सरकारी अस्पताल है...यहां तो वैसे ही मरीज को पानी पिला देते हैं
मेरठ (ब्यूरो)। मध्यमवर्गीय परिवार और गांव देहात के लोगों के लिए बीमारी में सरकारी अस्पताल ही एक मात्र जगह होती है जहां वह सही होने की उम्मीद के साथ आते हैं। लेकिन, असुविधा और अव्यवस्थाओं के कारण बदनाम सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है। स्थिति यह है कि शहर के सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों तक को शुद्ध व ठंडा पेयजल तक मयस्सर नहीं हो पाता है। हालांकि कुछ पुराने हैंडपंप इन तीमारदारों का सहारा बने हुए हैं। लेकिन, करोड़ों खर्च के बाद भी शुद्ध व ठंडा पेयजल सरकारी अस्पतालों में दूर की कौड़ी है।
एलएलआरएम कॉलेज
शहर के सबसे प्रमुख मेडिकल कॉलेज में रोजाना विभिन्न रोगों से ग्रस्त तीन से चार हजार ओपीडी में चिकित्सकों को दिखाने व दवा लेने आते हैं। इससे अलग रोजाना 800 से 1000 मरीजों की विभिन्न जांच जैसे एक्स-रे, सिटी स्कैन, ब्लड जांच, ईसीजी, ईको आदि होती है। इसके बाद भी पूरे मेडिकल कैंपस में शुद्ध ठंडे पेयजल के नाम पर अधूरी सुविधाएं हैं। मेडिकल कॉलेज ओपीडी की बात करें तो पर्चा काउंटर के बाहर पेयजल के नाम पर टोंटियां लगी हैं। लेकिन, यहां गंदगी का इतना अंबार है कि मरीज व तीमारदार पानी भरने से भी कतराते हैं। इससे अलग एक्स-रे रूम के पास एक हैंड पंप भी लगा हुआ है जो खराब है। नई इमरजेंसी के पास एक मात्र हैंडपंप लोगों की प्यास बुझाने का काम कर रहा है। हालांकि उसके पास लगा वाटर कूलर अभी तक गर्म पानी दे रहा है। अस्पताल के अंदर वार्डों में कुछ वाटर कूलर लगे हैं जो भर्ती मरीजों को राहत देते हैं। लेकिन, बाहर व्यवस्थाएं अव्यवस्थित हैं।
शहर का दूसरा प्रमुख सरकारी अस्पताल प्यारे लाल में रोजाना 5000 हजार से अधिक मरीजों की ओपीडी रहती है। यहां भर्ती मरीजों के लिए विभिन्न वार्डों में वाटर कूलर तो लगे हैं लेकिन, ओपीडी में आने वाले मरीजों व तीमारदारों के लिए सुविधा गायब है। इमरजेंसी के पास पेयजल के नाम पर केवल पानी की डायरेक्ट टोंटियों का ही सहारा है। इनकी हालत भी इस कदर खराब है कि खुले में पानी बहता रहता है और गंदगी के बीच से मरीज व तीमारदारों को पानी पीना पड़ता है। कुल मिलाकर यदि किसी मरीज या तीमारदार को ठंडा पानी पीना है तो उसे अस्पताल के वार्डों के अंदर चक्कर लगाने पड़ेंगे या फिर बाहर से पैक्ड वाटर बोतल का सहारा लेना पड़ेगा। कोट्स
ओपीडी पर आने से पहले घंटों लंबी लाइन में पर्चा बनवाना पड़ता है। ऐसे में गर्मी में लंबी लाइन में ही प्यास से गला सूख जाता है और पानी की व्यवस्था ओपीडी से दूर है।
- योगेंद्र
- सुभाष मेडिकल कालेज में वाटर कूलर तो कई जगह लगे हुए हैं लेकिन इन वाटर कूलर में हर समय गर्म पानी ही आता है। कम से कम वाटर कूलर को रह समय चालू रखना चाहिए।
- प्रिंस जिला अस्पताल में परिसर में पानी की टंकी भी लगी हुई हैं तो वह टूटी पड़ी है। टंकियों का पानी दिन भर बहता रहता है। पेय जल की उपलब्धता नही है और बर्बादी हो रही है।
- शाहरुख