नया विक्रम संवत 2080 नल 12 की जगह 13 माह का होगा कालगणना के अनुसार प्रत्येक तीसरे वर्ष ऐसी स्थिति बनती है


मेरठ ब्यूरो। इस बार सावन 59 दिनों का होगा। श्रद्धालु आठ सोमवार को भगवान शिव का व्रत कर जलार्पण करेंगे। दरअसल, नया विक्रम संवत 2080 नल 12 की जगह 13 माह का होगा। ऐसा इस नूतन हिंदू नव वर्ष मास और दिवस की अधिकता मलमास के चलते होगा। बता दें कि कालगणना के अनुसार प्रत्येक तीसरे वर्ष ऐसी स्थिति बनती है। ऐसे में इस बार के सावन का ज्योतिष व पंडित विशेष महत्व बता रहे हैं। 31 अगस्त तक चलेगा


ज्योतिष डॉ। अनुराधा गोयल ने बताया कि इस साल सावन माह 4 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त तक चलेगा। कुल मिलाकर सावन के माह 59 दिन के होंगे। 18 जुलाई से 16 अगस्त तक सावन अधिकमास रहेगा। इसे मलमास व पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। दरअसल, वैदिक पंचांग की गणना सौरमास और चंद्रमास के आधार पर होती है। एक चंद्रमास 354 दिनों का जबकि एक सौरमास 365 दिनों का होता है। इस तरह से इन दोनों में 11 दिनों का अंतर आ जाता है और तीसरे वर्ष 33 दिनों का अतिरिक्त एक माह बन जाता है। इन 33 दिनों के समायोजन को ही अधिकमास कहा जाता है। ज्योतिष डॉ। अनुराधा गोयल ने बताया कि 2023 में अधिक मास के दिनों का समायोजन सावन के माह में होगा। इस कारण से सावन दो माह का होगा।इस बार आठ सोमवार पंडित श्रीधर त्रिपाठी के अनुसार सावन में आठ सोमवार होंगे। इस साल रक्षाबंधन 31 अगस्त को पड़ेगा। जो आमतौर पर 10 से 15 अगस्त के बीच पड़ता है। इसके साथ चातुर्मास पांच माह का होगा। भगवान विष्णु पांच माह तक योगनिद्रा में रहेंगे। इस दौरान गृह प्रवेश, मुंडन, विवाह, जनेऊ संस्कार आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे। एक नजर मेंपहला सोमवार- 10 जुलाई दूसरा सोमवार- 17 जुलाई तीसरा सोमवार- 24 जुलाई चौथा सोमवार- 31 जुलाई पांचवा सोमवार- 7 अगस्तछठां सोमवार- 14 अगस्त सातवां सोमवार- 21 अगस्तआठवां सोमवार- 28 अगस्त

सावन माह मणिकांचन योग में मनेगा। मालमास में सावन पडऩा काफी दुर्लभ माना जाता है। 30 सितंबर से लेकर 14 अक्टूबर तक पितृपक्ष होगा। महालया की शुरुआत 30 सितंबर को हो रहा है। सावन में श्रद्धालु चार जुलाई से कांवर उठायेंगे। मलमास में रक्षाबंधन और मधुश्रावणी पर्व भी है। डॉ अनुराधा गोयल, ज्योतिषाचार्या


इस श्रावण मास के 2 महीने का होने की वजह मलमास है। सावन के महीने को खासतौर से भगवान शिव को समर्पित किया जाता है। इस महीने में भगवान हरि और भोलेनाथ की जमकर कृपा बरसेगी, इसलिए भगवान शिव का रुद्राभिषेक अवश्य करें। पंडित श्रीधर त्रिपाठी, ज्योतिष

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