Meerut News : ये जलभराव और कुछ भी नहीं, बस नालों को इग्नोर करने की कहानी है
मेरठ (ब्यूरो)। बरसात के दौरान शहरभर में जलभराव का एक सबसे प्रमुख कारण है अव्यवस्थित नाले। इन नालों की अनदेखी हर साल बरसात में शहर के लोगों को भारी पड़ती है। खुले नाले जहां पूरे साल कूड़ेदान बने रहते हैं, वहीं इन नालों की जर्जर बाउंड्री से बरसात में नाले का पानी ओवरफ्लो होकर आसपास के क्षेत्रों में जलभराव का कारण बनता है। खासतौर से पुराने शहर के उन इलाकों में जहां सीवर लाइन का अभाव है और नालों की सफाई की अनदेखी होती है। हालांकि नगर निगम हर साल नालों को कवर करने, फेंसिंग करने और बाउंड्री वॉल को बनाने की डीपीआर बनाकर शासन को भेजता है, लेकिन डीपीआर फाइनल ही नहीं होती और नाले खुले के खुले ही रह जाते हैं।
खुले नाले, टूटी बाउंड़ी
दरअसल, शहर के रिहायशी इलाकों में बने रोड साइड छोटे नाले और बड़े नालों की बाउंड्री या कवर ना होने के कारण इन क्षेत्रों में जलभराव की समस्या विकराल बनती जा रही है। बाउंड्री ना होने से बरसात में कई इलाकों में नाले का पानी ओवरफ्लो होकर गलियों में घरों तक में भर जाता है। नाले खुले होने के कारण आसपास का कूड़ा भी इन नालों में गिरता है, जिससे नालों में गंदगी और सिल्ट का अंबार रहता है। इस कारण से शहर में घनी आबादी के बीच से गुजर रहे छोटे-बड़े 257 नाले हर साल जलभराव का कारण बनते हैं।
हर साल शहर में सबसे ज्यादा जलभराव ओडियन नाला क्षेत्र से जुड़े इलाकों में होता है। यह नाला शहर के बीचों-बीच से गुजरता है और सबसे अधिक आबादी इस नाले के आसपास ही स्थित है। ऐसे मे सबसे अधिक गंदगी इसी नाले में बहाई जाती है और इस नाले की ऊंचाई भी आसपास के क्षेत्र की गलियों से अधिक है इसलिए यहां बरसात में नाले का पानी आसपास के क्षेत्र में ही भर जाता है। वहीं भूमिया पुल से लेकर पिलोखड़ी पुल, शादी महल पुलिया, हापुड़ रोड तक जगह-जगह इस नाले की बाउंड्री क्षतिग्रस्त है। बरसात में नाले का पानी ओवरफ्लो होने के कारण टूटी बाउंड्रियों से होकर आसपास के मोहल्लों में भर जाता है।
नाले कवर करने की योजना
साल 2021 में नगर निगम ने करीब 200 किमी लंबे नालों पर स्लैब डालकर कवर करने की योजना बनाई थी। इसके तहत शहर के कुछ नालों पर पक्के स्लैब हटाकर फोल्डिंग स्लैब तो डाले गए लेकिन अधिकतर नाले आज भी पूरी तरह खुले हैं। इससे पहले भी नगर निगम साल 2017-18 में कुल 284 छोटे-बड़े नालों को कवर करने की योजना बनाई थी। साथ ही शहर के 27 बड़े नालों के किनारे लोहे की जालीदार फेंसिंग लगाने का प्लान भी बनाया था, जिसमें 32 किमी लंबी फेंसिंग लगाने पर करीब 20 करोड़ रुपये का बजट बनाया था। इसके तहत करीब 31.850 किमी लंबी फंेसिंग लगाकर नालों को कवर किया जाना था। लेकिन सब योजनाएं फाइलों तक सीमित रही।
111 करोड़ की लागत से नालों की कवरिंग की योजना चार साल से अधर में। 200 किमी लंबे नालों पर स्लैब डालकर कवर किया जाना था, योजना के तहत। 257 छोटे-बड़े नालों को कवर करने की योजना हुई थी तैयार। 2017-18 में 284 छोटे-बड़े नालों की स्थिति सुधारने की बनाई थी योजना। 27 बड़े नालों के किनारे लोहे की जालीदार फेंसिंग लगाने का गत वर्ष बनाया गया था प्लान। 32 किमी लंबी फेंसिंग लगाने पर करीब 20 करोड़ रुपये खर्च का बनाया गया था एस्टीमेट। दो साल पहले निगम ने कुछ नालों की बाउंड्री बनाकर तैयार की थी 407 करोड़ रुपये से 30 पुराने नालों की सूरत बदलने की घोषणा जून 2012 को तत्कालीन नगर विकास मंत्री आजम खां ने की थी।
घोषणा के तहत इन्हें ढकने, उनके ऊपर मल्टीलेवल पार्किंग, घूमने के लिए बगीचा और चारों ओर पेड़ लगाने की योजना बनाई गई थी
इनका है कहनाछतरी वाले पीर से घंटाघर तक नाला तैयार किया गया है लेकिन इस पर भी पक्के स्लैब बना दिए गए हैं। जिससे बरसात होते ही पानी नाले में जाने के बजाए सड़क पर भर जाता है।
मंसूर शास्त्रीनगर मेन बाजार में नालों के ऊपर पक्के स्लैब बनाकर हर जगह अतिक्रमण किया हुआ है। यहां बरसात का पानी नाले में जाने के बजाए सड़क पर भर जाता है।
मनीष जैन ओडियन नाला हो या शादी महल पुलिया या आबू नाले की बाउंड्र को ही ले लीजिए, ये जगह-जगह से टूटी हुई है। बरसात के दौरान नाले का पानी ही ओवरफ्लो होकर वापस गलियों मे भर जाता है।
जफर चौधरी कई क्षेत्रों में छोटे नालों पर फोल्डिंग स्लैब लगाए जा चुके हैं। बड़े नालों पर भी जगह-जगह फोल्डिंग स्लैब लगाए गए हैं। बाकि बाउंड्री वॉल का सर्वे कर उनकी मरम्मत का काम कराया जाएगा।
डॉ। हरपाल सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी