मेरठ मेडिकल में बढिय़ा प्राइवेट वार्ड हैं, मगर आपको मिलेंगे नहीं
मेरठ (ब्यूरो)। मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में मरीजों के लिए सुविधाओं की भरमार है। यहां शहर के किसी भी प्राइवेट हॉस्पिटल के मुकाबले ज्यादा आधुनिक मशीनें और बेशुमार सुविधाएं मौजूद हैैं। ये तो आप सब जानते ही होंगे। मगर दैनिक जागरण के रियल्टी चेक में जो सामने आया है, उससे जाहिर तौर पर आप बेखबर होंगे। अपडेट यह है कि मेडिकल में मौजूद सुविधाएं और मशीनें किसी काम की नहीं। उदाहरण के तौर पर मेडिकल और जिला अस्पताल में लाखों रुपये की लागत से तैयार किए गए प्राइवेट वार्डों को ही लेलीजिए, मेडिकल में निजी वार्ड 30 और जिला अस्पताल में ये वार्ड 20 साल से बंद पड़े हैैं।
मेडिकल कॉलेज का हालमेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड साल 1978 में बने थे कर्मचारियों की कमी के चलते साल 1992 में ये वार्ड पूरी तरह से बंद किए गए
2012 में 40 कमरों के इस निजी वार्ड को दोबारा खोलने का प्रयास किया गया था
2018 में निजी वार्डों की 200 रुपए में बुकिंग के साथ खोलने की प्लानिंग बनाई गई थीहर बार प्रयास असफल
मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड साल 1978 में बने थे। लेकिन स्टाफ की कमी के चलते ये वार्ड आज तक मरीजों से गुलजार नहीं हो पाए हैं। कई बार इन निजी वार्डों को संचालित करने का प्रयास किया गया लेकिन हर बार कोशिश कागजों तक सीमित रही। स्थिति यह है कि कर्मचारियों की कमी के चलते साल 1992 में ये वार्ड पूरी तरह से बंद हो गए थे। इसके बाद साल 2012 में 40 कमरों के इस निजी वार्ड को दोबारा खोलने का प्रयास किया गया लेकिन प्रयास असफल रहा। इसके बाद 2018 में निजी वार्डों की 200 रुपए में बुकिंग के साथ खोलने की प्लानिंग बनाई गई। लेकिन एक बार फिर स्टाफ की कमी के कारण ये मामला अटक गया। ऐसे हालात में पिछले चार साल से इनमें से दो वार्डों को ऑफिस बना दिया गया, जबकि बाकी बंद पड़े हैं।
मेडिकल कालेज प्रशासन ने हाल ही में निजी वार्डों के उपयोग की कवायद को फिर से शुरू किया है। इसके तहत पांच वार्डों को मरीजों के खोला गया। इन वार्डों का किराया 250 रुपए रखा गया। पांच वार्डों में मरीजों की लगातार बुकिंग मिलने के बाद अब मेडिकल प्रबंधन ने बाकि वार्डों को खोलने का मन बना लिया है। जिससे अस्पताल में भर्ती मरीजों को बेड व कमरों की कमी से न जूझना पड़े।
जिला अस्पताल का हाल
2003 में शुरू की गई थी जिला अस्पताल में निजी वार्ड की सुविधा
ऐसा ही हाल जिला अस्पताल के निजी वार्डों का है। करीब 20 साल से जिला अस्पताल के 10 प्राइवेट वार्ड बंद हैं। जिला अस्पताल में आने वाले सैकडों मरीज ऐसे हैं, जो बेहतर इलाज के लिए सस्ती दरों पर निजी वार्ड में भर्ती होना चाहते हैं। इसी उद्देश्य से करीब 20 साल पहले इन वार्डों को शुरू किया गया था। तब इनका किराया महज 135 रुपये प्रतिदिन था। कई बार इनके नवीनीकरण में शासन ने लाखों रुपये खर्च किए, बावजूद इसके यहां सालों से ताले लटके हुए हैं।
2019 में किया प्रयास
निजी वार्डों को खोलने के लिए 2019 में प्रयास किया गया था। इसके तहत ब्लड बैंक के बराबर में पांच प्राइवेट वार्डों को खोलने की कवायद भी हुई। मगर कवायद विफल रही। इतना ही नहीं, जिला मलेरिया विभाग के पीछे बने हुए पांच निजी वार्डों के नवीनीकरण करने की योजना बनाई गई थी, बावजूद इसके निजी वार्डों का ताला नहीं खुल सका।
ड़ॉ। आरसी गुप्ता, प्रिंसिपल, मेडिकल कालेज स्टाफ की कमी के कारण निजी वार्ड का संचालन प्रभावित हो रहा है। शासन से स्टाफ की मांग की गई है। अगर मांग पूरी हो जाती है तो वार्डों को जल्द से जल्द शुरू कर दिया जाएगा।
डॉ। कौशलेंद्र सिंह, चिकित्सा अधीक्षक, जिला अस्पताल