'आज का युवा तेजी से नवप्रवर्तन की चुनौती की ओर बढ़ रहा हैÓ
मेरठ (ब्यूरो)। सीसीएसयू वीसी प्रो। संगीता शुक्ला के निर्देशन एवं प्रति कुलपति प्रो। वाई विमला की अध्यक्षता सीसीएसयू के बौद्धिक संपदा प्रकोष्ठ द्वारा विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के अवसर पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में डॉ। तनी कला चंद्रशेखर साइंटिस्ट डीएसटी न्यू दिल्ली एवं डॉ। तनु प्रिया पेटेंट एटर्नी आईपी गुरुग्राम हरियाणा मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई तथा मंच का संचालन डॉ। ज्ञानी का शुक्ला ने किया।
जागरुकता को दें बढ़ावा
प्रोवीसी प्रो। वाई विमला ने कहा कि हमें रोजमर्रा के जीवन पर किए गए कार्य पर पेटेंट, कॉपीराइट ट्रेडमार्क तथा डिजाइन आदि के प्रभाव के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना चाहिए। बौद्धिक संपदा प्रकोष्ठ एवं कार्यक्रम के निदेशक डीन एग्रीकल्चर प्रो। शैलेंद्र सिंह गौरव के अनुसार आज का युवा नवप्रवर्तन की चुनौती की ओर बढ़ रहा है। वह अपनी ऊर्जा, जिज्ञासा और कल्पना से एक उज्जवल भविष्य के लिए रास्ता बनाने की कोशिश करता है। जिसमें बौद्धिक संपदा का विशेष महत्व है। प्रो। मृदुल कुमार गुप्ता ने पेटेंट के महत्व एवं उसकी नेक में उपयोगिता पर प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता डॉ। चंद्रशेखर के अनुसार बौद्धिक संपदा अधिकार दिए जाने का मूल उद्देश्य मानवीय बौद्धिक सृजनशीलता को प्रोत्साहन देना है। बौद्धिक संपदा अधिकार के अंतर्गत कॉपीराइट, पेटेंट, ट्रेडमार्क औद्योगिक डिजाइन, भौगोलिक संकेतक इत्यादि आते हैं। डॉ। तनु प्रिया ने कहा कि व्यक्तियों को उनके बौद्धिक सृजन के परिपेक्ष्य में प्रदान किए जाने वाले अधिकार कहलाते हैं। यदि कोई व्यक्ति किसी प्रकार का बौद्धिक सर्जन जैसे साहित्य कृति की रचना, शोध व अविष्कार आदि करता है तो सर्वप्रथम इस पर उसी व्यक्ति का अनन्य अधिकार होना चाहिए। डॉ। नितिन गर्ग ने आईपीआर के सामान्य प्रयोग एवम संरक्षण के बारे बताया। कार्यशाला में प्रो। वीरपाल सिंह, प्रो। नवीन चंद्र लोहनी, प्रोफेसर, बिंदु शर्मा, प्रो। जमाल सिद्दकी, प्रो। नीरज सिंघल डॉ। अश्विनी शर्मा डॉ। कपिल स्वामी आदि मौजूद रहे।