स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में नगर निगम की लापरवाही उसकी रैंक सुधारना तो दूर दो साल पहले मिले ओडीएफ प्लस प्लस के टैग को भी छिनवा सकती है. जिले को शौच मुक्त बनाए रखने के लिए शहर में जगह-जगह बनाए गए सार्वजनिक शौचालयों की हालत खस्ता हो गई है.

मेरठ (ब्यूरो)। स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में नगर निगम की लापरवाही उसकी रैंक सुधारना तो दूर दो साल पहले मिले ओडीएफ प्लस प्लस के टैग को भी छिनवा सकती है। जिले को शौच मुक्त बनाए रखने के लिए शहर में जगह-जगह बनाए गए सार्वजनिक शौचालयों की हालत खस्ता हो गई है। कई जगह शौचालयों में ताले लटके हैं तो कई जगह शौचालयों में सिर्फ गंंदगी पसरी हुई है। जिसके चलते आम लोगों ने इन शौचालयों से दूरी बान ली है। हालांकि स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम के निरीक्षण से पहले शौचालयों को दुरुस्त करने का दावा निगम के अधिकारी कर रहे हैं।

तीसरे सर्वे में मिला तमगा
पिछले साल स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में नगर निगम ने ओडीएफ प्लस प्लस के लिए दावा किया था। इसके तहत क्यूसीआई की टीम ने शहर में संचालित सभी सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों का दिसंबर माह में सर्वे किया था। इसके बाद फरवरी माह के पहले सप्ताह में टीम ने फिर सर्वे किया लेकिन दोनों ही बार टीम को शहर के शौचालयों में काफी खामियां मिली। जिसके चलते टीम ने निगम के दावे को खारिज कर दिया। इसके बाद नगरायुक्त की डिमांड पर मार्च माह में नगर निगम को एक ओर मौका दिया गया था। जिसके बाद मेरठ नगर निगम को ओडीएफ प्लस प्लस घोषित कर दिया गया था।

साल भर सुविधाएं हुई गुमशुदा
ओडीएफ प्लस प्लस का तमगा मिलने के बाद नगर निगम ने जिन मानकों के आधार यह तमगा मिला था उनको ही अनदेखा कर दिया। शौचालयों पर बेसिक साफ-सफाई तक की सुविधा तक कायम नहीं रखी गई। इतना ही नहीं, जो शौचालय पिछले स्वच्छता सर्वेक्षण में तैयार किए गए थे, उन पर पूरे साल से ताला लटका हुआ है। शहर के लोग उनका उपयोग ही नहीं कर पाए। हालांकि यह भी संभव है कि क्यूसीआई टीम के आने से पहले इन शौचालयों का ताला खोल दिया जाए।

ओडीएफ प्लस प्लस में इन सुविधाओं की होगी जांच
- महिला और पुरुष समेत विकलांगों के लिए सुविधा हो
- विकलांगों के लिए रैंप बना हुआ हो
- दीवार पर स्वच्छता का संदेश देती पेंटिंग होनी चाहिए
- सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालय की सफाई बेहतर हो
- हैंडवाश के लिए साबुन और तौलिए की व्यवस्था हो
- शौचालयों में सेनेटरी वेंडिग मशीन, हैंड ड्रायर और इंसीनरेटर की व्यवस्था हो
- शौचालय परिसर में गमले रखे हों
- शौचालय पर 24 घंटे कर्मचारी की मौजूदगी हो
- शहर के सभी घरों के टॉयलेट, पब्लिक व कम्यूनिटी टॉयलेट सीवर लाइन या सेप्टिक टैंक से जुड़े होने चाहिए।
- खुले में गंदगी फैलाने वालों के करने होंगे चालान
- किसी भी टॉयलेट से ओपन डिस्चार्ज नहीं होना चाहिए
- सीवर के वेस्ट को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर शोधित करना होगा
- जिन शहरों में सीवर लाइन नहीं है, वहां पर वेस्ट को बिना शोधित किए खुले में नहीं डाल सकते

एक नजर में
- नगर निगम के रिकॉर्ड के अनुसार शहर में अभी तक 90 सार्वजनिक यूरिनल बने हुए हैं।
- 51 करीब यूरिनल अभी चालू हालत में नहीं हैं।
- 12 हजार करीब घरों में शौचालयों का निर्माण स्वच्छ भारत मिशन के तहत गत वर्ष अनुदान के जरिए शहरी क्षेत्र में हुआ था।
- 20 सार्वजनिक पिंक ब्लू शौचालय सही हालत में हैं, लेकिन किराया वसूले जाने के कारण ये लोगों की पहुंच से दूर हो गए हैं।

12 हजार टॉयलेट्स बने
नगर निगम के रिकार्ड के अनुसार शहर में अभी तक 90 सार्वजनिक यूरिनल बने हुए हैं। इनमें से करीब 51 यूरिनल अभी चालू हालत में नहीं हैं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत गत वर्ष अनुदान के जरिए करीब 12 हजार घरों में शौचालयों का निर्माण शहरी क्षेत्र में हुआ था। इसके बाद भी शहर में जगह-जगह खुले में शौच बंद नहीं हो पा रहा है। इसका एक बहुत बड़ा कारण है कि निगम द्वारा बनाए गए सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति सही नहीं है। मलिन बस्तियों में सार्वजनिक शौचालयों की कमी है और जो 20 सार्वजनिक पिंक ब्लू शौचालय सही हालत में हैं, उनमें किराया वसूला जाता है। ऐसे में गरीब तबके के लोग इन प्राईवेट सार्वजनिक शौचालयों का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।

वर्जन
नगर निगम की टीम ने मेहनत और खामियों को दूर करके हमने ओडीएफ प्लस प्लस को प्राप्त किया था। साल भर से जनता इनका प्रयोग कर रही है। ऐसे में खामियां आना तय है लेकिन जो कमियां हैं उनको लगातार दूर भी किया जा रहा है।
डॉ। गजेंद्र सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

Posted By: Inextlive