प्राइमरी मेडिकल टीम तो दूर पीएच लेवल नापने के लिए भी नही पीएच मीटर

मेरठ ब्यूरो। भीषण गर्मी के दिनों में स्विमिंग पूल और वाटर पार्क राहत तो दिलाते हैं, लेकिन संचालकों की लापरवाही के कारण स्विमिंग पूल और वाटर पार्क का पानी ही एक तरह से जहरीला हो गया है। उनका पीएच लेवल यानि पोटेशियम ऑफ हाइड्रोजन की मात्रा ज्यादा होती है। आमतौर पर मनोरंजन और गर्मी से राहत के लिए लोग स्विमिंग पूल में घंटों समय बिताते हैं। वहीं, स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम और प्रशासन की लापरवाही के चलते पानी के खेल की यह मस्ती शहर के लोगों खासतौर पर बच्चों के लिए भारी पड़ सकती है। क्योंकि गर्मियों की शुरुआत होते ही शहर के गली मोहल्लों, होटल रेस्टोरेंट में स्विमिंग पूल्स और वाटर पार्क खुलने शुरू हो जाते हैं। इनमें मानकों की जमकर अनदेखी होती है जिसके चलते इन पूल्स और पार्क का पानी सेहत को खराब कर सकता।

नहीं बदला जाता है पानी
इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सालभर में एक भी पूल या वाटर पार्क के पानी की क्वालिटी जांच ना तो निगम करता है और ना ही स्वास्थ्य विभाग। ऐसे में गंदे पानी को साफ करने के लिए भरपूर मात्रा में क्लोरिन मिलाकर पानी का पीएच लेवल बिगाड़ दिया जाता है।

ना एनओसी, ना किट, ना वाटर क्वालिटी जांच
गौरलतब है कि शहर में एक दर्जन से अधिक छोटे बड़े स्विमिंग पूल और तीन वाटर पार्क संचालित हैं। नियमानुसार इन वाटर पार्क के पास भूगर्भ जल दोहन की एनओसी से लेकर, पानी के पीएच स्तर और क्लोरीन की मात्रा को नापने के लिए किट होना जरुरी है। जितनी बार भी पानी में क्लोरिन डाला जाए उसका पीएच स्तर जांचा जाए। लेकिन ऐसा नही हो रहा है। स्थिति यह है कि अधिकतर पूल्स और पार्क में पानी का पीएच स्तर मापने तक के लिए में किट ही नहीं है। यहां पानी का रंग देखकर ही पीएच का आंकलन कर लिया जा है। पानी का रंग पीला होने के बाद अंदाज से क्लोरीन और कई बार फिटकरी मिलाकर पानी की सफाई कर दी जाती है। पानी की पीएच स्तर मापे बिना ही मनोरंजन और स्पोटर्स एक्टिविटी के लिए पूल्स और पार्क खोल दिए जाते हैं। सालभर में एक भी वाटर पार्क या पूल के पानी के क्वालिटी का निरीक्षण भी निगम स्तर पर नही किया गया है। स्थिति तो यह है कि अधिक स्वीमिंग पूल बिना भूगर्भ जल विभाग की एनओसी के संचालित हो रहे हैं। यहां जमकर पानी की चोरी भी की जा रही है और लोगों की सेहत से खेला जा रहा है।

सिर्फ क्लोरिन से हो रही सफाई
स्विमिंग पूल या वाटर पार्क का गंदा पानी कई रोगों का कारण होता है। गंदे पानी के कारण हेपेटाइटिस ए, हैजा और टाइफाइड जैसी बीमारियां फैल सकती हैं। वहीं पूल का पानी बदले बिना ही साफ करने के लिए पानी में क्लोरिन की मात्रा ज्यादा डाल दी जाती है। यह क्लोरीन हाइड्रोजन आयन के साथ मिलकर माइल्ड एसिड बनता है। इससे स्विमिंग पूल का पानी एसिडिक पीएच का होता है। पानी का पीएच वैल्यू 8 से अधिक नहीं होना चाहिए। एक्सपर्ट के मुताबिक इसलिए जब भी स्विमिंग पूल में नहाने जाए तो पता करना चाहिए कि पानी में क्लोरीन की कितनी मात्रा है। अगर पानी में ज्यादा मात्रा में क्लोरीन है तो नहाने से बचना चाहिए।

बच्चों को संक्रमण का खतरा
एक्सपर्ट के मुताबिक क्लोरिन की अधिक मात्रा बच्चों को विभिन्न संक्रमणों के संपर्क में भी ला सकती है। इससे बच्चों को पूल संक्रमण हो सकता है। पूल संक्रमण के लक्षण पेट में खराबी, ऐंठन, दर्द, मतली और दस्त हैं। डॉक्टर के अनुसार इन लक्षणों का कारण एंटरोवायरस, नॉरवॉक वायरस और क्रिप्टोस्पोरिडियम नामक जीव है।

महिलाओं को भी संक्रमण
स्विमिंग पूल के पानी से महिलाओं में जननांगों के संक्रमण की समस्या काफी पाई जाती है। स्विमिंग पूल में नहाने वाली महिलाओं में जननांग संक्रमण की बीमारी अपेक्षाकृत अधिक पाई जाती है। साथ ही अगर क्लोरीन की मात्रा ज्यादा होती है, तो यह स्किन को नुकसान भी पहुंचा सकता है। इससे स्किन इंफेक्शन टैनिंग और सनबर्न जैसी प्रॉब्लम्स भी हो सकती है।

बाल और आंखों पर भी खतरा
स्विमिंग पूल में जाने से पहले हेयर कैप जरूर पहनना चाहिए। डाक्टर्स के अनुसार अधिक क्लोरीन युत पानी बालों को नुकसान पहुंचा सकता है। यदि स्विमिंग पूल का पानी साफ नहीं है तो उसमें नहाने से बचना चाहिए। गंदे पानी के आंखों में जाने से कंजक्टिवाइटिस हो सकता है। कान में जाने से कान में इंफेक्शन हो सकता है। यदि गंदा पानी नाक में गया तो साइनाइटिस का खतरा बढ़ जाता है।

जानकारी है जरूरी-
- स्विमिंग पूल के पानी का पीएच वैल्यू 7 से 8 तक है, तभी नहाना चाहिए।

- पानी में पीएच का स्तर चैक करने के बाद ही पूल में डाली जाने वाली क्लोरीन की मात्रा तय की जाती है।

- क्लोरीन की अधिक मात्रा बच्चों और संवदेनशील लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है।

- स्वास्थ्य मानकों के अनुसार क्लोरीन का स्तर 1.0 से 3.0 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) होना चाहिए।

- पूल में नहाने के बाद बच्चों को घर आकर अच्छे से एक बार नहाना चाहिए।

- ऐसा नहीं करने पर क्लोरिन केमिकल के कारण शरीर में खुजली, लाल दाग समेत कई तरह के स्किन संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है।


स्विमिंग पूल या वाटर पार्क के पानी की क्वालिटी जांच होनी चाहिए। लेकिन यह जांच जलकल विभाग द्वारा की जाती है। इस विषय में जानकारी नही है।
- डॉ। हरपाल सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

वाटर पार्क या स्विमिंग पूल के पानी की क्वालिटी की समय समय पर जांच होनी चाहिए यह नगर निगम की जिम्मेदारी है।
- डॉ। अशोक तालियाना, मंडलीय सर्विलांस अधिकारी

स्विमिंग पूल के पानी में सफाई का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। पानी में बैक्टीरिया फैलने से पेट संबंधित रोग, नेत्र रोग, स्किन एलर्जी की समस्या हो सकती है। पानी की लगातार जांच करनी चाहिए।
- डॉ। विश्वजीत बैंबी, सीनियर फिजीशियन

Posted By: Inextlive