डायबिटीज पेशेंट के लिए एक बुरी खबर, ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान
मेरठ (ब्यूरो)। डायबिटीज यानि शुगर के मरीजों के लिए एक बुरी खबर है। खबर यह है कि शुगर यानी डायबिटीज दबे कदमों से आंखों की रोशनी छीन रही है। मरीज इससे अंजान हैं। समस्या गंभीर होने पर वह डॉक्टर के पास पहुंच रहे हैं। जहां जांच में काले मोतिया यानी ब्लैक कैटरेट की पुष्टि हो रही है। डॉक्टर्स का कहना है कि हाई बीपी और मधुमेह के मरीजों में बीमारी गंभीर स्तर पर पाई जा रही है। इसका बड़ा कारण अनदेखी और लापरवाही है।
बारिश ने बढ़ाई समस्या
डॉक्टर्स बताते हैं कि बरसात के मौसम में आंखों में फंगल इंफेक्शन लेकर मरीज पहुंच रहे हैं। लंबे समय से संक्रमण झेल रहे मरीजों में जांच के बाद काले मोतिया मिल रहा है, जिसे देख डॉक्टर्स भी हैरान हैं। जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में ही हर दिन तीन सौ तक मरीज पहुंच रहे हैं। आंखों पर आए संक्रमण से ऑप्टिक नर्व नष्ट हो रही है। जिससे मरीजों में धीरे-धीरे रोशनी कम होने की समस्या पनप रही है। इसकी जांच में ही मरीजों में काला मोतिया पाया जा रहा है। साथ ही अंधेपन की समस्या भी बढ़ रही है।
इसलिए बढ़ रहा रोग
डॉक्टर्स का कहना है कि डायबिटीज और बीपी शरीर के दूसरे अंगों पर भी प्रभाव डालते हैं। मरीज इन्हीं बीमारियों को कंट्रोल करने में लगे रहते हैं जबकि दूसरी समस्याओं को पहचान नहीं पाते हैं। ऐसे मरीजों में आंखों की रोशनी बार बार कम होने की परेशानी आती है, लेकिन वह चश्मे का नंबर बदलवाते रहते हैं। नेत्र परीक्षण अधिकारी बताते हैं कि अस्पताल में 40 फ़ीसदी मरीजों में यही समस्या मिल रही है।
आंखों की रोशनी लगातार कम होना
चश्मे का नंबर बार-बार बदलना
देर से दिखना
रोशनी में अलग-अलग रंग दिखना काले मोतियों के लक्षण हो सकते हैं
स्टेरॉयड का इस्तेमाल करने वाले लोगों में भी यह तेजी से पनप रहा है।
यदि आंखों में चोट लगी हो तब भी काले मोतिया का खतरा हो सकता है। ये होता है काला मोतिया
काला मोतिया आंखों की बीमारी है। इसे ग्लूकोमा या मोतियाबिंद भी कहते हैं। जब आंखों के भीतर भरे तरल पदार्थ बाहर नहीं निकल पाते हैं और नसों पर दबाव बढऩे लगता है तब यह बीमारी पनप जाती है। यह बीमारी आंखों में देखने वाली सहायक नसों को नष्ट कर देती है। आंखों की रोशनी पहले धीरे धीरे कम होती है फिर खत्म हो जाती है।
ऐसे करें बचाव
आंखों का खास ध्यान रखें
मधुमेह और उच्च रक्तचाप के मरीज सावधानी बरतें
स्टेरॉइड का इस्तेमाल न करें
आंखों में यदि समस्या हो तो चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें
डायबिटीज और बीपी के मरीजों में काला मोतिया तेजी से अपनी पकड़ बना सकता है। आंखों की यह एक बड़ी समस्या है जिसे लेकर लोगों में अधिक जागरूकता नहीं हैं। समय रहते इसका इलाज जरूरी है। इसमें आंखों की रोशनी भी जा सकती है।
डॉ। आरसी गुप्ता, प्रिंसिपल, मेडिकल कॉलेज आंखों की ये बीमारी धीरे-धीरे सामने आती है। शुरुआत में मरीज इसके लक्षण नजरअंदाज कर देते हैं। इलाज में देरी से देखने वाली तांत्रिकाओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है। मस्तिष्क को संकेत मिलने में समस्या शुरू हो जाती है। नसों के साथ ही आंखों की कार्य क्षमता खत्म होने लगती है। एक आंख से दूसरी आंख पर अधिक प्रेशर आ जाता है।
डॉ। लोकेश, वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक, मेडिकल कॉलेज बरसात के मौसम में काला मोतिया के मरीज अधिक मिलने लगते हैं। आंखों के इंफेक्शन की जांच में इसकी पकड़ होती है। समय रहते बीमारी की पहचान हो जाए तो मरीज की आंखों की रोशनी जाने से बचाया जा सकता है।
डॉ। पीके वाष्र्णेय, सीनियर आई टेक्निशियन, जिला अस्पताल