Meerut News : तिरुपति के प्रसादम में नकली घी मिलने पर हंगामा, यहां रोज की बात है
मेरठ (ब्यूरो)। आप भी यदि बाजार से सस्ता देसी घी शुद्ध समझकर खा रहे हैं तो संभल जाइए। आपके घी, तेल में भी लार्ड यानी पिग फैट, बीफ टैलो, फिश ऑयल की मिलावट हो सकती है। आंध्र प्रदेश के तिरूपति बालाजी के प्रसादम लड्डू में इस तरह की मिलावट मिलने के बाद जहां पूरा देश सन्न रहा गया है। वहीं सस्ते और नकली घी-तेल में इस तरह की मिलावट होने की आशंका भी तेज हो गई है। इसे लेकर जल्द ही सर्वे भी शुरु हो सकता है।
तरह-तरह की मिलावट
अधिक फायदे के लिए मिलावट खोर लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आते। घी में तरह-तरह की मिलावट की जा रही है। एनिमल फैट, पाम आयल, हाइड्रोजनेटेड ऑयल, बटर येलो कलर आदि मिलाया जाता है। स्टॉर्च, आलू का पाउडर, चर्बी भी इसमें मिलाई जाती है। फूड सेफ्टी विभाग की जांच में हर वर्ष घी के कई सैंपल फेल पाए जाते हैं। इनमें कई सैंपल में खतरनाक मिलावट के साथ ही सब स्टैंडर्ड के भी सैंपल मिलते हैें। नकली दूध में भी इस तरह चर्बी मिलाकर उसे चिकना बनाया जाता है। एक्सपर्टस बताते हैं कि एनिमल फैट की मिलावट मतलब घी नकली है।
ऐसे बनता है नकली घी
एक किलो घी बनाने में आधा किलो एनीमल फैट, तीन सौ ग्राम रिफाइंड, 100 ग्राम फिश ऑयल, दो सौ ग्राम असली घी और 100 ग्राम केमिकल और एसेंस मिलाया जाता है। इस तरह से तैयार घी में असली घी जैसी सुगंध आती है। चिकनाहट और इसका टेक्सचर भी असली घी जैसा ही लगता है। लोग इसे आसानी से खरीद लेते हैं।
एक किलो शुद्ध घी बनाने के लिए करीब 30 लीटर दूध की जरूरत होती है मेरठ में करीब 22 लाख लीटर दूध की सप्लाई प्रतिदिन हो रही है। यानि हर दिन मात्र 73 किलो शुद्ध घी ही बनाया जा सकता है। 40 लाख की आबादी में प्रतिव्यक्ति एक ग्राम घी भी पूरी आबादी के लिए उपलब्ध नहीं है। जबकि हर दिन 25 फीसदी आबादी को पर्याप्त मात्रा में घी मिल जाता है। वहीं जिले में शुद्ध घी की मिठाइयां प्रतिदिन बनाने का दावा भी किया जाता है। इसी आंकड़े से समझा जा सकता है कि मेरठवासी किस तरह का घी खा रहे हैं
ये होता है लार्ड यानी पिग फैट
सुअर की चर्बी को लार्ड कहते हैं। नकली घी इससे ही तैयार होता है। नकली घी को चमकदार, दानेदार और अलग स्वाद और सुगंध देने के लिए ये चर्बी मिलाई जाती है। ये सफेद रंग का एक पदार्थ होता है। जिससे घी में सफेद परत आ जाती है। देखने में ये बिल्कुल असली घी जैसा लगता है। इसका इस्तेमाल बेकरी प्रॉडक्टस में भी होता है।
बीफ टैलो गाय के फैटी टिश्यू से निकाला गया फैट होता है। गोमांस से अलग की गई चर्बी को पिघलाकर इसे बनाया जाता है। ये पूरी तरह से लिक्विड फॉर्म में आ जाता है। रूम टेम्प्रेचर में इसे रखा जाए तो लचीला, मक्खन जैसा बन जाता है। इसे मिलाकर नकली घी तैयार किया जाता है। इसमें पाम आयल भी मिलाया जाता है क्योंकि यह सस्ता होता है। ऐसे करें असली-नकली घी की पहचान
शुद्ध और असली घी में विशेष सुगंध और स्वाद होता है। केमिकल या मिलावट होने पार इसमें अस्वाभाविक गंध होती है। एक चम्मच घी पानी में डालें। असली घी पानी में तैरता है, नकली घी नीचे बैठ जाता है। असली घी ठंडा होने पर कठोर हो जाता है, जबकि नकली घी अधिक मुलायम, चिपचिपा रह सकता है। असली घी का रंग हल्का पीला या सुनहरा होता है। जबकि नकली घी का रंग अधिक सफेद या गाढ़ा होता है।
एक चम्मच में घी को गर्म करें। इसमें यदि धुआं आता है तो ये नकली हो सकता है।
सफेद कागज पर थोड़ा-सा घी फैलाएं। नकली घी होगा तो कागज पर काले रंग के धब्बे आ जाएंगे। शुद्ध घी में ऐसा नहीं होगा। शुद्ध घी साधारण या कमरे के तापमान पर जमता नहीं है। इसमें तरलता रहता है। यदि जम रहा है तो मिलावट हो सकती है। लोगों को जागरूक करने के लिए विभाग कई अभियान चलाता है। समय-समय पर छापेमारी भी की जाती है। बाजार से अच्छे ब्रांड का ही घी खरीदे। लेबलिंग भी चेक करें। घी के डिब्बे पर इसमें प्रयोग होने वाले उत्पादों की भी जानकारी लें।दीपक कुमार, सहायक आयुक्त, फूड सेफ्टी विभाग असली घी महंगा होता है। अगर बाजार में घी सस्ता या ऑफर में मिल रहा है तो ये नकली हो सकता है। कई बार कुछ कंपनी एक पर एक का ऑफर देती हैं। इसके रेट्स भी कम होते हैं। बाजार में अपना माल सेल करके ये गायब हो जाते हैं। ये नकली घी हो सकता है।
वैभव शर्मा, एफएसओ