दुर्लभ किताबों के महत्व के बारे में बताया
मेरठ ब्यूरो। आरजी कॉलेज में लाइब्रेरी स्थापना दिवस पर तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। पहले दिन दुर्लभ पुस्तकों की प्रजेंटेशन दी गई। यह आयोजन कॉलेज की पुस्तकालय समिति ने आइक्यूएसी तथा कॉलेज की इनोवेशन सेल के साथ मिलकर किया।
पढ़ाई का महत्व बताया
प्रिंसिपल प्रो। निवेदिता कुमारी ने छात्रों को दुर्लभ पुस्तकों के अध्ययन का महत्व समझाया। उन्होंने बताया कि कॉलेज के पुस्तकालय में रखी सभी दुर्लभ पुस्तकें पुस्तकालय के कंप्यूटर्स और संबंधित विभाग की कंप्यूटर लैब में भी संरक्षित हैं।छात्राएं अपने-अपने विभाग में भी पुस्तकों को देख और पढ़ सकती हैं। लाइब्रेरी के 51 साल पूरे उन्होंने कहाकि आरजी डिग्री कॉलेज का पुस्तकालय अच्छा है। इसकी नींव 11 जनवरी 1972 को तत्कालीन राज्यपाल बी।गोपाला रेड्डी ने रखी थी। लाइब्रेरी ने 51 साल पूरे कर लिए हैं। इस दौरान छात्राओं ने बड़ी संख्या में दुर्लभ पुस्तकों को कंप्यूटर सिस्टम पर सर्च करके देखना सीखा। इसके साथ ही यह भी सर्च किया कौन सी पुस्तक कैसे कहां मिलती है। छात्राओं को जानकारियां दीं
पुस्तकों के बारे में विभिन्न जानकारियां कलेक्शन कैसे सर्च किया जाता है देखा। पुस्तकालय अध्यक्ष सनमेक कुमार, पारुल बंसल, कोमल तथा संध्या के द्वारा दुर्लभ पुस्तकों की जानकारी दी गई।उन्होंने बताया कि पुस्तकालय में जो दुर्लभ पुस्तकें रखी हुई हैं वह सर्वसुलभ नहीं हैं।सुबह से लेकर शाम तक छात्राओं का दुर्लभ पुस्तकों को देखने, पढऩे व प्रिंट आउट लेने के लिए उत्साह बना रहा। ये लोग रहे मौजूद कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रो। अंजुला राजवंशी ,प्रो। सोनिका चौधरी, प्रो। अपर्णा वत्स , डॉ। नाजिमा इरफान, डॉ। गरिमा पुंडीर,डॉ।मनीषा सिंघल ,डॉ। दीक्षा यजुर्वेदी ,डॉ।गरिमा पुंडीर एवं डॉ।शशि बाला, डॉ। हिमानी, सुजाता और पुस्तकालय के समस्त स्टाफ का अथक सहयोग रहा।