने और सिखाने का तरीका भी बदल रहा है। टेक्नोलॉजी के कारण बहुत कुछ चेंज हुआ है। वर्क प्रोसेस में भी बदलाव आया है। ऐसे में टीचिंग में टेक्नोलॉजी का यूज करके लर्निंग प्रोसेस को और बेस्ट बनाया जा सकता है। लिहाजा टीचर्स को भी समय से साथ टेक्नोलॉजी को अडॉप्ट करके खुद को अपग्रेड करना चाहिए। इससे स्टूडेंट्स भी स्मार्ट और एजुकेटेड होंगे। ये बातें गुरुवार को अमृता विश्व विद्यापीठम प्रजेंट्स दैनिक जागरण आईनेक्स्ट रीइमेजनिंग एजुकेशन वर्कशॉप के पहले दिन एकेडमिक मैनेजर एंड काउंसलर, डायरेक्ट्रेट ऑफ एडमिशन और एकेडमिक आउटरीच अमृता विश्वविद्यापीठम के डॉ। शौर्य कुटप्पा ने कही। उन्होंने पहले सेशन में टीचिंग में एआई की उपयोगिता के बारे में बताया। टीचर्स से सवाल पूछे
होटल हाइफन में आयोजित वर्कशॉप में अमृता विश्वविद्यापीठम के एकेडमिक मैनेजर और काउंसलर डॉ। शौर्य कुटप्पा ने टीचर्स से एआई से रिलेटेड सवाल पूछे। इसके साथ एआई को लेकर कई महत्वपूर्ण टिप्स भी दीं। उन्होंने मेजर इंटेलिजेंस, स्ट्रांग एआई, वीक एआई समेत कई बिंदुओं के बारे में डिटेल में समझाया। उन्होंने कहाकि न्यू एजुकेशन पॉलिसी में एआई के समन्वय से टीचिंग में बेस्ट परफॉर्मेंस दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि एजुकेशन सिस्टम में एआई तकनीकी का इस्तेमाल टीचर्स के लिए यूजफुल और हेल्पफुल है। बस शर्त एक है कि इसके लिए टीचर्स को हमेशा अपडेट रहना जरूरी है। टीचर्स ने पूछे सवाल वर्कशॉप के दौरान एक्सपर्ट ने टीचर्स से सवाल-जवाब भी किए। कई टीचर ने परफेक्ट आंसर दिए तो एक्सपर्ट ने प्रोत्साहित भी किया। वर्कशाप के अंत में एक्सपर्ट ने न्यू एजुकेशन पॉलिसी पर डिस्कशन किया। टीचर्स को न्यू एजुकेशन पॉलिसी की इंर्पोंटेंस के बारे में बताया गया। उन्होंने बताया कि हमें स्टूडेंट्स को यह समझाना चाहिए कि आज के दौर में माक्र्स के लिए पीछे दौडऩे की कोई जरूरत नहीं है, बल्कि कुछ नया और इनोवेटिव करके काबिल बनें। स्टूडेंट्स के दिमाग को इंगेज करें
वर्कशाप के दौरान टीचर्स ट्रेनर, सीबीएसई और एनईपी, फाउंडर डायरेक्टर ऑफ कॉशियस एजुकेशन मिस शालिनी सिन्हा ने भी महत्वपूर्ण टिप्स दीं। उन्होंने कहा कि ऐसा कभी न न सोचें कि आपकी क्लास में कोई स्टूडेंट कमजोर है। क्लास में ज्यादातर स्टूडेंट्स कमजोर होंगे तो इसमें टीचर ही जिम्मेदार है। ऐसा सोचिए कि पेरेंट्स अपनी सबसे प्रेस्टीजियस विंग यानी अपने बच्चे को आपके पास भेजता है। उसको अच्छी तरह से पढ़ाना टीचर की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि बच्चों के दिमाग को इंगेज करें। हावर्ड यूनिवर्सिटी की कुछ टेक्निक हैं, जो 100 प्रतिशत सोचने का प्लेटफॉर्म देता है। बच्चों को पूछने की कला डेवलप कराएं। वे बेझिझक अपने सवाल पूछ सकें। दरअसल, टीचर चेंज मेकर होते हैं। टीचिंग से जुड़े कई मुद्दों पर टीचर्स से सवाल भी पूछे गए। आज भी दिए जाएंगे टिप्स रीइमेजनिंग एजुकेशन वर्कशॉप के दूसरे दिन शुक्रवार 27 अक्टूबर यानि आज भी एनईपी और एआई से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर डिस्क्शन होगा। होटल हाइफन में यह वर्कशॉप सुबह 10 बजे से दोपहर 2.30 बजे तक होगी। दीप प्रज्ज्वलन से हुई शुरूआत रीइमेजीनिंग एजुकेशन वर्कशॉप की शुरूआत एकेडमिक मैनेजर एंड काउंसलर डायरेक्टर ऑफ एडमिशन और एकेडमिक आउटरीच अमृता विश्व विद्यापीठम् डॉ। शौर्य एवं कॉशियस एजुकेशन शालिनी सिन्हा एवं टीचर्स ने दीप प्रज्जवलित करके की।