सॉल्ट की जगह चॉक पाउडर अरारोट खडिय़ा से तैयार हो रहीं नकली दवाइयां ग्लूकोज और स्टर्लिंग वाटर की जगह भरा जा रहा सादा पानी।

मेरठ (ब्यूरो)। आपकी दवा में भी मिलावट है। मिलावट खोर लोगों की सेहत से भी खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं। साल्ट की जगह चॉक पाउडर, अरारोट, खडिय़ा, पाउडर जैसी चीजें मिलाकर नकली दवाइयों की खेप तैयार हो रही है। खुलेआम बाजार में इन्हें बेचा भी जा रहा है। फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में हर साल करोड़ों रूपये की नकली दवा पकड़ में आ रही है। आंकड़े चौकाने वाले हैं। तमाम कार्रवाई के बाद भी दवाओं में मिलावट की सेंधमारी धड़ल्ले से जारी है।

ऐसे हो रही मिलावट
एक्सपर्ट बताते हैं कि नकली दवाइयों को तैयार करने में दवा के किसी भी सॉल्ट का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसमें सिर्फ चॉक पाउडर या खडिय़ा लेकर केमिकल के साथ इन्हें मिक्स कर पूरी टेबलेट तैयार हो जाती है। इनकी बनावट बिल्कुल असली दवा की तरह ही होती है। यह खेल ग्लूकोज और स्टर्लिंग वाटर में भी बहुत होता है। ब्रांडेड बोतल में सादा पानी भरकर इनकी सप्लाई कर दी जाती है। लोकल ब्रांड के साथ कई बार नामी कंपनियों की दवाइयों में भी इस तरह की मिलावट पाई जाती है।

कॉम्बिनेशन के साथ होती है छेड़छाड़
ड्रग विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जिन दवाइयों में कई सॉल्ट का कॉम्बिनेशन होता है, उनके साथ भी खूब छेड़छाड़ होती है। इन दवाइयों की लागत कम करने के लिए मिलावटखोर एक या दो सॉल्ट कम कर उसकी जगह पाउडर मिला देते हैं। इससे दवाइयों का वजन बना रहता है और दवा अपने ऑरिजनल साइज में भी आ जाती है। सब-स्टैंडर्ड की इन दवाइयों को कहीं अधिक कीमतों पर बेचा जाता है। इनमें कैंसर, दिल, दिमाग, फेफड़े सहित कई तरह के इंफेक्शन और एंटीबॉयोटिक शामिल हैं।

फैक्ट फाइल पर एक नजर
मार्च 2023 से अब तक हुई कार्रवाई
600 से अधिक जगहों पर डेढ़ साल में छापेमारी की गई।
150 से अधिक मेडिकल स्टोर्स का डेढ़ साल में लाइसेंस सस्पेंड हुआ।
100 से अधिक लाइसेंस टर्मिनेट हुए।
60 से अधिक सैंपल फेल पाएं गए।
05 से अधिक मामलों में हुई एफआईआर।
70 से अधिक गिरफ्तारी हुई।
01 करोड़ 66 लाख की नकली दवाएं पकड़ी गई।

नकली दवाइयों से बचाएगा पक्का बिल
ड्रग कंट्रोलर बताते हैं कि नकली दवाइयों से बचने का एकमात्र जरिया पक्का बिल ही है। कस्टमर यदि एक रूपये की भी दवा लेता है तो उसे पक्के बिल की डिमांड दुकानदार से करनी चाहिए। अगर दवा नकली होगी तो उसका पक्का बिल नहीं होगा। वहीं बिल होने पर जांच में भी आसानी रहती है।

नकली दवाइयों से ऐसे बचें
लेबल और पैकेजिंग
नकली दवाओं में असामान्य या खराब प्रिंटेड लेबल होते हैं। ब्रांड नाम, मैन्यूफैक्चिरिंग डेट और एक्सपायरी डेट भी गलत होती है। हमेशा इसकी जांच करके ही दवा खरीदें।

रंग और आकार
असली दवाएं हमेशा तय मानक, साइज और कलर की की होती हैं। अगर गोलियां या कैप्सूल आकार में असामान्य हैं या उनका रंग अलग है तो यह नकली हो सकता है।

महक
दवाओं में किसी भी प्रकार की असामान्य गंध है तो यह नकली हो सकती है। असली दवाओं में कोई अस्वाभाविक महक नहीं होती है।

समीक्षाएं और प्रमाण-पत्र
उत्पाद पर प्रमाणीकरण और लाइसेंस नंबर की जाँच करें। अगर वह प्रिंट नहीं हैं या गलत हैं, तो यह नकली हो सकती हैं।

कीमत
अगर दवा की कीमत बहुत कम है, तो यह नकली हो सकती है। असली दवाएं मार्केट रेट पर बिकती हैं।

डॉक्टर की सलाह
बिना डॉक्टर की सलाह के दवा न खरीदें। नए ब्रांड का उपयोग बिना सलाह के न करें।

विभाग दवाइयों में मिलावट की धरपकड़ के लिए लगातार छापेमारी करता रहता है। मिलावट के प्रति लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है। हम लगातार इसके लिए अभियान भी चलाते रहते हैं।
पीयूष शर्मा, ड्रग कंट्रोलर, मेरठ

Posted By: Inextlive