18 घंटे की बजाए अब सिर्फ 18 मिनट अपलोड हो रही थीसिस
मेरठ (ब्यूरो)। अब सीसीएस यूनिवर्सिटी ने पूर्व में हार्ड कॉपी में ही थीसिस जमा करने की व्यवस्था की थी। अब करीब 12 हजार थीसिस यूनिवर्सिटी के राजा महेंद्र प्रताप सेंट्रल लाइब्रेरी में उपलब्ध हैं। हर थीसिस को स्कैन कर ऑनलाइन अपलोड कराया जा रहा है। अब वीसी ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि वो अपने यहां के थिसिस अपलोड करा लें, ताकि आगे तक इसका फायदा रहे।
18 मिनट में अपलोडअब तक एक थीसिस को स्कैन कर डिजिटल कापी तैयार करने में 18 घंटे से अधिक समय लगता था। हर दिन छह घंटे कार्य करने पर इसमें तीन दिन लगते थे।अब यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी में एक आइटूएस स्कैनर मंगाई गई है जिसने स्कैनिंग की रफ्तार बढ़ा दी है। अब एक थीसिस को स्कैन करने में औसतन 18 मिनट का समय ही लग रहा है।
एक दिन में 15 का आंकड़ा
गौरतलब है कि पहले एक थीसिस को पूरा स्कैन करने में तीन दिन लग जाते थे।अब आइटूएस स्कैनर से एक दिन में 15 थीसिस स्कैन हो जाती है। यह ओवरहेड स्कैनर है। इसमें थीसिस को रखकर बस पन्ना पलटना पड़ता है। जितनी जल्दी पन्ना पलटता है यह स्कैन करता जाता है। स्कैन करने के बाद स्कैनर सिस्टम में थीसिस के फस्र्ट पेज से लिए नाम का एक फोल्डर बनाकर सभी फाइल उसमें सेव भी करता जाता है।
गुजरात के गांधी नगर स्थित इंफॉर्मेशन लाइब्रेरी नेटवर्क सेंटर यानी इनफ्लिबनेट देश भर के 564 यूनिवर्सिटीज का डिजिटल डाटा मैनेज करता है। यूनिवर्सिटीज की थीसिस को आनलाइन अपलोड यहीं से किया जाता है। सीसीएसयू अब तक यहां 2265 थीसिस अपलोड करा चुका है।स्कैनर आने के बाद सीसीएसयू तीन दिन एडवांस यानी 45 थीसिस एडवांस में इनफ्लिबनेट में भेजने में सक्षम है। अपलोड हो रहे डिजिटल डॉक्यूमेंट
सीसीएसयू के डिप्टी लाइब्रेरियन डॉ। जे।ए सिद्दिकी ने कहा कि प्रदेश के राज्य यूनिवर्सिटीज में केवल सीसीएसयू के पुस्तकालय में ही इस स्कैनर से डिजिटाइजेशन किया जा रहा है।इसी स्कैनर से यूनिवर्सिटी पुस्तकालय की इंस्टीट्यूशनल रिपोजिटरी पर डिजिटल डाक्यूमेंट्स अपलोड किए जा रहे हैं। इस रिपोजिट्री पर शीघ्र छात्रों को परिसर के शिक्षकों द्वारा लिखित पुस्तकें व शोध पत्र पढऩे को मिलेंगे। साथ ही यूनिवर्सिटी के पुराने प्रश्नपत्र, विद्वत परिषद व कार्य परिषद की प्रोसीडिंग्स भी इस रिपोजिट्री पर उपलब्ध होंगी।हर दिन सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक स्कैनिंग चल रही है।