3 लाख लीटर से ज्यादा पानी का हो रहा छिड़काव 3 एंटी स्माग गन चार वाटर स्प्रिंकलर मशीनों से हो रहा छिड़काव। नगर निगम के पंङ्क्षपग स्टेशनों से गाडिय़ों में भरा जा रहा पानी 3 डिपो में करीब 12 से 13 वाटर टैंकर हैं।

मेरठ (ब्यूरो)। शहर की एयर क्वालिटी इंडेक्स तेजी से बिगड़ रही है। वाहनों से निकलने वाले धुएं, सड़कों से उड़ती धूल से शहर का वातावरण गैस चेंबर में तब्दील सा हो गया है। इस विषाक्त प्रदूषण से बचाने के लिए निगम हर संभव कोशिश कर रहा है। इसके लिए रोजाना सैकड़ों लीटर पेयजल को पॉल्यूशन कम करने के लिए वाटर स्प्रिंकल मशीनों की मदद से सड़कों पर बरसाया जा रहा है। पेयजल की बर्बादी कम हो सकती थी, अगर पेयजल की बजाए एसटीपी से ट्रीट हुए पानी का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन मेरठ के अधिकतर एसटीपी सिर्फ सफेद हाथी बने हुए हैं इसलिए ना चाहते हुए भी निगम को पेयजल का प्रयोग करना पड़ रहा है।

पेयजल का हो रहा है उपयोग
गौरतलब है कि हर साल अक्टूबर से वायु प्रदूषण बढ़ते ही सड़कों पर पानी का छिड़काव एनसीआर क्षेत्र में शुरू हो जाता है, जो जनवरी तक चलता है। चार साल से मेरठ शहर में यह काम किया जा रहा है। धूल न उड़े, इसके लिए एनजीटी और ईपीसीए ने दिशा- निर्देश भी जारी किए हुए हैं। अब इन दिनों पॉल्यूशन स्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है। इसके चलते वातावरण में स्मॉग की समस्या बढ़ गई है। ऐसे में इस वायु प्रदूषण कम करने के लिए टैंकरों के माध्यम से रोजाना हजारों लीटर पानी को बहाया जा रहा है। जबकि एनजीटी के निर्देशों का पालन करना नगर निगम के लिए कठिन भी नहीं है। कमालपुर में 72 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट मौजूद भी है। वहां से ट्रीट पानी पर्याप्त मात्रा में मिल सकता है।

कई लीटर पेयजल बर्बाद
हालत यह है कि रोजाना 50 से 60 हजार लीटर पेयजल सिर्फ सड़कों पर उड़ती धूल और पॉल्यूशन को बैठाने के लिए बर्बाद किया जा रहा है। जबकि एनजीटी का निर्देश है कि सड़क पर छिड़काव के लिए एसटीपी से ट्रीट पानी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। लेकिन जलकल विभाग लगातार इस आदेश की अवहेलना कर रहा।

नलकूपों से भरे जा रहे टैंकर
इस छिड़काव में ओवर हेड टैंक से आने वाला पीने के पानी का इस्तेमाल किया जाता है। निगम के पास वाटर टैंकर भरने के लिए 157 नलकूपों की व्यवस्था है। जबकि तीनों डिपो के अलग अलग प्रेशर पंप है जिसमें कमिश्नरी चौराहा, जिमखाना मैदान, सूरजकुंड आदि से सुबह सवेरे वाटर स्प्रिंकलर्स और टैंकर्स में पानी भरा जाता है।

इनका है कहना
मेरठ के कई एरिया वैसे भी डॉर्क जोन में शामिल हैं। ऐसे में नलकूप के माध्यम से पेयजल का उपयोग सही नही है। कुछ अन्य विकल्प तलाशने चाहिए।
सतीश त्यागी

भूमिगत जल का स्टोरेज वैसे भी लगातार कम हो रहा है। केवल बरसात में थोड़ा रिचार्ज हो जाता है। हाल में गंगनहर बंद होने से पेयजल की कितनी परेशानी बढ़ गई थी।
अमित सबरवाल

शहर के कई क्षेत्रों में पूरा-पूरा दिन नगर निगम पानी उपलब्ध नहीं करा पाता है, लेकिन छिड़काव के लिए टैंकर भर भरकर लगाए जा रहे हैं। इसके लिए कुछ अन्य व्यवस्था की जानी चाहिए।
मुकुल रस्तौगी

जितना पानी पर्याप्त रूप से चाहिए उतना पानी एसटीपी से नहीं मिल पा रहा है। इसलिए जो पानी उपलब्ध है, उसका इस्तेमाल किया जा रहा है।
डॉ। हरपाल सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

Posted By: Inextlive